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केजरीवाल की सीबीआई के हाथों गिरफ्तारी के क्या मायने हैं
27-Jun-2024 7:30 PM
केजरीवाल की सीबीआई के हाथों गिरफ्तारी के क्या मायने हैं

सीबीआई ने बुधवार को शराब नीति से जुड़े कथित घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है।

आज ही इस मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई होनी थी।

लेकिन इससे पहले राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज अमिताभ रावत ने सीबीआई को उन्हें गिरफ्तार करने की अनुमति दे दी।

केजरीवाल को इससे पहले कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। इस समय वो तिहाड़ जेल में बंद हैं।
सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल के लिए पांच दिन की हिरासत की मांग की है। कोर्ट ने अभी इस पर कोई फैसला नहीं दिया है।

अरविंद केजरीवाल के वकील ने कहा कि सीबीआई जिस आधार पर अरविंद केजरीवाल को हिरासत में रखना चाहती है, उसका आधार बेहद कमजोर और अस्पष्ट है। ये सत्ता के ताकत के दुरुपयोग का क्लासिक केस है।

केजरीवाल और सीबीआई के बीच आरोप-प्रत्यारोप
अदालत में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वो निर्दोष हैं। साथ ही उन्होंने पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और और पूरी आम आदमी पार्टी को भी बेकसूर करार दिया।
समाचार एजेंसी पीटीआई की मुताबिक केजरीवाल ने अदालत से कहा, ‘सीबीआई के स्रोतों के हवाले से मीडिया में ये दिखाया जा रहा है कि मैंने अपने बयान में सारा दोष मनीष सिसोदिया पर मढ़ दिया है। लेकिन मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, जिसमें मनीष सिसोदिया या किसी और पर दोष मढ़ा है। मैंने कहा था कि मैं निर्दोष हूं। सिसोदिया निर्दोष हैं और आम आदमी पार्टी निर्दोष है।’

केजरीवाल ने कहा, ‘उनका पूरा प्लान मुझे मीडिया के सामने बदनाम करना है। इसे रिकॉर्ड कीजिए, सब कुछ सीबीआई के सूत्रों के हवाले से मीडिया में चलाया गया है।’
हालांकि सीबीआई ने कहा है कि उसके किसी सूत्र ने कुछ भी नहीं कहा है।

कोर्ट से केजरीवाल को हिरासत के में रखे जाने की मांग करते हुए सीबीआई ने कहा कि इस मामले में बड़ी साजिश का पता करने के लिए ये जरूरी है।

सीबीआई ने कहा, ‘केजरीवाल से हिरासत में पूछताछ जरूरी है। क्योंकि वो तो इस बात को भी नहीं मान रहे हैं उनके सह आरोपी विजयन नायर उनके मातहत काम कर रहे थे। वो कह रहे हैं कि नायर तो आतिशी मर्लेना और सौरभ भारद्वाज के मातहत काम कर रहे थे। उन्होंने सारा दोष मनीष सिसोदिया पर मढ़ दिया। उनसे पूछताछ करनी होगी। उनके सामने हमें दस्तावेज रखने होंगे।’

ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि दस्तावेजों से आमना-सामना कराने के लिए केजरीवाल की हिरासत की जरूरत है।

सीबीआई ने यह भी दावा किया कि शराब ठेकों के निजीकरण का जिम्मा दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया पर डालते हुए केजरीवाल ने कहा कि यह उनका ही आइडिया था।
विजय नायर आम आदमी पार्टी का पूर्व कम्युनिकेशन इंचार्ज हैं, जो दिल्ली शराब घोटाले के मुख्य अभियुक्तों में से एक हैं।

सीबीआई ने केजरीवाल के बारे में क्या कहा
सीबीआई ने कहा, ‘दिल्ली में कोविड से मौतें हो रही थीं। और शराब नीति तय करने की जल्दी हो रही थी। जब कोविड था तो दिल्ली पर किसका शासन था। मुख्यमंत्री का। एक दिन शराब नीति पर हस्ताक्षर हुए और उसी दिन ये अधिसूचित हो गई। साउथ लॉबी दिल्ली में बैठी हुई थी ये देखने के लिए उसके सामने इस पर दस्तखत हो और ये नोटिफाई हो जाए।’

सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल पर ये आरोप भी लगाया है कि वो उसे बदनाम करने की कोशिश कर रही है।

जब अदालत ने पूछा कि अरविंद केजरीवाल को अभी क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है। तो उसने कहा कि वो चुनाव के समय में उन्हें गिरफ़्तार नहीं करना चाहती थी।

अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने कहा कि पूरा सिस्टम यह सुनिश्चित करने में लगा है कि उनके पति जेल से बाहर न निकलें। उन्होंने कहा सब कुछ तानाशाही और इमरजेंसी की तरह लग रहा है।

आम आदमी पार्टी ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने वाली थी। इसलिए बीजेपी घबरा गई और उन्हें ‘फर्जी केस’ में गिरफ़्तार करवा दिया।

सुनीता केजरीवाल ने एक्स पर लिखा, ‘अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिल गई थी लेकिन ईडी ने इसे स्टे करवा दिया।’
‘अगले दिन सीबीआई ने उन्हें आरोपी बनाया। और आज उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। पूरा सिस्टम मिल कर ये सुनिश्चित करने में लगा है कि ये आदमी जेल से बाहर न आने पाए। ये कोई कानून नहीं है। ये तानाशाही है। इमरजेंसी है।’

केजरीवाल को कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें इस मामले में 20 जून को जमानत दे दी थी।

