विचार / लेख

इन लोगों का बस चले तो....
17-Jan-2024 4:24 PM
इन लोगों का बस चले तो....

ममता सिंह

अक्सर किसी तेज़ तर्रार सुंदर मुंदर बेसिक के टीचर से मिलने पर लोग कहते हैं अरे आप इस नौकरी के लायक नहीं, यहां कहां फंस गए! आपको तो अधिकारी बनना चाहिए था या कम से कम इंटर या डिग्री कॉलेज में होना चाहिए था(यूं तो नब्बे प्रतिशत बेसिक वाले इसी कुंठा में जीते हैं कि कहां तो उन्हें बनना अधिकारी था पर बन गए मास्टर) सो बेसिक वाला मास्टर बेचारा आधा तीतर आधा बटेर बनकर नौकरी करता है मतलब उसका शरीर तो बेसिक में रहता है पर उसकी आत्मा लोक सेवा आयोग के गेट पर धरना दिए रहती।

यही खैरख्वाह लोग इंटर कॉलेज वाले को डिग्री कॉलेज भेजते फिरते और जो डिग्री कॉलेज में हो उसे यूनिवर्सिटी ..और तो और यूनिवर्सिटी वाले को यह लोग विदेश की यूनिवर्सिटी के सपने दिखाते फिरते।

फिर भाई लोग लोअर वाले को पीसीएस..पीसीएस को आईएएस लायक बताते हैं (आईएएस को किस लायक बताते मुझे नहीं मालूम क्योंकि हमारी तरफ़ सबसे बड़ी और शान की नौकरी यही मानी जाती है) मने जो जहां है वहां खुश न रहे, मन न लगाए इसका पूरा इंतजाम यह शुभचिंतक लोग किए रहते हैं वह भी तब जबकि हमारे यहां हर किसी को यह मुगालता रहता कि वह जिस काबिल था उसके हिसाब से नौकरी (या छोकरी/छोकरा)नहीं मिली/मिला।

इन लोगों का बस चले तो चींटी को हाथी की जगह लेने और मछली को उडऩे, चिडिय़ा को पानी में रहने का मशवरा दे चुके होते।

भाई जो जहां है वहीं पर क्यों नहीं अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकता? ऐसे लोग जब मुझसे कहते हैं कि तुम गलत जगह फंसी हो,  तुम इससे बेहतर डिजर्व करती थी तो मेरा जवाब होता है कि आप बिल्कुल फिक्र न करें मैं ठीक उसी जगह पर हूं जहां मुझे होना था और मुझे हमेशा हमेशा के लिए बिना कुंठा, बिना अफसोस के यहीं रहना है।

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