विचार / लेख

चार्ली चैपलिन का खत, मानवता का सबक
10-Jan-2024 3:56 PM
चार्ली चैपलिन का खत, मानवता का सबक

दिलीप कुमार

प्रत्येक पिता अपनी बेटियों के लिए खत लिखता है, ऐसे ही पण्डित नेहरू जी, अर्नेस्तो चे ग्वेरा, एवं महान सर चार्ली चैप्लिन आदि तीनों ने भी कभी अपने बच्चों को ख़त लिखे। इन तीनों के लिखे गए पत्र पूरी दुनिया के लिए मनुष्यता का पाठ बन गए। इन तीनों के पत्रों को लगभग पूरी दुनिया के गहन पढऩे वालों ने पढ़ा, समझा। इनके द्वारा लिखे गए ख़त सभी को पढऩा चाहिए। सर चार्ली चैपलिन नाम को दुनिया में जितने भी लोग जानते हैं, उनके सम्मान में झुक जाते हैं।

महान सर चार्ली चैपलिन जिनके सामने विश्व सिनेमा पैदा हुआ। जो गरीबी, भुखमरी, युद्ध की विभीषिका पर श्वेत श्याम युग में मूक फि़ल्मों के ज़रिए गरीब तंगहाल लोगों के चेहरे पर मुस्कान ले आते थे , लेकिन जब रंगीन फिल्म बना कर मुँह खोला तो दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह के सीने पर चढक़र उसके मुँह पर कालिख पोत दी। महान सर चार्ली चैपलिन जिन्होंने अपने आंसुओ को बेचकर दुनिया के लिए कुछ मुस्कान खरीदी थी। जब जि़न्दगी के आखिरी पड़ाव में थे तब भी वो दुनिया को खूबसूरत देखने का ख्वाब देख रहे थे। जहां तक उनकी आवाज पहुंच सकती थी, उन्होंने पहुंचाने की कोशिश की।।। इसी कोशिश में उन्होंने अपनी डांसर बेटी को ख़त लिखा। जो बाद में समस्त विश्व के लिए मानवता का सबक बन गया।

महान सर चार्ली चैपलिन लिखते हैं। ‘- मेरी प्रिय बेटी मैं हमेशा सत्ता के विरुद्ध खड़ा रहा, और हमेशा अपनी कला के ज़रिए उसको ताक पर रखकर जरूरतमंद लोगों के लिए हमेशा खड़ा रहा। बेटी तुम भी गऱीबी को जानो, उसके कारण को ढूंढो मुफलिसी को महसूस करो, एक उत्तम आचरण इंसान बनो, इंसानियत के लिए खड़ी रहो, जीवन में मनुष्यता के लिए सब कुछ त्यागना पड़े तो संकोच मत करना। मैं तमाशा दिखाने वाला, किसी के हाथ का खिलौना नहीं बना, पूरी दुनिया को हँसाकर मैं खुद रोया हूं, मैंने कभी किसी को अपने आंसू नहीं दिखाए। मैं बारिश का इंतज़ार करता था, तब रोया करता था कि कोई मेरे आँसुओं को देखकर मुझ पर दया न करने लगे। मैं अपने आंसुओ को बेचकर दुनिया के लिए कुछ मुस्कान खरीद लाता था। तुम बस हँसती रहना, हमेशा खुश रहना।

