गरियाबंद

बड़ों का सम्मान परंपरा ही नहीं, संस्कृति है-मकसूदन
14-Feb-2022 6:36 PM
बड़ों का सम्मान परंपरा ही नहीं, संस्कृति है-मकसूदन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा-राजिम, 14 फरवरी। राष्ट्रीय सेवा योजना, रेडक्रॉस सेठ फूलचंद अग्रवाल स्मृति महाविद्यालय ने अपने नियमित गतिविधि के अंतर्गत मातृ-पितृ दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित मकसूदन साहू बरीवाला, मोहन मनिकपन, डॉ. आरके रजक सहित स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मकसूदन साहू ने कहा कि सच्चा प्यार तो हमें अपने माता-पिता से ही मिलता है। दुनिया की लाखों दौलत उनके प्यार को नहीं खरीद सकता। भारत देवी-देवताओं का देश है, यहां बड़ों का सम्मान परम्परा ही नहीं, एक संस्कृति है। माता-पिता के सम्मान से जीवन सफल हो जाते हंै। जीवन में प्रसन्नता लाने तथा समस्याओं को सुलझाने में माता-पिता का विशेष योगदान होता है।

मोहन मनिकपन ने बताया कि यह पर्व विद्यालय में भी मनाया जाता है। माता-पिता का तिलक लगाकर, माला पहनाकर पूजन करते है। यह दृश्य सबके हृदय को छू लेता है और सभी का मन-भाव विभोर हो उठता है। माता-पिता अनुभव हमसे कंही ज्यादा है। उनका अनुभव हमें सहज ही मिलता है।

 कार्यक्रम संयोजक डॉ. आरके रजक ने कहा की 14 फरवरी को अंग्रेजी दिवस याने वेलेंटाइन डे का बहिष्कार करते हुए हिन्दू संस्कृति अपनाते हुए यह दिन मातृ-पितृ दिवस के रूप में मनाना चाहिए। जो व्यक्ति माता-पिता गुरुजनों को प्रणाम करता है, उनकी सेवा करता है। उसकी आयु, विधा, यश, बल बढ़ते है। यह केवल प्रेमी-प्रेमिका से नही बल्कि माता-पिता से भी प्यार जताने का दिन होता है। इस अवसर पर स्वयंसेवकों में प्रमुख रूप से तुलसी साहू, यामिनी साहू, साक्षी, गोपी, लक्ष्मी, रागिनी, पंकज, नितेश, अजित, पुष्पेन्द्र, मीणा, चंद्रशेखर, खुशी, लोमेश, ललिता, वरुण, नितलेश, पद्मनी सहित 42 स्वयंसेवकों को ने शपथ लिया की हम सभी अपने गाँव तथा घरों में इस दिवस को एक अलग अंदाज में मना कर लोगों को जागरूक करेंगे। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मी साहू तथा आभार तृप्ति साहू ने किया।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news