विचार / लेख

जन से बदसलूकी करते जन सेवक!
20-Jan-2024 4:27 PM
जन से बदसलूकी करते जन सेवक!

 डॉ. आर.के. पालीवाल

आज़ादी के बाद जन प्रतिनिधियों और जन सेवकों में जन के प्रति दुष्प्रवृत्तियां निरंतर बढ़ी हैं। जन प्रतिनिधि जन सेवकों को अपना व्यक्तिगत गुलाम समझने लगे हैं और चाहते हैं कि नौकरशाही उनके इशारों पर नाचते हुए नियम कानून को धता बताकर वही काम करे जो वे चाहते हैं। दूसरी तरफ जन सेवक जनता को अपना गुलाम समझने लगे हैं और चाहते हैं कि जनता उनके हर आदेश को ईश्वर का आदेश समझकर चुपचाप अनुसरण करे।मध्य प्रदेश में हाल की दो घटनाओं ने इस मुद्दे पर मीडिया और लोगों का ध्यान खींचा है। पहली घटना में ड्राइवर हड़ताल के दौरान एक जिला कलेक्टर द्वारा आयोजित बैठक में सरेआम एक ड्राइवर को उसकी औकात बताने का वीडियो सामने आया था। इस कलेक्टर को सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तुरंत प्रभाव से जिले से हटा दिया था। इसके बावजूद नौकरशाही पर कोई असर नहीं हुआ और इस घटना के कुछ दिन बाद एक तहसीलदार एक किसान को चूजा कहती हुई दिखाई दी ।तहसीलदार और कलेक्टर क्रमश: तहसील और जिले में राज्य सरकार के प्रमुख प्रतिनिधि और शासन के प्रतीक होते हैं। जब आमजन के प्रति उनके व्यवहार इस तरह के होंगे तब उनके मातहत काम करने वाले जूनियर अफसर और कर्मचारी भी जनता से इसी तरह की बदसलूकी करते हैं।

    गांव गांव में पटवारियों द्वारा किसानों और गरीबी रेखा से नीचे आने वाले नागरिकों के उत्पीडऩ और दुर्व्यवहार की शिकायतें भी आम हैं लेकिन वे मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाती क्योंकि अधिकांश पीडि़त ग्रामीण इन घटनाओं के वीडियो नहीं बना पाते और उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल नहीं कर पाते। इसी तरह ग्राम पंचायत के सचिवों की मनमानी की भी हर गांव में अनंत कहानियां सुनने को मिलती हैं। थानों और पुलिस एवम आर टी ओ आदि की चेकपोस्ट पर भी जनता को आए दिन ऐसी ही बदसलूकी और बदतमीजी का सामना करना पड़ता है। आम जनता से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का अच्छा व्यवहार अपवाद सरीखा हो गया है।विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के प्रतिनिधियों, परिजनों और ओ एस डी आदि से यही अधिकारी और कर्मचारी बहुत इज्जत से पेश आते हैं और मंत्रियों के सामने तो दंडवत प्रणाम की मुद्रा में रहते हैं लेकिन जनता के साथ तरह तरह से दुर्व्यवहार करते हैं।

जन प्रतिनिधियों और जन सेवकों का दुर्व्यवहार भ्रष्टाचार की अविरल गंगा के कारण भी बढ़ा है। इस मैली गंगा में  ऊपर से नीचे तक काफी बडी संख्या में जन प्रतिनिधियों और जन सेवकों के नग्न स्नान के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों को विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही का कोई भय नहीं रहा क्योंकि उन्हें विश्वास है कि घूस और रसूख के दोहरे बल से वे जस के तस रहेंगे। हाल ही में मध्य प्रदेश के वन विभाग के एक जूनियर अधिकारी का भी एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह अपनी घूसखोरी को सरेआम जायज ठहराते हुए कह रहा था कि वह अपनी पोस्टिंग के लिए मंत्री तक घूस देकर आया है इसलिए कोई उसका बाल बांका नहीं कर सकता। घूस देकर पोस्टिंग या मंत्री और मुख्यमंत्री की गुलामी की गारंटी देकर मलाईदार माने जाने वाले पदों पर नियुक्तियां हमारे समय का ऐसा कड़वा सच है जिसे कोई ईमानदार नागरिक नकार नहीं सकता। जो व्यक्ति शीर्ष पर बैठे आकाओं को घूस देकर या उनके उल्टे सीधे कामों को पूरा करने की गारंटी देकर किसी जिले, तहसील, थाने या पंचायत की कमान संभालेगा वह दी गई घूस की तुलना में कई गुना ज्यादा घूसखोरी करता है। ऐसे अधिकारी और कर्मचारी ज्यादा घूसखोरी करने के लिए भी आम जनता से बदसलूकी करते हैं क्योंकि वे यह अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी छोटी मोटी शिकायतों को ऊपर वाले ठंडे बस्ते में डाल देंगे। दो चार अफसरों के ट्रांसफर या सस्पेंड होने से हालात सुधरने की संभावना नहीं है। जब तक संविधान और कानून का राज नहीं होगा तब तक जमीनी स्थितियां बद से बदतर होती जाएंगी।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news