गरियाबंद

श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो श्रम वर्ग को समर्पित है -अजीत एक्का
06-May-2022 2:53 PM
श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो श्रम वर्ग को समर्पित है -अजीत एक्का

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 6 मई।
पिछले दिनों अभनपुर विकासखंड के ग्राम आलेखुटा में जन जागृति मंच के तत्वाधान में 5 ग्रामों हसदा, गिलोरा, खोल्हा, जवाईबांधा, के ग्रामीणों की उपस्थिति में मजदूर दिवस मनाया गया।  कार्यक्रम में पंचायत प्रतिनिधि, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन बहने, बिहान समूह के महिलाएं सहित अनेक ग्रामवासी उपस्थित थे। इस अवसर पर जन जागृति मंच की संचालिका अजीत एक्का ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस  मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से हुई, जब अमेरिका की मजदूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से अधिक न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के समय शिकागो की हे मार्केट में बम धमाका हुआ था। यह बम किस ने फेंका किसी का कोई पता नहीं। इसके निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने श्रमिकों पर गोली चला दी और सात श्रमिक मार दिए।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है। उद्योगपति, मालिक या प्रबंधक समझने की बजाय अपने-आप को ट्रस्टी समझने लगे। लोकतन्त्रीय ढांचो में तो सरकार भी लोगों की तरफ से चुनी जाती है जो राजनीतिक लोगों को अपने देश की बागडोर ट्रस्टी के रूप में सौंपते हैं। वह प्रबंध चलाने के लिए मजदूरों, कामगारों और किसानों की बेहतरी, भलाई और विकास, अमन और कानूनी व्यवस्था बनाऐ रखने के लिए वचनबद्ध होते हैं।
लोक मंच विकाश समिति के संचालक पौल ने कहा कि श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो श्रम वर्ग को समर्पित है और उनकी कड़ी मेहनत और प्रयासों को माना जाता हैं। यह पूरे विश्व में विभिन्न देशों में मनाया जाता है। ज्यादातर देशों में इसे 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रम दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अलग-अलग देशों में अलग-अलग है।श्रम वर्ग वास्तव में ऐसा वर्ग है जिसे विभिन्न श्रम साध्य कार्यों में शामिल होने की आवश्यकता है। समाज के प्रति उनके योगदान की सराहना करने और उनकी पहचान को जानने के लिए एक खास दिन निश्चित रूप से जरूरी है।

जन जागृति मंच के कोर्डिनेटर प्रिंस कुमार ने कहा कि मजदूर है तो कल है, मजदूर दिवस का मकसद यह है कि मजूदरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान किया जाए और हक की लड़ाई लड़ते हुए अपनी जान गंवाने वाले लोगों के योगदान को याद किया जाए। इसके साथ ही हमेशा मजदूरों के हक और अधिकारों की आवाज को हमेशा बुलंद किया जाए.उक्त कार्यक्रम मे रधिया, रतन, हेमबाई, चन्दन, देवेंद्री साहू, नीरज, रतन सहित अनेक ग्राम वासी आलेखुटा का सराहनीय योगदान रहा।

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