गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 14 जून। दस जून से 15 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश में रेत घाट पर विराम लग जाएगा। गरियाबंद जिले में भी तमाम रेत घाटो में काम बंद हो जाएगा जो 16 अक्टूबर के बाद ही शुरू हो पाएगा। इस चार महिने की अवधि में उन लोगों की मनमानी चलेगी जो बारिश काल को देखते हुए रेत डंप करके रख लिए है। वैसे कायदे से जिस स्थान पर रेत का डंप किया जाना है उसकी स्वीकृति माइनिंग विभाग से पहले ही लेनी होती है।
संचालक भौमिकी तथा खनिकर्म विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 9 जून को एक शासकीय आदेश जारी कर प्रदेश के उप संचालक, खनिज अधिकारी, सहायक खनिज अधिकारी एवं जिला खनिज अफसरो को भेजकर कहा गया है कि वर्षाकाल में रेत उत्खनन पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। यह अवधि 10 जून से 15 अक्टूबर तक रहेगा। इस शासकीय पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में वर्षाकाल के अवधि में नदियो में खनन संक्रियाओं को प्रतिबंधित किया गया है। अतएव आवश्यक कारवाई सुनिश्चित की जाए।
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भावसिंह साहू ने जिला कलेक्टर से आग्रह किया है कि जिले में बारिश काल के चार महिने की अवधि में रेत उत्खनन का काम पूरी तरह से ब्रेक हो। इसके साथ ही जितने भी ठेकेदार को डंप करने स्वीकृति दिया गया है उसकी जांच अभी से कर ली जाए ताकि बारिश काल में ये रेत उत्खनन कर उसी रेत में जो पहले से डंप किया हुआ है उसमें न मिला पाए। और यह भी निर्देशित करने के साथ ही सुनिश्चित कर दी जाए कि प्रति हाइवा रेत का दाम तय हो ताकि भवन निर्माण करने वालो के साथ अन्याय न हो।
जिला पंचायत सदस्य द्वय रोहित साहू एवं चंद्रशेखर साहू ने कलेक्टर गरियाबंद से आग्रह करते हुए कहा है कि रेत घाट वालो की मनमानी और माइनिंग विभाग के अफसरो की मिलीभगत से बारिश काल में भी नदी से रेत उत्खनन का काम होता है।
ऐसा पिछले वर्षो में देखा गया है इस पर कड़ाइ की जाए। ऐसा करने वाले रेत ठेकेदार के घाट को सस्पेंड किया जाए और विभाग के अफसरो के खिलाफ कड़ी कारवाइ की जाए। अभी से ही संबंधित घाट के गांवो में एक समिति बना दी जाए ताकि घाट ठेकेदार बारिश काल में रेत का उत्खनन न कर सके।