गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 6 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला के मुख्यमंच पर सुरमई सुरगंगा लोककला मंच की मनमोहक प्रस्तुति हुई। संचालक शिवा जांगड़े ने मीडिया सेन्टर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि कला साधना है। इसके लिए न जाने कितने रात जागते है यहाँ तक के घर में कोई जरूरी काम हो परिवार के लोग बार बार मोबाईल करके थक जाते है और हम लोगों को रिझाने में लगे रहते है। मुझे संस्था के निर्माता, निर्देशक और गायक होने का सौभाग्य मिला है। इसकी स्थापना सत्र 2006-07 में हुई है। संस्था में 30 सदस्य हैं। राजिम माघी पुन्नी मेला में लगातार 5 वर्षों से अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हमारा हमेशा प्रयास रहता है कि गीत-संगीत के माध्यम से समाज मे फैली कुरितियों जैसे जुआ, सट्टा, नशा आदि के बारे में लोगों को जागरूक करते है। उन्होने निवेदन करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी सरकार जल्द से जल्द नशा मुक्ति सम्बंधी कानून बनाएँ। हमारी संस्था के मुख्य सदस्य माधुरी डहरिया जांगड़े गायिका, बहादूर शांदे अध्यक्ष, बालक दास मारकण्डे सचिव के रूप में हैं। शिवा जांगड़े कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों मेंं भी काम किया है जैसे- धूर्रा, दहाड़, कहर, हीरो हीरालाल, लफंटूश।
ये अपनी प्रस्तुति छत्तीसगढ़ी के बाहर उड़ीसा, महाराष्ट, मध्यप्रदेश राज्यों में भी दे चुकें है। इन्हें भारती बंजारे, तीजन बाई, राधेश्याम बारले जैसे कलाकारों से सतनामी कलारत्न से सम्मानित किया गया है। ये सतनाम संस्कृति एकादमी द्वारा नये कलाकारों को प्रशिक्षित कर रहें है। आगे बताया कि गिरौदपुरी धाम में भी राजिम जैसा सांस्कृतिक मंच बनना चाहिए। छत्तीसगढ़ सरकार बहुत ही अच्छे काम कर रहे है।
एक आम आदमी तक सरकार पहुंच रही है और स्थानीय कलाकारों को सम्मान दे रही है। राजिम माघी पुन्नी मेला कलाकारों के लिए वरदान है पहले बाहर के कलाकार आते थे अब प्रदेश के कलाकारों को मौका मिल रहा है। भूपेश सरकार कला साहित्य एवं संस्कृति के लिए मील का पत्थर साबित हो रहें है।