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दक्षिण अफ्रीका ने इंटरनेशनल कोर्ट में इसराइल के खिलाफ क्या-क्या दलीलें दीं?
13-Jan-2024 4:28 PM
दक्षिण अफ्रीका ने इंटरनेशनल कोर्ट में इसराइल के खिलाफ क्या-क्या दलीलें दीं?

नीदरलैंड्स के हेग में मौजूद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में बीते दो दिनों से इसराइल के खिलाफ मामले की सुनवाई हो रही है।

कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि वो ये तय करे कि इसराइल गज़़ा में फ़लस्तीनियों के साथ जो कर रहा है क्या वो जनसंहार है।

अंतरराष्ट्रीय अदालत में ये मामला दक्षिण अफ्ऱीका लेकर गया है। इसराइल ने उसके लगाए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें ‘बेबुनियाद’ कहा है।

पढि़ए दो दिन चली कार्ट की कार्रवाई में क्या कुछ हुआ, किसने क्या कहा।

क्या कहना है दक्षिण अफ्रीका का?

दक्षिण अफ्रीका का दावा है कि गजा में फिलीस्तीनियों के खिलाफ इसराइल जो कर रहा है वो जनसंहार है क्योंकि उसकी कार्रवाई ‘फिलीस्तीनी क्षेत्र में रहने वाले में एक नस्लीय समूह की बड़े पैमाने पर तबाही के उद्देश्य से है।’

दक्षिण अफ्रीका ने कोर्ट से गुजारिश की है कि वो इसराइल को अपना सैन्य अभियान बंद करने का आदेश दे।

दक्षिण अफ्रीका ने कहा है कि इसराइल 1948 में हुए जीनोसाइड कन्वेन्शन (जनसंहार समझौते) का उल्लंघन कर रहा है। इसराइल और दक्षिण अफ्रीका दोनों ने ही इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और ये समझौता जनसंहार होने से रोकने के लिए दोनों पक्षों को प्रतिबद्ध करता है।

11 जनवरी को अदालत की 17 जजों की बेंच ने दक्षिण अफ्रीका के हाई कोर्ट के वकील टेम्बेका एनजीकुकेतोबी की दलील सुनी।

उन्होंने कहा कि इसराइल ने ‘जनसंहार के उद्देश्य से’ सैन्य कार्रवाई की है और ‘जिस तरह सैन्य हमले किए गए उससे ये साबित हो जाता है।’

उन्होंने कहा कि इसराइल की योजना गजा को ‘तबाह’ करने की योजना थी जिसके लिए ‘राष्ट्र के उच्चतम स्तर पर समर्थन मिला।’

वहीं मामले में दक्षिण अफ्रीका की तरफ से पैरवी कर रही आदिला हाशिम ने कोर्ट से कहा, ‘यहां हर रोज संपत्ति, सम्मान और मानवता के लिहाज से फिलीस्तीनी लोगों का नुकसान बढ़ रहा है और इसकी कोई भरपाई नहीं का जा सकती।’

‘कोर्ट के आदेश के अलावा कोई भी और चीज़ नहीं जो इस कष्ट से निजात दिला सके।’

इसराइल की क्या रही प्रतिक्रिया?

इसराइली क़ानूनी सलाहकार ताल बेकर ने कोर्ट में कहा कि दक्षिण अफ्रीका सच को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है, वो इसराइल-फिलीस्तीन संघर्ष के बारे में ‘सच से परे व्यापक विवरण पेश कर रहा है।’

12 जनवरी को कोर्ट में अपनी दलील शुरू करते हुए ताल बेकर ने ये स्वीकार किया कि गज़़ा में आम नागरिक जो कष्ट झेल रहे हैं वो ‘त्रासदी है’, हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि फिलीस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास ‘इसराइल और फ़लस्तीनियों को हो रहे नुक़सान को बढ़ाना’ चाहता है जबकि ‘इसराइल इसे कम करना चाहता है।’

उन्होंने कहा कि ‘ये दुख की बात है कि दक्षिण अफ्रीका ने कोर्ट के सामने बेहद तोड़-मरोड़ कर तथ्यात्मक और क़ानूनी तस्वीर को पेश किया है। ये पूरा मामला मौजूदा संघर्ष की हकीकत के संदर्भ से हटकर और जोड़-तोड़ वाले विवरण के आधार पर जानबूझकर बनाया गया है।’

गुरुवार को इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में मौजूद नहीं थे। हालांकि दक्षिण अफ्रीका की तरफ से दलील पेश किए जाने के बाद उन्होंने कहा कि ‘दक्षिण अफ्रीका चिल्लाने का ढोंग कर रहा है।’

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की आलोचना की और कहा कि जब सीरिया और यमन में ‘हमास के सहयोगी संगठन’ लोगों पर अत्याचार कर रहे थे, वो खामोश रहा था।

उन्होंने कहा, ‘हम आतंकवाद से लड़ रहे हैं, हम झूठ से लड़ रहे हैं। आज हमने एक उलटी दुनिया देखी। इसराइल पर जनसंहार का आरोप लगाया जा रहा है जबकि वो जनसंहार के खिलाफ लड़ रहा है।’

इसराइली सेना ने कहा है कि उसके हमलों में आम नागरिकों को कम से कम नुक़सान हो इसके लिए वो हर तरह के कदम उठा रहा है।

सेना ने कहा इन कदमों में हमलों के बारे में जानकरी देने वाले पर्चे गिराने, किसी इमारत को निशाना बनाने से पहले आम नागरिकों को फ़ोन कर उन्हें इमारत खाली करने को कहने और रास्ते में आम लोगों के होने पर हमला रोकने जैसे कदम शामिल हैं।

इसके साथ इसराइली सरकार भी बार-बार कहती रही है कि उसके हमलों का निशाना हमास के ठिकाने हैं और वो आम फिलीस्तीनी नागरिकों को अपना निशाना नहीं बनाना चाहता।

आरोन बराक कौन हैं?

