गरियाबंद

जब तक स्कूल बना रहेगा प्रयोगशाला, तब तक शिक्षा का स्तर सुधरना नामुमकिन- शर्मा
30-May-2022 5:52 PM
जब तक स्कूल बना रहेगा प्रयोगशाला, तब तक शिक्षा का स्तर सुधरना नामुमकिन- शर्मा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
गरियाबन्द, 30 मई। 
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, प्रदेश उपाध्यक्ष देवनाथ साहू, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ,जिलाध्यक्ष परमेश्वर निर्मलकर ,प्रांतीय संगठन मंत्री यशवंत बघेल प्रांतीय सह सचिव विनोद सिन्हा, प्रांतीय संयुक्त सचिव पुरन लाल साहू, प्रदेश मंत्री छन्नू लाल सिन्हा, आई टी सेल गिरिश शर्मा, महिला प्रतिनिधि गीता शरणागत ने सयुक्त बयान जारी कर कहा कि छत्तीसगढ़ के शिक्षा का स्तर बहुत ही गंभीर व चिंतन का विषय है, विभाग के अधिकारी स्कूल को प्रयोगशाला बना दिये हैं, जिसके कारण शिक्षा स्तर में सुधार नामुमकिन हो गया है।

365 दिन में 366 प्रकार की जानकारी मंगाई जाती है 
प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि सभी जानकारी अर्जेंट होती है। शिक्षक कागज, ऑनलाइन व व्हाट्सएप में ज्यादा जानकारी भेजते हैं, बच्चों से कम जुड़ पाते हैं। शिक्षक जब तक अध्यापन के लिए पूर्णत: मुक्त न हो, अभिभावकों की सहभागिता न हो, स्कूल घर परिवार में शैक्षिक माहौल न हो, तो शिक्षा में सुधार सम्भव नहीं है।

शिक्षा स्तर गिरने का महत्त्वपूर्ण कारण गैर शैक्षणिक कार्य
संजय शर्मा ने बताया कि स्कूल में जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र बनवाना, मध्यान्ह भोजन, छात्रवृत्ति, मतदाता सूची बनाने का कार्य, निर्वाचन, सभी प्रकार का सर्वे, सायकल वितरण, डाक बनाना, मीटिंग, प्रशिक्षण, टीकाकरण, दवाई वितरण, आदि के बाद कुछ समय बच जाय तब पढ़ाई कार्य का समय है, इन्ही सब कार्य में समय निकल जाता है, तो आखिर शिक्षक पढ़ायेगा। 

नित नए नए प्रयोग हृत्रह्र की दखल एवम इसके अलावा अन्य गैर शिक्षकीय कार्य ने एक शिक्षक को स्वतंत्र रूप से कार्य करने में अवरोध लाया है। शिक्षा विभाग एक प्रयोगशाला बन गया है जहां पर एक कार्य पूरा नहीं होता उसके पहले दूसरा प्रोजेक्ट लाद दिया जाता, कुछ दिनों बाद दोनों का पता नहीं चलता कि उस पर हुआ क्या है, वास्तव में शिक्षकों को पढ़ाई कराने का पूर्ण अवसर ही नहीं मिलता इतना अधिक गैर शिक्षकीय कार्य कराए जाते हैं की शिक्षक से ज्यादा वह बाबू बन कर रह गया है।

उन्होंने कहा है कि प्रदेश का पूरा प्रशासनिक तंत्र व शिक्षा विभाग, केवल एक ही प्रयास कर रहा है, शिक्षक किसी भी तरह से कक्षा से दूर रहे, नित नई जानकारियां, एक ही जानकारी को बार बार मांगना, नित नये प्रयोग बन्द कर शिक्षक को अध्यापन के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया जावे, फिर अपेक्षित  परिणाम नही आये तो शिक्षक वर्ग जिम्मेदार होगा।

संजय शर्मा ने कहा है कि शिक्षा विभाग कोई भी योजना लागू करे उसे शिक्षक समुदाय के पास पहले सार्वजनिक तौर पर चर्चा में लाना चाहिए, फिर लागू करना चाहिए। शिक्षकों को थोपी गई नित नए अल्पकालिक योजना से शिक्षा गुणवत्ता की कल्पना कोरी है। ऐसी कोई शिक्षा योजना बन ही नही सकती जो केवल 6 महीने या साल भर में आपको तुरंत रिजल्ट दे सके एक निरन्तरता व स्थायी, दीर्घकालिक कार्ययोजना अनुभवी शिक्षकों के सहयोग से बनना चाहिए न कि 2 या 4 माह की कार्ययोजना।
 

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