मेरी प्यारी बेटी रात्रि का समय है, क्रिसमस की हसीन रात है। मेरे अन्दर एवं बाहर की सभी लड़ाइयां खत्म हो चुकी हैं। तुम्हारे भाई-बहिन भी नींद की गोद में हैं, तुम्हारी माँ भी सो चुकी है, केवल और केवल मैं जग रहा हूं, पता नहीं कब अंतिम नींद की गोद में मैं चला जाऊँ। कमरे में हल्की सी रोशनी है, तुम अभी मुझसे कितनी दूर हो, लेकिन मैं तुम्हें देख सकता हूँ। जिस दिन मैं तुम्हें नहीं देख पाऊँगा समझूँगा मैं अंधा हो गया।। तुम्हारी तस्वीर मेरे सामने टेबल पर रखी हुई है, और एक तुम्हारी तस्वीर मेरे दिल में भी सजी हुई है, फिर भी मुझे पता है तुम ख्वाबों के शहर पेरिस में हो जेम्स एलिसेस के उस खूबसूरत भव्य मंच पर डांस कर रही हो। इस सुनसान रात में मैं तुम्हारे पैरों की आहट सुन सकता हूँ। सर्द हवाओं की इस ऋतु में आकाश में चमकते तारो की चमक मैं तुम्हारी आँखों में देख सकता हूँ, ऐसा रोमांचक नृत्य, तुम खुद एक सितारा बनो, अनवरत चमकती रहो। बेटी ध्यान रखना इस चमक में कई बार हमारी खुद की चमक गायब हो जाती है। जब कभी तुम्हें अपने चाहने वालों की तालियों की गूँज, उनके फेंके गए फूलों की खुशबू तुम्हारे सिर चढक़र बोलने लगे तो मंच के कोने पर तुम देखना मैं न होकर भी खड़ा दिखाई दे रहा होऊँगा, तब तुम मेरा यह खत पढऩा और अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनना।

मैं तुम्हारा पिता चार्ली। ‘चार्ली चैपलिन’, तुम्हें याद है? जब तुम छोटी सी बच्ची थीं, तब मैं तुम्हें अपनी गोद में सुलाकर या कभी-कभार तुम्हारे सिरहाने बैठकर सुन्दर-सुन्दर कहानियां सुनाया करता था। मैं तुम्हारे ख्वाबों का गवाह हूं, मैंने तुम्हारा भविष्य भी देखा है। मंच पर नाचती एक लडक़ी जैसे कोई परी आसमान पर उड़ रही है। प्रशंसनीय शब्दों तालियों के बीच ऐसी प्रशंसा मैंने सुना है। उस लडक़ी को देखो वो कोई और नहीं एक बूढ़े कॉमेडियन की बेटी है, जिसका नाम चार्ली चैपलिन था, हां मैं चार्ली चैपलिन हूं। अब इस मंच को अपने कांधे पर तुमने उठा लिया है, बहुत मुश्किल है, लेकिन तुम अब इस रास्ते पर हो। मेरी बेटी मैं फटे हुए कपड़े पहनकर, भूखे पेट भूख भी ऐसी की पेट और पीठ का फर्क ही खत्म हो जाए, लेकिन तुम बहुत महंगे रेशमी कपड़े पहनकर बड़े-बड़े मंचों पर प्रस्तुति दे रही हो।

ऐसी तालियां, प्रशंसा तुम्हें सातवें आसमान पर ले जाएगी, लेकिन तुम खूब उड़ो मेरी प्यारी बेटी, लेकिन ध्यान रखना अपने पांव कभी जमीन से उठने मत देना। अपने पैर जमीन पर ही रखना। तुम्हें लोगों को करीब से देखना चाहिए, तरह-तरह की जिन्दगी लोग जी रहे हैं। सडक़ों नुक्कड़, बाजार, में नचाते हुए गरीबों को देखो उन्हें महसूस करो, जो हड्डियां जमा देने वाली सर्दी में फटे कपड़े पहने हुए, भूखे पेट दो वक़्त की रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। कभी मैं भी ऐसे ही सडक़ों पर नाचता था। उन रूहानी रातों में जब मैं तुम्हें कहानियां सुनाया करता था, और तुम सो जाया करती थीं। मैं तुम्हें देखता रहता था, और खुद से पूछता था ‘चार्ली क्या यह बच्ची तुम्हें कभी समझ पाएगी? बेटी तुम मुझे नहीं जानती। मैंने तुम्हें जाने कितनी सुन्दर-सुन्दर कहानियां सुनाई हैं। हाँ लेकिन अपनी कहानी नहीं सुनाई, यह कहानी भी बहुत दिलचस्प है।