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के 17 जजों की बेंच में आरोन बराक भी शामिल हैं। इसराइल ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व अध्यक्ष आरोन बराक को आईसीजे में बतौर जज नामित किया है।

आईसीजे के नियमों के अनुसार जजों की बेंच में अगर पहले से ही किसी मुल्क की राष्ट्रीयता के कोई जज नहीं हैं, तो वो अपने मामले की सुनवाई में शामिल होने के लिए एक एड-हॉक जज चुन सकते हैं जो बेंच का हिस्सा होंगे।

इसराइल में दक्षिणपंथी झुकाव पाली पार्टियां आरोन बराक की निंदा करती रही हैं। उन्हें नामित करने का इसराइल का फैसला यहां के सत्ताधारी गठबंधन के लिए भी चौंकाने वाला था।

आरोन बराक इसराइली सुप्रीम कोर्ट के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। वो बीते साल न्यायिक सुधारों के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के विवादित प्रस्ताव का विरोध करने के लिए जाने जाते हैं।

मामले की सुनवाई से पहले दक्षिण अफ्रीका ने भी पूर्व डिप्टी चीफ़ जस्टिस दिक्गांग मोसेनेक को अपनी तरफ से एड-हॉक जज नामित किया है।

विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं?

एक तरफ कोर्ट के भीतर दोनों पक्ष एक-दूसरे के आमने सामने हैं तो दूसरी तरफ कोर्ट के बाहर भी हलचल कम नहीं थी। यहां पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की है ताकि फिलीस्तीनी समर्थक और इसराइली समर्थक एक-दूसरे के आमने-सामने न आने पाएं।

मामले की सुनवाई की प्रक्रिया दिखाने के लिए कोर्टरूम से लाइव फीड की व्यवस्था की गई है और इसके लिए कोर्ट के बाहर बड़ी-सी स्क्रीन लगाई गई है। इस स्क्रीन के नीचे कई लोग फिलीस्तीनी झंडे लिए खड़े हैं।

वहीं कई लोग अपने हाथों में नेल्सन मंडेला की तस्वीरें लिए हैं और गजा में मानवीय स्थिति के बारे में दलील पेश कर रही दक्षिण अफ्रीका की कानूनी टीम के सामने इसकी तुलना और मंडेला के दौर में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के दौर करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस जगह से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक सांकेतिक सबात टेबल (कुछ धर्म को मानने वालों के लिए आराम करने का दिन) लगाया गया है।

इसके साथ लगी कुर्सियों को खाली छोड़ दिया गया है, लेकिन उन पर उन 130 से अधिक लोगों की तस्वीरें रखी हैं, जो हमास के हमले में या तो मारे गए हैं या फिर जिन्हें हमास के लड़ाके अपने साथ अगवा कर ले गए हैं।

आगे क्या होगा?

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च कोर्ट है। इसका फैसला सैद्धांतिक और कानूनी रूप से उन देशों पर बाध्यकारी है जो आईसीजे के सदस्य हैं। इसराइल और दक्षिण अफ्रीका दोनों ही इसके सदस्य हैं, लेकिन कोर्ट के पास फैसले को लागू कराने की अपनी कोई शक्ति नहीं है।

ऐसे में जनसंहार के आरोप से जुड़ा जो भी फैसला आईसीजे देगी उसे केवल उसकी राय माना जाएगा। हालांकि इस पर पूरी दुनिया की नजर जरूर रहेगी।

इस मामले में आखिरी फैसला आने में सालों का वक्त लग सकता है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका की गुजारिश पर कोर्ट जल्द इस मामले में अपना फैसला दे सकती है और इसराइल से अपना सैन्य अभियान रोकने के लिए कह सकती है।

बीते साल सात अक्तूबर को हमास ने गजा सीमा की तरफ से इसराइल पर हमला किया था। हमास के हमले में 1,300 लोग मारे गए और 240 लोगों को अगवा कर अपने साथ बंधक बनाकर ले गए।

इस हमले की जवाबी कार्रवाई में इसराइल ने पूरे गजा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।

हमास के नियंत्रण वाले स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इसराइल के हमलों में गजा में अब तक 23,350 लोगों की मौत हुई है, हजारों घायल हुए हैं जबकि लाखों विस्थापित हैं। यहां मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

दक्षिण अफ्रीका चाहता है आईसीजे ‘इसराइल को जल्द से जल्द गजा में अपना सैन्य अभियान रोकने’ का आदेश दे। लेकिन ये भी एक तरह से तय है कि इसराइल इस तरह के आदेश को नजरअंदाज करेगा और इसे लागू करने को लेकर उस पर दबाव नहीं बनाया जा सकेगा।

साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध का मामला भी आईसीजे पहुंचा था। आईसीजे ने रूस को आदेश दिया था कि वो यूक्रेन में ‘जल्द से जल्द अपना सैन्य अभियान रोके’। लेकिन रूस ने इस आदेश को नजरअंदाज कर दिया।

रूस-यूक्रेन युद्ध अगर कुछ और सप्ताह जारी रहा तो इसे दो साल पूरे हो जाएंगे। (bbc.com/hindi)

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