रायगढ़

तहसील मारपीट मामले में कथित वीडियो से मचा बवाल
18-Feb-2022 4:14 PM
तहसील मारपीट मामले में कथित वीडियो से मचा बवाल

कनिष्ठ प्रशासनिक संघ ने उठाई आरोपी पर एफआईआर की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 18 फरवरी। 
रायगढ़ तहसील में हुए पिटाई कांड का कथित नया वीडियो सामने आया है। इसमें शासकीय कर्मचारी को थप्पड़ मारते एक अन्य वकील दिखाई दे रहे हैं। आरोप है कि यह कथित वीडियो नायब तहसीलदार की पिटाई से पहले का है। कर्मचारी को थप्पड़ मारने वाले वकील ने ही शुरुआत की और बाकी को उकसाया। नया वीडियो सामने आने के बाद कनिष्ठ प्रशासनिक संघ ने उसका भी नाम एफआईआर में दर्ज कराने की बात कही है।

वायरल वीडियो में यह बात सामने आई है कि तमाम अधिवक्ता नारेबाजी करते हुए तहसीलदार सुनील अग्रवाल के कक्ष में दाखिल होते हैं। कक्ष में बैठा कर्मचारी उनसे कुछ कहने का प्रयास करता है। तभी फिर एक वकील उसे थप्पड़ मारता है और धक्का देता है। इसके बाद अन्य वकील भी हाथापाई करने लगते हैं। इसी दौरान वहां रखे सामान को भी फेंकने लगते हैं। इसके बाद नारेबाजी करते हुए कक्ष से सब बाहर निकल जाते हैं।

वीडियो सामने आने के बाद अफसरों की नाराजगी फिर बढ़ गई है। पहले से ही सभी आरोपी वकीलों की गिरफ्तारी को लेकर हड़ताल कर रहे तहसीलदार और नायब तहसीलदार भडक़ गए हैं। कनिष्ठ प्रशासनिक संघ की अध्यक्ष माया आंचल ने कहा कि वीडियो को लेकर वह पुलिस अफसरों से आज मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि कर्मचारी को थप्पड़ मारने वाले वकील का नाम भी एफआईआर में जुड़वाया जाएगा। उसकी भी गिरफ्तारी और कार्रवाई होनी चाहिए।

वहीं अधिवक्ता संघ भी गुरुवार से धरने पर बैठ गया है।  इसके अलावा राजस्व कोर्ट के मामलों की नोटरी नहीं करने की भी घोषणा की है। कोई भी अधिवक्ता गणवेश नहीं पहनेंगे। कोर्ट में काले कोट नजर नहीं आएंगे। अधिवक्ताओं का यह अनूठा विरोध होगा। इस बीच बुधवार को वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल बिलासपुर में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से भी मिला। स्टेट बार काउंसिल ने भी मामले की जांच के लिए दो अधिवक्ताओं की एक टीम बनाई है।
अधिवक्ताओं का

अजीबो गरीब प्रदर्शन
दूसरी ओर अधिवक्ताओं ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम तेज कर दी गई है। उनकी ओर से धरना स्थल पर दो पुतले खड़े किए गए हैं। एक भ्रष्टाचार का है और दूसरे उसके समर्थक का। जब भी कोई अधिवक्ता कोर्ट में प्रवेश करेंगा, उससे दो पुतलों को दो-दो जूते मारेगा। इसके साथ ही राजस्व कोर्ट का बहिष्कार जारी है।

भ्रष्टाचार के मामले में अधिवक्ता भी दो-दो हाथ करने को तैयार हैं, लेकिन इस लड़ाई का सबसे ज्यादा नुकसान आम जन को उठाना पड़ रहा है।
 

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