यह कहानी एक गरीब कॉमेडियन की कहानी है। जो लन्दन की गंदी बस्तियों में नाच गाकर अपने लिए दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करता था। यह मेरी कहानी है। मैं जानता हूं भूख-प्यास किसे कहते हैं! मैंने भोगा है, जब सिर पर छत नहीं होती और कडक़ड़ाती ठंड हवा में सर्द हवाओं के साथ बारिश का दंश भी झेला है। शाबाशी में उछाले गए सिक्कों की खनक के बीच मेरा आत्मसम्मान सडक़ों पर लोगों के बूटों तले रौंद डाला जाता था। फिर भी मैं अपनी जिन्दगी की जद्दोजहद को छोड़ नहीं सका। बेटी तुम्हारे नाम के साथ मेरा नाम भी आता है, और मैंने इसी नाम के साथ लगभग 5 दशक दुनिया भर का मनोरंजन किया है, लोगों को हंसाया है, लेकिन मैं खुद पूरे जीवन रोता रहा हूं। जब तुम मंच से नीचे आना तो तुम चाहे अपने अमीर प्रशंसकों को भूल जाना, लेकिन जो तुम्हें उस मंच से नीचे जाओगी तो तुम्हें एक गरीब मिलेगा, बस देखने की दरकार होना चाहिए, जो तुम्हें अपनी टैक्सी में होटेल या घर छोड़े उसे कभी मत भूलना, उससे पूछना घर में उसकी पत्नी कैसी है? उसके बच्चे कैसे हैं? क्या उनके पास खिलौने हैं? क्या तुम्हारे बच्चों के खाने के लिए रोटी है? उन बच्चों के लिए उस गरीब के जेब में पैसे डालना मत भूलना। मैंने अपनी जिन्दगी की कमाई तुम्हारे नाम पर बैंक में जमा करा दिया है, बहुत सोच समझकर खर्च करना। कभी-कभार ट्रांसपोर्ट बसों में सफर करना, कभी पैदल चलना, लोगों को करीब से देखना क्यों कि सडक़ों पर चल रहे हर किरदार की एक कहानी होती है। गरीबों, बच्चों, विधवाओं के प्रति सहानुभूति रखना। गरीबों की बस्तियों में जाना बच्चों को चॉकलेट, खिलौने लेकर जाना फिर तुम उन बच्चों की खुशियां देखना, उसे ही गॉड कहा जाता है। दिन में एक बार ज़रूर सोचना कि तुम इनमें से कोई एक हो। हाँ तुम इनमें से ही एक की बेटी हो।

किसी भी कलाकार को कला गॉड उपहार स्वरूप देता है, लेकिन कलाकार को उसकी महँगी कीमत चुकानी पड़ती है। बेटी जिस दिन तुम्हें लगे कि तुम अपने चाहने वालों से ज्यादा बड़ी हो गई हो तो तुम उसी दिन उस मंच को छोड़ देना। एक टैक्सी लेकर पेरिस की गलियों में देखना एक से बढक़र एक नाचने वाली, बहुत खूबसूरत नाचने वाली मिल जाएंगी। तुमसे कहीं ज्यादा प्रभावशाली, फर्क सिर्फ इतना होगा कि उनके पास महंगे रेशमी वस्त्र, एवं यह भव्य मंच नहीं होगा। उनकी सर्चलाइट चंद्रमा और सूरज हैं। जब तुम्हें यह आभास हो जाए तब उसे अपनी जगह ले आना।  इस दुनिया में बहुत से लोग हमसे बेहतर होते हैं, बड़े दिल से स्वीकार कर लेना। ऐसे ही पूरी जि़ंदगी निरंतर सीखते चलना, कोई भी कलाकार परिपूर्ण नहीं होता। बेटी मैं बूढ़ा हो गया हूं, मैं इस दुनिया से चला जाऊँगा। तुम बहुत बाद तक इस दुनिया में रहोगी, मैं नहीं चाहता कि तुम गरीबी झेलो। इस ख़त के साथ मैं चेकबुक भी भेज रहा हूं। ताकि तुम खर्च कर सको, लेकिन दो सिक्के खर्च करने के बाद सोचना तीसरा सिक्का तुम्हारा नहीं है। यह सिक्का किसी जरूरतमंद का है, जिसे उसकी बेहद आवश्यकता है। मैं पैसे की बात इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि मैं इस क्रूर दौलत की ताकत मैं जानता हू।

