विचार / लेख

महाकाव्य में बदलाव करने का सोचिए
16-Jan-2024 3:51 PM
महाकाव्य में बदलाव करने का सोचिए

 आभा शुक्ला

तुलसीदास ने कई ऐसी बातें लिखीं जिनसे समाज पथभ्रष्ट हुआ। खासकर जो उन्होंने हम महिलाओं के बारे में लिखा उसके लिए मेरी निजी खुन्नस है। तुलसीदास से आपको उनमें आस्था है तो रखिए,पर अगर अब के समय वो होते तो मैने उनके खिलाफ मुकदमा दायर कर रखा होता इसमें भी कोई दो राय नहीं।

ढोल,गंवार,शूद्र,पशु, नारी सकल ताडऩा के अधिकारी पर आप उनका बचाव ये कहकर कर लेते हैं कि यहां ताडऩा का वो अर्थ नहीं है। मंै इस चौपाई को छोड़ ही देती हूं, बाकी को देख लीजिए।

बृद्ध रोगबस जड़ धनहीना, अंध बधिर क्रोधी अति दीना

ऐसेहु पति कर किएँ अपमाना, नारि पाव जमपुर दुख नाना,

एकइ धर्म एक ब्रत नेमा, कायँ बचन मन पति पद प्रेमा, भावार्थ- वृद्ध, रोगी, मूर्ख, निर्धन, अंधा, बहरा, क्रोधी और अत्यन्त ही दीन ऐसे भी पति का अपमान करने से स्त्री यमपुर में भाँति-भाँति के दु:ख पाती है। शरीर, वचन और मन से पति के चरणों में प्रेम करना स्त्री के लिए, बस यह एक ही धर्म है, एक ही व्रत है और एक ही नियम है।

आप बताइए ये कोई न्याय है। वृद्ध और रोगी का एक बात ठीक है पर मूर्ख, अंधा, घरेलू हिंसा करने वाला व्यक्ति अगर पति है तो उसके चरणों से भी प्रेम करना स्त्री का धर्म है  वाह ये था तुलसी का सामाजिक न्याय अगर देवी होना ये है तो फिर दासी होना क्या है ?

और देखिए आगे-

 नारि सुभाऊ सत्य सब कहहीं। अवगुन आठ सदा उर रहहीं।

साहस अनृत चपलता माया। भय अबिबेक असौच अदाया।

अब बताइए हम कैसे डाइजेस्ट कर लें इन बातों को आपकी आस्था है तो मुझे इससे आपत्ति नहीं पर मेरा बैर है तुलसी से और वो हमेशा रहेगा मेरी नजर वो घोर स्त्री विरोधी व्यक्ति थे। आप कहां-कहां उनका बचाव करेंगे ताडऩ का अर्थ बदल कर नहीं कर पाएंगे। बेहतर है गलती मान कर सरेंडर कर दीजिए और महाकाव्य में बदलाव करने का सोचिए बाकी लकीर के फकीर तो आप हैं ही।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news