गरियाबंद

जैन तीर्थ स्थल श्री समवेद शिखर की पहाड़ी पर पवित्रता को बनाए रखने की मांग
20-Jan-2022 3:59 PM
जैन तीर्थ स्थल श्री समवेद शिखर की पहाड़ी पर पवित्रता को बनाए रखने की मांग

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम जैन समाज ने तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 20 जनवरी।
जैन धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र श्रीसमवेद शिखर की पहाड़ी जो झारखंड के गिरीडीह के मधुवन में स्थित है।
 जैन धर्म के कुल 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली होने के कारण संपूर्ण जैन समाज के लिए श्रीसमवेद शिखर पहाड़ का कण-कण एक मंदिर परिसर के समान पूज्यनीय एवं वंदनीय है। उस तीर्थ स्थल पर लाखों की संख्या में लोग जूता पहने चढ़े, यहां तक की मंन्दिरों की छतों एवं मंदिर के अंदर प्रवेश भी किये। उनके इन हरकतों से नगर सहित पूरे देश के लोग आक्रोशित हैं।

विरोध जताते हुए दिगम्बर जैन समाज ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के नाम से गोबरा नवापारा तहसीलदार रीमा मरकाम को ज्ञापन सौंपा और उचित कार्रवाई की मांग करते हुए ऐसे कृत्यों पर रोक लगाई जाने की मंाग की। जिसमें प्रमुख रूप से किशोर सिंघई, सुरीत जैन, रमेश चौधरी, संजय बोथरा, रमेश रांवका, अनिल चौधरी, प्रिंस पारख, विजय बाफना, तरूण बाफना, अम्बर सिंघई, मनीष जैन, आलोक पहाडिय़ा, रोहित जैन, पंकज जैन, अनुभव जैन, श्रीमती मधु बोथरा सहित अनेकों लोग उपस्थित थे।  

उल्लेखनीय है कि साल के बारहों महीनें विश्व भर से लाखों जैन तीर्थयात्री श्रद्धाभाव के साथ व्रत धारण कर नंगे पैर और शुद्ध सूती वस्त्रों में शरीर को गला देने वाली ठंड या फिर झुलसा देने वाली गर्मी में झारखंड की सबसे उंची पहाड़ी की 27 किलोमीटर की इस बेहद कठिन चढ़ाई वाले पहाड़ पर वंदना करने जाते है। सभी जैन तीर्थयात्री पारसनाथ पहाड़ की पवित्रता अक्षुण्ण बनाए रखने को अपना सर्वोच्च कर्तव्य समझते है।

स्थानीय आदिवासियों व नागरिकों ने भी इस पहाड़ की पवित्रता को बनाये रखना सदैव अपना कर्तव्य समझा है और कभी भी कोई ऐसी घटना नहीं हुई है कि स्थानीय आदिवासियों व नागरिकों व जैन समाज के बीच कोई विवाद हुआ हो। मगर पिछले कुछ महीनों से श्रद्धा के इस अक्षुण्ण तीर्थ स्थल की पवित्रता और सुचिता को सैर सपाटे व पिकनिक के नाम पर नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। पिकनिक, ट्रेकिंग या फिर मात्र मनोरंजन के लिए आने वाले यात्री इस पवित्र पहाड़ पर मांसाहार व शराब का सेवन करते पाए गए हैं जो अहिंसा व शान्ति प्रेमी जैन समुदाय के लिये बेहद पीड़ाजनक है साथ ही साथ कभी भी कोई छोटी सी चिंगारी इस पूरे क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश में एक बड़े विवाद व विरोध का कारण बन सकती है।

ये हैं प्रमुख मागें
जैन धर्मावलंबियों ने इस शाश्वत तीर्थ क्षेत्र की एक निश्चित परिधि मधुबन सहित सम्पूर्ण पारसनाथ पहाड़ी पर मांसाहार व शराब का विक्रय के साथ-साथ सेवन के भी कड़े प्रतिबंध किए जायें, अल्पसंख्यक समाज की मान्यताओं, धर्मिक विश्वासों, आस्था को संरक्षण प्रदान करें एवं धार्मिक अल्पसंख्यक जैन समाज  धर्मनिरपेक्ष देश भारत के संविधान की धारा 29 के अन्तर्गत जैन समाज के सर्वोच्च तीर्थ स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखने हेतु केन्द्र सरकार अपना संरक्षण प्रदान करते हुए उचित कदम उठाये।
 

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