आगे यह भी होगा। हो सकता है, कोई प्रिंस तुम्हारा दीवाना हो जाए, लेकिन याद रखना। अपने दिल का सौदा बाहरी चमक देखकर न करना। याद रखो सबसे बड़ा हीरा तो सूरज है, जो सभी के लिए चमकता है।  तुम भी सूरज तरह चमकना। हाँ जब तुम्हें किसी से प्रेम हो जाए तो उसे पूरी शिद्दत से प्यार करना। मैं कलाकार का जीवन जानता हूं, बहुत कठिन होता है, तुम्हारा बदन रेशमी वस्त्रों में ढंका रहता है, लेकिन कला धीरे-धीरे अपना मुकाम बना लेती है।। मैं बुजुर्ग हो गया हूं। हो सकता है, इसलिए तुम्हें मेरी बातें विचित्र लगें, लेकिन तुम्हारे शरीर का हकदार वही हो सकता है, जो तुम्हारा और तुम्हारी आत्मा की सच्चाई का सम्मान करे। मैं यह भी जानता हूं, बच्चों और पिता के बीच एक अजीब सा तनाव रहता है। मुझे ज्यादा आज्ञाकारी बच्चे पसंद नहीं है। गॉड से प्रार्थना कर रहा हूं, कि इस क्रिसमस की रात में कोई मोजजा हो जाए, और तुम मेरे विचारों को समझ पाओ। बेटी अब मैं बूढ़ा हो गया हूं, देर सबेर तुम्हें काले कपड़े में लिपटे चार्ली की कब्र पर आना ही होगा। मैं तुम्हें ज्यादा परेशान होते नहीं देखना चाहता, लेकिन कभी-कभार खुद को आईने में देखना तुम्हें खुद में मेरे चेहरे का अक्स दिखेगा। मेरी धमनियों का खून जम जाएगा, लेकिन तुम्हारी शिराओं में दौड़ता खून मेरी याद दिलाएगा तो यह सोचना तुम्हारा पिता कोई महान नहीं है, कोई जीनियस नहीं है, तुम्हारा पिता चार्ली चैपलिन एक उत्तम आचरण का इंसान बनने की जद्दोजहद में ही पूरी जिंदगी बसर कर दी। याद रखना जि़न्दगी में आखऱि उद्देश्य एक बेहतर इंसान बनना ही है। अलविदा

फिर आई 25 दिसंबर 1977 क्रिसमस की वो रात जब यह मूक आवाज जो दर्द में भी उफ़ न करती थी। वो चार्ली चैपलिन जो बारिश में रोते थे।। ताकि कोई उनके आंसुओं को देख न सके। क्रिसमस की रात चार्ली चैपलिन अनन्त यात्रा में चले गए, और दुनिया को दे गए अपने आचरण की सीख।  आदमी का उद्देश्य एक बेहतर इंसान बनना ही होना चाहिए। इतने महान इंसान की कब्र से लोगों ने उनकी लाश तक को नहीं बक्शा और कंकाल को खोद ले गए। बाद में फिर से उन्हें दफनाया गया। महान सर चार्ली चैपलिन जैसे फरिश्ते आते हैं और दुनिया को गुलजार कर जाते हैं।

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