विचार / लेख
टेसा वांग
बहुत कड़े मुक़ाबले में ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव में विलियम लाई के जीतने के साथ जैसे ही सरगर्मी कम हुई, एक अप्रत्याशित विजेता का नाम चर्चा में है।
शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में ताइवान के एक चौथाई मतदाताओं, जिनमें अधिकांश युवा हैं, ने एक ऐसे राजनेता वेन-जे को वोट किया, जो स्वतंत्र विचार वाले माने जाते हैं।
वेन की नई नवेली ताइवान पीपल्स पार्टी (टीपीपी) ने आठ सीटें जीती हैं, जो कि संसद में सत्ता तक भी पहुँच सकती है, जहाँ अभी किसी का बहुमत नहीं है।
हालांकि टीपीपी की बढ़त अभी उतनी नहीं है और ख़ुद को वेन-जे तीसरे नंबर पर रहे हैं लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि उन्होंने ताइवान के राजनीतिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया है।
यहां लंबे समय से दो पार्टियों का दबदबा था, कोमिंतांग (केएमटी) और विलियम लाई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी)।
अटलांटिक काउंसिल्स ग्लोबल चाइना हब के नॉन रेजिड़ेंट फ़ेलो और राजनीति विज्ञानी वेन-ती सुंग के अनुसार, ‘अब यह दो पार्टियों का मुक़ाबला नहीं रहा, यह त्रिकोणीय हो गया है।’
हालांकि को वेन-जे ताइपे के पूर्व मेयर रहे हैं और मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं लेकिन राष्ट्रपति पद की दौड़ में यह उनका पहला मौक़ा था।
उन्होंने अपने चुनाव प्रचार अभियान में चीन और ताइवान के रिश्ते में मध्य-मार्ग अपनाते हुए नीले और हरे को हटाने का अह्वान किया- नीला केएमटी के और हरा डीपीपी के झंडे का रंग है।
नौजवानों में लोकप्रिय
साल 2016 से ही ऐसी अन्य पार्टियां रही हैं, जिन्होंने चुनावों में कुछ सफ़लता हासिल की। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि टीपीपी का प्रदर्शन बताता है कि मतदाता अब अधिक बहलुवादी राजनीतिक माहौल चाहते हैं और यह भावना ताइवान के नौजवानों में अधिक है।
शनिवार को जब नतीजे आए तो बहुत से नौजवान निराश हुए। कुछ ने तो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर चुनावी धांधली के भी आरोप लगाए।
आकर्षण के केंद्र में ख़ुद को वेन-जे थे जो सीधी बात करने वाले राजनेता हैं तो कभी-कभार आक्रामक रुख़ अपना सकते हैं।
युवा लोग उन्हें उत्सुकता और अपनापन से देखते हैं, हालांकि मर्दवादी और समलैंगिकता विरोधी माने जाने वाले उनके कुछ बयानों को लेकर उनकी आलोचना भी हुई है।
लेकिन नौजवानों में मौजूदा राजनीतिक पार्टियों को लेकर धैर्य टूट रहा है, जो लंबे समय से चले आ रहे आर्थिक मुद्दों को हल नहीं कर पाईं, जैसे, कम वेतन और महंगे आवास का मुद्दा, जिससे युवा पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित है।
युवा पीढ़ी ने साल 2000 से ही देखा है कि शासन में बारी-बारी से डीपीपी या केएमटी ही शासन करती है, हालांकि इस बार विलियम लाई ने यह चक्र तोड़ा है।
पुरानी पार्टियों का ज़माना ख़त्म होगा
28 साल के सैनिक हुआंग ने बीबीसी से कहा, ‘एक नई पार्टी डीपीपी और केएमटी का ज़माना ख़त्म कर रही है। यह नई पीढ़ी के उठने का समय है और टीपीपी मुझे ज़्यादा नई लग रही है।’
नेशनल चेंगची यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान पढ़ाने वाले लेव नेचमैन ने कहा, ‘वैकल्पिक राजनीति की यह मांग इतनी अधिक नहीं है कि राजनीति तंत्र को बिखरा दे, लेकिन यह अन्य पार्टियों को और व्यापक मतदाताओं तक पहुंचने के लिए मजबूर करती है।’
सुंग कहते हैं कि लेकिन साथ ही यह टीपीपी को भविष्य में एक ताक़त और ताइवान में दूसरी राजनीतिक शक्ति बनने का मौक़ा भी देती है।
को वेन-जे का मत प्रतिशत, केएमटी के उम्मीदवार हू यू-इह से महज 7त्न कम था। लेकिन चीज़ें तभी सही दिशा में जाएंगी जब वो सधा हुआ क़दम उठाएंगे।
कार्नेगी चाइना में नॉन रेजिडेंट फ़ेलो इयान चोंग ने कहा, ‘टीपीपी का समर्थन मज़बूत है लेकिन सवाल है कि क्या वो टिक पाएगी?’
‘यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इसकी टीम ज़मीन पर कितनी है और विधायिका में इसका कैसा प्रदर्शन रहता है और साथ ही सिद्धांतों, नीतियों और मूल्यों पर भी बहुत कुछ निर्भर होगा।’
टीपीपी की चुनौतियां
वर्तमान में टीपीपी उन मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश में है जो नाख़ुश हैं और को वेन-जे पर ही पूरी पार्टी टिकी है।
वो कहते हैं, ‘सामाजिक आंदोलन के लिए शख़्सियतों की ज़रूरत होती है। लेकिन इसे आगे के लिए टिकाए रखने और अपने आइडिया से समर्थकों को आकर्षित करने की ज़रूरत होती है।’
टीपीपी समर्थक हैरिसन वू ने कहा, ‘मुझे लगता है कि को वेन-जे को अब अपनी पार्टी को और व्यवस्थित करना होगा। वो भी जानते हैं कि यह वन मैन पार्टी है, उन्हें अपने उत्तराधिकारियों को विकिसित करना होगा। क्योंकि वो खुद 64 साल के हो चुके हैं।’
शनिवार को विलियम लाई से हारने के बाद को वेन-जे ने माना कि उनका रास्ता अभी लंबा है और वो इसे तय करेंगे।
उन्होंने अपने समर्थकों से कहा, ‘मैं आप लोगों से कहूंगा कि हार न मानें क्योंकि मैंने हार नहीं माना है, टीपीपी हार नहीं मानेगी। मैं जानता हूं कि आज रात आप सभी दुखी हैं। लेकिन असल में हमारे पास दुखी होने सा समय नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर हम अगले चार सालों में धैर्य पूर्वक काम जारी रखते हैं तो हम और अधिक पहचान के साथ जीतेंगे और अधिक ताक़त हासिल करेंगे। अगली बार हम सत्ता संभालेंगे और निश्चित रूप से इस देश का भी भरोसा जीतेंगे। हमने पहले ही काफ़ी चमत्कार किए हैं।’ (bbc.com)