गरियाबंद

एक दिसंबर की जगह 15 से धान खरीदी शुरू करें सरकार-चंद्रशेखर
01-Nov-2021 6:35 PM
एक दिसंबर की जगह 15 से धान खरीदी शुरू करें सरकार-चंद्रशेखर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 1 नवंबर।
जिला पंचायत सदस्य एवं भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश विशेष आमंत्रित सदस्य चंद्रशेखर साहू ने प्रदेश सरकार द्वारा एक दिसंबर से धान खरीदी किए जाने के निर्णय को किसान विरोधी बताते हुए 15 नवंबर से धान खरीदी किये जाने की मांग की है और 15 नवंबर से धान खरीदी नहीं होने पर आंदोलन की बात कही है।

चंद्रशेखर साहू ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार जब विपक्ष में थी, तब किसानों की समस्याओं को बता कर 15 नवंबर से धान खरीदी की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करती थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस का किसान विरोधी चेहरा सामने आ गया। सत्ता में आते ही किसानों की समस्या भूल गए व धान खरीदी एक दिसंबर से करने जा रही है।

छत्तीसगढ़ में धान की फसल तैयार है, लेकिन शासन इस सत्र में इसकी खरीदी एक माह देर से किये जाने से किसानों में बेचौनी है। हरुना किस्म की धान की कटाई शुरू हो गई है। किसानों को कटाई और मिजाई के बाद पैसों की जरूरत होती है। सामने दीपावली का त्यौहार है, जिसके कारण किसानों को पैसों की सबसे अधिक आवश्यकता इसी समय होती है ऐसे में प्रदेश के अधिकांश किसान औने पौने दामों पर कोचियों को धान बेचने पर मजबूर हैं। सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है, इसके बाद किसानों को टोकन के मारामारी होगी फिर बारदानों की कमी से जूझना पड़ेगा। सरकार अपनी अकर्मण्यता के बोझ को किसानों के ऊपर लाद रही है।

आगे कहा कि प्रदेश में इसी तरह धान के रकबे को गुपचुप ढंग से कम किए जाने की साजिश भी कांग्रेस सरकार रच रही है। अफसरों पर दबाव डाला जा रहा है। कर्मचारियों को जबरन धान का रकबा कम दिखाये जाने का निर्देश दिया जा रहा है। रकबे को कम कर धान खरीदने के अपने कर्तव्य से प्रदेश सरकार बचना चाहती है। चुनाव के समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी घोषणा की थी कि किसानों का एक-एक दाना धान खरीदेंगे, लेकिन अब किसानों का दाना दाना खरीदने में सरकार को दिक्कत है।जबकि केंद्र सरकार अधिकतम धान खरीदने तैयार है। दुर्भावनावश सरकार प्रदेश की जनता को अन्य योजनाओं की तरह धान खरीदी में भी केंद्र की भाजपा सरकार के निर्णयों का लाभ नहीं लेने दे रही है। कांग्रेस सरकार अपने वादे के अनुसार धान का 25 सौ रूपये प्रति क्विंटल कीमत एकमुश्त नहीं दे पा रही है, जो उनके किसान विरोधी होने का प्रमाण है।
 

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