गरियाबंद
गरियाबन्द, 5 जुलाई। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने मुख्यमंत्री व मुख्यसचिव छत्तीसगढ़ शासन को पत्र देकर प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षकों के लिए निकम्मा कहने पर आपत्ति दर्ज करते हुए शिक्षा गुणवत्ता हेतु शिक्षकों को स्वतंत्र करने तथा गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त रखने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, जिलाध्यक्ष परमेश्वर निर्मलकर, ब्लॉक अध्यक्ष जितेन्द्र सोनवानी ने कहा है कि प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षकों के लिए निकम्मा कहा गया, यह शिक्षकों का अपमान है।
शिक्षा गुणवत्ता हेतु शिक्षक निरन्तर प्रयासरत रहते है, उत्कृष्ट शिक्षा के लिए शिक्षक, बालक, पालक व विभागीय नीति की संयुक्त भूमिका होती है, उसके उपरांत भी शिक्षकों के सम्बंध में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिया गए बयान से शिक्षक हतोत्साहित है।
अत: गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त रखते हुए शिक्षा गुणवत्ता हेतु शिक्षकों को स्वतंत्र रखा जावे व शिक्षको के सम्मान की रक्षा किया जावे।
प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि उत्कृष्ट शिक्षा पर शिक्षको को क्या वित्तीय लाभ मिला, फिर निम्न शिक्षा पर सजा कैसे, शिक्षकों के लिए निकम्मा शब्द निंदनीय है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की शिक्षा को सराहने पर शिक्षको को कोई लाभ नही दिया गया, तब अधिकारियों ने वाहवाही लूटी, अब निम्न स्तरीय शिक्षा पर सजा की बात विभाग कैसे कर सकता है, उत्कृष्ट शिक्षा पर अन्य विभाग जैसे विशेष भत्ता, आउट ऑफ टर्न प्रमोशन व प्रोत्साहन राशि क्यो नहीं दिया गया।
शिक्षको का प्रतिनिधित्व शिक्षक कर्मचारी संघ करते है, उनसे सुझाव लेकर शिक्षा का क्रियान्वयन क्यो नहीं किया जाता, विभाग को दिए गए सुझाव पर कभी अमल क्यों नहीं किया शिक्षा विभाग ने, अच्छे परीक्षाफल वाले शिक्षको को अतिरिक्त वेतनवृद्धि क्यों नहीं दिया गया।
ऐसे ही कई विषय है जिस पर शिक्षा विभाग को चर्चा करना चाहिए। विभाग हमेशा से एकतरफा निर्णय करते है और शिक्षको पर दोष मढ़ा जाता है, निम्मनतम शिक्षा स्तर के लिए पूरे विभाग की जिम्मेदारी है और खास कर अधिकारियों की है क्योंकि समय रहते गुणवत्ता की सही मॉनिटरिंग नहीं की गई और एनजीओ के सुझाव के अनुसार कई प्रयोग किये गए।
30 जून को आयोजित राज्य स्तरीय वेबिनार में शिक्षा सचिव के द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए पूरा दोषारोपण शिक्षको पर ही कर दिया गया, जो कि आपत्तिजनक है। बालक, पालक व शिक्षा विभाग की नीति व कार्य पर समीक्षा कर जिम्मेदारी तय नहीं किया गया।
शिक्षा को प्रभावित करने वाले बहुत से उत्तरदायी कारण है जिन पर गहन चिंतन होना चाहिए। केवल शिक्षक को दोषी ठहरा कर शिक्षा सचिव द्वारा ठीकरा फोडऩे का कार्य किया जा रहा है। इससे गुणवत्ता सुधार कार्य में न तो समाधान मिले सकेगा और न ही ये उच्चाधिकारी अपने उत्तरदायित्वों से बच पाएंगे।