गरियाबंद
छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 जुलाई। राजिम विधायक अमितेश की विधानसभा सत्र के कुल 112 दिन में सिर्फ 62 दिन की उपस्थिति अखबार में प्रकाशित होने से समूचे राजिम विधानसभा क्षेत्र में दिन भर चर्चा का विषय रहा। राजिम विधायक अमितेश शुक्ल के विधानसभा सत्र में सबसे खराब परफार्मेंस पर तंज कसते हुए जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू ने कहा कि राज्य के शीर्ष मंच विधानसभा में राजिम विधायक अमितेश शुक्ल की सबसे खराब परफारमेंस रिपोर्ट ने क्षेत्र के जनता को शर्मसार किया है। चूंकि राजिम की जनता ने अपने क्षेत्र की समस्या को विधानसभा के पटल पर रखने विधायक अमितेश शुक्ल पर भरोसा कर उन्हे अपना विधायक चुना था। राजिम विधायक श्री शुक्ल ने आम जनता के भरोसे के साथ विश्वासघात किया है जिसे जनता कभी माफ नहीं करेगा।
राजिम की जनता अब तक अपने विधायक से यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब उनके नेता विधानसभा के पटल पर क्षेत्र में स्कूल, कॉलेज, उद्योग, सडक़, पुल-पुलिया के अलावा राजिम को जिला बनाने की मांग को प्रमुखता से रखेंगे।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ल के सुपुत्र ने अपने भागीरथी पिता के उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। प्रथम पंचायत मंत्री श्री शुक्ल ने अब तक विधानसभा में सिर्फ अधिकारियों की खिंचाई करते रहे। स्वयं की कीमत दोगुनी करने 2 अधिकारी को अपना शिकार भी बनाया। विधायक कम से कम पैरी नदी के किनारे तटबंध की स्वीकृति दिला देते इससे बहुत गांव सुरक्षित हो जाते, किसानों के खेती किसानी खराब होने से बच जाते किंतु आप यह भी नहीं कर सके।
विधानसभा सत्र में कम उपस्थिति वाले विधायकों की लिस्ट में राजिम विधायक का नाम सबसे ऊपर है। चल रहे इस मानसून सत्र को छोड़ दिया जाए तो 112 दिवस की उपस्थिति में बमुश्किल 62 दिन ही पूरे पांच साल में शामिल हुए हैं। यह राजिम विधायक की निष्क्रियता का परिणाम है जो आज स्पष्ट हो गया। जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू ने आरोप लगाया कि विधायक जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठकर दुरुपयोग किया है। सत्र के दौरान उन्हें विधानसभा भवन में होना चाहिए था। लेकिन उन्हें तो कमीशन खोरी से फुर्सत मिले तब ना। क्षेत्र में बड़ी संख्या में रेत की अवैध कारोबार चल रहा है जिस पर कमीशन का नित खेल नए-नए रूप लेती है।
इसी के चलते आज गांव की शांति भंग हो गई है। वह क्षेत्र का दौरा भी नहीं करते। क्षेत्र की सडक़ें जर्जर हालत में है। बिजली पानी की सुविधाएं ना के बराबर है। नेताजी राजिम क्षेत्र के विकास के मुद्दे को भुलाकर सिर्फ काजू किसमिस खाकर समय गुजार दिए। विधानसभा क्षेत्र में अभी तक व्यवसायिक पाठ्यक्रम जिससे यहां के विद्यार्थियों को रोजगार मिले ऐसा एक भी स्कूल-कॉलेज नहीं खोल पाए। उद्योग धंधे के बारे में तो उन्होंने सोचा ही नहीं। पुल पुलिया सडक़ इत्यादि को भुलाकर चंदा वसूली के लिए अधिकारियों के पीछे पड़े रहते हैं।
रोहित साहू ने कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश में तीन बार मुख्यमंत्री दिए एक बार पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री दिए, परंतु यहां की स्थिति जिस ऊंचाई पर होनी चाहिए अभी भी अपना अस्तित्व नहीं बना पाए हैं। एक छोटे से काम के लिए लोगों को राजधानी रायपुर तथा अन्य बड़े शहरों का सहारा लेना पड़ता है इससे बड़ी शर्मिंदगी और क्या हो सकती है।आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता इसे सबक जरूर सिखाएंगी।।