बिलासपुर
राजनाथ सिंह, सौदान सिंह, डॉ. रमन ने 65 प्लस का झूठ देकर मोदी को भ्रमित किया
पार्टी की हालत अभी भी अच्छी नहीं, लीड लेंगे ऐसा सोचकर नहीं चलना चाहिए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 22 नवंबर। भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता ने सन् 2003 के चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री नहीं बनाने के लिये संगठन के शीर्ष नेताओं पर धोखा देने का आरोप लगाया है।
एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से चर्चा करते हुए साय ने कहा कि सन् 2003 में उन्हें मरवाही से टिकट दी गई। वहां लड़ाई नकली आदिवासी और असली आदिवासी के बीच थी। मुझे तो जीतना ही था, लेकिन वे मुख्यमंत्री थे (स्व. अजीत जोगी), ओरिजनल दुर्दांत थे। जीतना मुश्किल हो गया। अगर वे हार भी जाते तो उनके पास इतना सामथ्र्य था कि पेटी-वेटी लेकर निकलते और अपनी हार को जीत में बदल लेते।
साय ने बताया कि चुनाव के बाद हुई बैठक में उन्होंने उस वक्त के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम. वैंकेया नायडू से कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिये मेरा दावा बनता है। नायडू ने कहा कि मुख्यमंत्री तो आपको ही बनाना तय था लेकिन आप तो मरवाही चुनाव हार गए। मैंने कहा- अगर ऐसा तय था तो मुझे दो जगह से टिकट देनी थी। दूसरी बात, मुख्यमंत्री किसी को बनाना है तो उसका चुनाव जीतना जरूरी तो नहीं, वह बाद में भी जीतकर आ सकता है। नायडू ने कहा- नहीं, अब कुछ नहीं हो सकता। डॉ. रमन सिंह जो केंद्र में मंत्री थे, उनको इस्तीफा देकर बुलाया गया और सीएम बनाया गया जबकि 2003 की जीत में उनका कोई योगदान नहीं था। सारी लड़ाई हम लोग लड़े थे। (साय ने उस समय तपकरा विधानसभा से चुनाव लडऩे की इच्छा जताई थी, पर उन्हें जोखिम वाली मरवाही सीट से लडऩे कहा गया। तभी चर्चा हो रही थी कि उनको सीएम की दावेदारी से अलग करने का षडय़ंत्र हो रहा है।)
यह सवाल किये जाने पर कि बाद में भी आपको मौका नहीं मिला, इस साजिश में कौन लोग थे? साय ने कहा- वे लोग जो सत्ता में मिलने के बाद पॉवर में आ गये थे।
सवाल- मोदीजी से आपके अच्छे संबंध हैं, फिर उन्होंने क्यों विचार नहीं किया?
साय ने कहा- देखिये, उन तक दूसरी तरफ से बात पहुंचाई जा रही थी। सन् 2008 और 2013 के चुनाव में जब चुनाव प्रचार के लिये कहा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी क्या जरूरत है? संगठन के लोगों ने कहा कि प्रचार के लिये नहीं जाओगे, तो गड़बड़ हो जायेगा। हम सब जान रहे हैं, आपकी दावेदारी के बारे में। पॉवर आयेगा तो हम सब कुछ कर सकते हैं। सन् 2016 में मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जानकारी दे दी थी कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति खराब है। हालत तो मध्यप्रदेश और राजस्थान की भी ठीक नहीं है पर छत्तीसगढ़ में तो बहुत दुर्गति होगी, पार्टी निपट जायेगी। मोदी जी ने कहा- अब क्या करें? मैंने कहा- आपके हाथ में है, आप जान रहे हैं क्या करना है, कैसे करना है। किसी को भी बनाइये लेकिन नेतृत्व बदल दीजिये। वे लगभग सहमत थे लेकिन ऐसा कर नहीं पाये। उन्हें 65 प्लस का झूठ देकर भ्रमित कर दिया।
सवाल- किसने, अमित शाह ने या डॉ. रमन ने।
साय ने कहा- डॉ. रमन, सौदान सिंह और राजनाथ सिंह इसमें शामिल थे। और हुआ यह कि 15 साल की सरकार में जनता ने सिर्फ 15 सीट दी।
क्या इस चुनाव में भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा नंदकुमार साय होंगे?
साय ने कहा कि यह पार्टी हाईकमान को तय करना है। छत्तीसगढ़ में स्थिति बुरी है। बीजेपी लीड करेगी, ऐसा कुछ नहीं है। अगर अच्छे व्यक्ति का लीडरशिप यहां पर नहीं रहा तो नुकसान तय है। सिर्फ बूथ लेवल की मीटिंग करते रहेंगे भविष्य की योजना बैठकों में बनायेंगे तो कुछ नहीं होने वाला है।
क्या आपने सीएम पद के लिये दावा खुद नहीं किया है? साय ने कहा कि देखिये सार्वजनिक दावेदारी तो नहीं की जा सकती लेकिन पार्टी हाईकमान में बात पहुंचाई गई है। उनको निर्णय लेना चाहिये।
क्या आपको नहीं लगता कि छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुकाबले के लिये भाजपा को आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय ले लेना चाहिये।
साय ने कहा कि बिल्कुल, आदिवासी मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ का अधिकार है। अटल बिहारी वाजपेयी ने जब तीन राज्य दिये तो आदिवासी बाहुल्य झारखंड में आदिवासी सीएम ही दिया गया। भाजपा ने हर बार वहां से आदिवासी सीएम दिये। छत्तीसगढ़ में भी ऐसा नेतृत्व हो जो न केवल जनजातीय समुदाय बल्कि दूसरे समाज के लोगों का भरोसा जीत सके, नई उम्मीद जगा सके।
सवाल- लेकिन आदिवासी मुख्यमंत्री वाले झारखंड में सरकार स्थिर नहीं रहती, जबकि यहां छत्तीसगढ़ में स्थिर है।
साय ने कहा कि जो उपयुक्त होते थे, उनकी जगह किसी और को बना दिया जाता रहा। जिनमें योग्यता और सामथ्र्य हो उनको मौका मिलना चाहिए।
साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। न केवल हमारे जनजातीय समाज में बल्कि प्रदेश के सभी वर्गों में यह मसला गंभीर होता जा रहा है।