लेकिन ईडी ने ट्रायल कोर्ट के इस फ़ैसले दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और दावा किया था कि राउज़ एवेन्यू कोर्ट की एक जज न्याय बिंदु ने रिकॉर्ड पर दस्तावेजों को पढ़े बिना ही अभियुक्त को जमानत देने का फ़ैसला किया।

सीबीआई की गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर वह याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी जमानत पर रोक लगाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, ‘जब से दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है मुख्यमंत्रियों की तकलीफ बढ़ी है, परेशानियां बढ़ी है। दिल्ली (केंद्र सरकार) सरकार से जो सहयोग और मदद मिलनी चाहिए उसे भी सरकार ने पूरा नहीं किया।’

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार ने सबसे ज्यादा भेदभाव अगर किसी के साथ किया है तो वो दिल्ली सरकार के साथ और खासकर अरविंद केजरीवाल जी के साथ किया है। केंद्र सरकार लगातार उनको तकलीफ परेशानी पहुंचा रही है। जब उन्हें हर जगह से राहत मिलने का काम शुरू हो गया, जब वो बाहर आ जाते तो वे निकल ना पाएं सरकार ना चला पाएं इसलिए फिर उन पर ना जाने कौन सा मुकदमा लगाकर उनको फंसा दिया गया। सीबीआई के लोग लगातार उन लोगों को फंसाते हैं और उनको फंसाते हैं जिनसे इनको (भाजपा) खतरा है।’

सीबीआई की गिरफ्तारी के क्या हैं मायने?
शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल के खिलाफ ईडी की पहले ही जांच चल रही है फिर सीबीआई की गिरफ्तारी के क्या मायने हैं?

दरअसल प्रवर्तन निदेशालय कथित मनी ट्रेल के बारे में जांच कर रहा है। जबकि सीबीआई को ये साबित करना है कि इस मामले में भ्रष्टाचार हुआ और जनसेवकों ने पैसा लिया है।

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल की इस साल मार्च में गिरफ्तार किया था। उस समय तक उनके खिलाफ कथित गैरकानूनी फंडिंग और इसके इस्तेमाल का ही आरोप था।

अप्रैल में सीबीआई ने जब केजरीवाल को पूछताछ करने के लिए बुलाया था कि उनके वकीलों ने कहा था क वो शराब नीति से जुड़े कथित घोटाले में एक गवाह हैं अभियुक्त नहीं।

अब केजरीवाल को अभियुक्त बनाने के लिए सीबीआई को कथित घोटाले से सीधे जोडऩे के लिए कुछ विश्वसनीय सबूत इक_ा करने होंगे।

दूसरी ओर ईडी के केस में भी उन्हें जमानत मिलने की प्रक्रिया लंबी होगी।

अगर सीबीआई केजरीवाल को अभियुक्त साबित करने में कामयाब हो जाती है तो वो लंबे समय तक जेल में बने रह सकते हैं। उनकी जमानत में भी देरी होगी। केजरीवाल के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी शायद यही चाहते हैं।

क्या है पूरा कथित शराब घोटाला
दिल्ली सरकार ने एक नई आबकारी नीति (आबकारी नीति 2021-22) नवंबर 2021 में लागू की थी।

नई आबकारी नीति लागू करने के बाद दिल्ली का शराब कारोबार निजी हाथों में आ गया था।

दिल्ली सरकार ने इसका तर्क दिया था कि इससे इस कारोबार से मिलने वाले राजस्व में वृद्धि होगी।

दिल्ली सरकार की यह नीति शुरू से ही विवादों में रही। लेकिन जब यह विवाद बहुत बढ़ गया तो नई नीति को ख़ारिज करते हुए सरकार ने जुलाई 2022 में एक बार फिर पुरानी नीति को ही लागू कर दिया।

मामले की शुरुआत दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, आर्थिक अपराध शाखा नई दिल्ली, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को भेजी गई रिपोर्ट से हुई।

यह रिपोर्ट 8 जुलाई 2022 को भेजी गई थी। इसमें एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रभारी होने के नाते सिसोदिया पर उपराज्यपाल की मंज़ूरी के बिना नई आबकारी नीति के जरिए फर्जी तरीके से राजस्व कमाने के आरोप लगाए गए।

रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनियों को लाइसेंस फ़ीस में 144.36 करोड़ की छूट दी गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के समय शराब विक्रेताओं ने लाइसेंस शुल्क माफी के लिए दिल्ली सरकार से संपर्क किया।

सरकार ने 28 दिसंबर से 27 जनवरी तक लाइसेंस शुल्क में 24.02 प्रतिशत की छूट दे दी।

रिपोर्ट के मुताबिक इससे लाइसेंसधारी को अनुचित लाभ पहुंचा, जबकि सरकारी खजाने को लगभग 144।36 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ।

जबकि अधिकारियों के मुताबिक, लागू हो चुकी नीति में किसी भी बदलाव से पूर्व आबकारी विभाग को पहले कैबिनेट और फिर उप-राज्यपाल के पास अनुमति के लिए भेजना होता है। कैबिनेट और उप-राज्यपाल की अनुमति के बिना किया गया कोई भी बदलाव गैर-कानूनी कहलाएगा।

रिपोर्ट सीबीआई को भेजी गई जिसके आधार पर बीते साल मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया।

मनीष सिसोदिया पर विदेशी शराब की कीमतों में बदलाव करने और प्रति बीयर 50 रुपये आयात शुल्क हटाकर लाइसेंस धारकों को अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप था।

(bbc.com/hindi)

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