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राम मंदिर, इसके आंदोलन, और मोदी पर क्या बोले आडवाणी...
13-Jan-2024 4:40 PM
राम मंदिर, इसके आंदोलन, और  मोदी पर क्या बोले आडवाणी...

1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि वो केवल रथ के सारथी रहे लेकिन ये भाग्य का फैसला है कि एक दिन राम मंदिर हकीकत बन जाएगा।

अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि ‘राष्ट्रधर्म’ नाम की एक हिन्दी पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में लालकृष्ण आडवाणी ने 33 साल पहले की घटनाओं को याद किया और कहा कि वो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाना चाहते हैं।

उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें खुशी है कि भगवान राम ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने भक्त को चुना है।

‘श्री राम मंदिर: एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति’ नाम का ये लेख, 76 साल पुरानी इस पत्रिका के 15 जनवरी के अंक में छपने वाला है। इसमें लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक निकाली गई रथ यात्रा को याद करते हुए लिखा, ‘मैं तो केवल सारथी था, नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर अवश्य बनेगा।’

पत्रिका का ये अंक 22 तारीख को अयोध्या में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी लोगों को दिया जाएगा।

उन्होंने लिखा, ‘रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था।’

उन्होंने यात्रा में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में लिखा कि मोदी उस वक्त अधिक चर्चित नहीं थे और वो यात्रा के समय उनके साथ थे।

उन्होंने लिखा, ‘जब प्रधानमंत्री मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, उस वक्त वो भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व कर रहे होंगे। मुझे उम्मीद है कि भगवान राम के मूल्यों को सीखने में ये मंदिर लोगों की मदद करेगा।’

लोग अपनी आस्था छिपाकर जी रहे थे- आडवाणी

अख़बार के अनुसार आडवाणी ने लिखा है कि 1990 के दौर में उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि उनकी रथ यात्रा एक बड़े आंदोलन का रूप ले लेगी। उन्होंने मंदिर को हक़ीक़त में बदलने और बीजेपी का वादा पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी है और लिखा है, ‘मोदी उस वक्त लोगों के सामने नहीं आए थे और मेरे साथ थे। भगवान राम ने अपने भक्त को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना है।’

उन्होंने यात्रा के बारे में लिखा कि इसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।

वो लिखते हैं, ‘मैंने देखा कि मंदिर के लिए लोगों का समर्थन बढ़ता जा रहा था। ‘जय श्री राम’ और ‘सौगन्ध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा चारों तरफ गूंज रहा था।’

अखबार के अनुसार वो लिखते हैं, ‘रथ यात्रा ने मुझे कुछ ऐसे अनुभव दिए जिनका मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा। सुदूर गांवों में अनजान ग्रामीण रथ देखकर मेरे पास आते थे। वो लोग भावुक हो जाते थे। वो मुझे बधाई देते, फिर भगवान राम के नारे लगाते और चले जाते।’

वो लिखते हैं कि वो इस बात से आश्वस्त हो गए थे कि हजारों लोग अयोध्या में राम मंदिर का सपना देखते हैं लेकिन वो अपनी आस्था छिपाकर जी रहे थे।

आडवाणी ने लिखा आखिरकार 22 जनवरी को हजारों गांववालों की छिपाकर रखे गए सपने सच्चाई का रूप लेंगे।

उन्होंने ये भी लिखा कि उनके सामने ये एक ऐसा मौका है जब वो लंबे वक्त तक अपने वरिष्ठ रहे नेता अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर रहे हैं। 2018 में वाजपेयी का निधन हो गया था। (bbc.com/hindi)

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