गरियाबंद
![पहला सोमवार: भगवान कुलेश्वरनाथ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ पहला सोमवार: भगवान कुलेश्वरनाथ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/17217248916.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 23 जुलाई। सावन का महीना चालू होते ही नगर में शिव भक्तों के चेहरे पर अलग ही चमक देखने को मिली। सावन के पहले सोमवार को छत्तीसगढ़ के प्रयाग राज राजिम त्रिवेणी संगम बीच स्थित भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव के मंदिर में सुबह ही शिव भक्तों का तांता लगा है। दूर-दूर से श्रद्धालुजन भोलेनाथ का जलाभिषेक और पूजा करने अपने परिवार और बच्चों के साथ पहुंचते रहे। श्रीकुलेश्वर नाथ बाबा का दरबार हर-हर महादेव के जयकारे से गूंजता रहा। मंदिर में भीड़ को देखते हुए पुजारियों द्वारा क्रमवार दर्शन के लिए व्यवस्था की गई थी।
महिलाएं एवं युवतियां पूरे विधिविधान के साथ दूध और पवित्र जल से भोलेनाथ को स्रान कराके आरती और भोग चढ़ाते हुए दिखे। भगवान शिव के प्रिय कनेर फूल, धतूरा, बेल ,बेल पत्ता भी खूब चढाएं। महिलाओं और युवतियों की श्रद्धा देखते ही बन रही थी।
इसी प्रकार राजिम शहर के बाबा गरीबनाथ महादेव मंदिर में भी सुबह से ही शिवभक्तों का तांता लग गया था। इसके अलावा ब्रह्मचर्य आश्रम, नवापारा के राधाकृष्ण मंदिर, भूतेश्वर नाथ, मामा भांजा, सोमेश्वर नाथ के अलावा पंचकोशी धाम के कोपेश्वर नाथ, फणेश्वर नाथ, ब्रम्हणेश्वर नाथ, पटेश्वर नाथ, चंपेेश्वर नाथ मंदिरों में भी सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के साथ जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक भी किया। ग्रामीण इलाकों के शिव मंदिरों में भी दर्शन पूजन जलाभिषेक लोग करते रहे।
45000 हजार पार्थिव शिवलिंग निर्माण
दद्दा शिष्य मंडल एवं राधाकृष्ण मंदिर ट्रस्ट द्वारा पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं पूजन का आयोजन किया जा रहा है। जहां सावन मास के पहले दिन 45000 हजार पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया गया। निर्माण पश्चात दद्दा शिष्य मंडल ने प्रत्येक शिव भक्तों तक पंचामृत, बिल्वपत्र, पुष्प, अगरबत्ती, दीपक पहुंचाया।
पंडित संतोष मिश्रा, देवेंद्र दुबे एवं अन्य ब्राम्हणों द्वारा विधि विधान से पार्थिव शिव लिंग का अभिषेक, पूजन, आरती कराने के पश्चात त्रिवेणी संगम में विसर्जन किया गया। ज्ञात हो कि यह आयोजन राधाकृष्ण मंदिर में सावन मास के प्रत्येक सोमवार को किया जाएगा। भगवान शिव की सबसे बड़ी पूजा पार्थिव शिवलिंग निर्माण ही मानी गई है। अत: समिति द्वारा अधिक से अधिक भक्तों को पार्थिव शिवलिंग निर्माण में भाग लेने की अपील की गई है।