गरियाबंद

कलेक्टर-एसपी ने चिंगरापगार जलप्रपात पहुंच सुरक्षा व्यवस्था-पर्यटकों की सुविधाओं का लिया जायजा
18-Jul-2024 2:33 PM
कलेक्टर-एसपी ने चिंगरापगार जलप्रपात पहुंच सुरक्षा व्यवस्था-पर्यटकों की सुविधाओं का लिया जायजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम-गरियाबंद, 18 जुलाई।
प्राकृतिक और वनांचल क्षेत्रों से आच्छादित गरियाबंद जिले के राजिम गरियाबंद मार्ग में स्थित बारूका गांव में चिंगरापगार जलप्रपात पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। जलप्रपात स्थल को पर्यटकों के सुविधा के लिए व्यवस्थित करने, आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था करने तथा प्राकृतिक स्थल में स्वच्छता बनाए रखने के उद्देश्य से कलेक्टर दीपक अग्रवाल एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम कांबले ने चिंगरा पगार जलप्रपात स्थल का औचक निरीक्षण किया। 

कलेक्टर-एसपी ने रिमझिम बारिश के बीच वहां आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था एवं पर्यटकों की सुविधाओं का जायजा लिया। कलेक्टर अग्रवाल ने पर्यटन स्थल को प्राकृतिक रूप में रखने, दूषित नहीं करने एवं साफ सफाई बनाए रखने के निर्देश दिए। उन्होंने बारिश के मौसम में जलप्रपात स्थल में पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही पर्यटकों के गाडिय़ों के लिए व्यवस्थित पार्किंग, चेंजिंग रूम, नदी के दोनो किनारे रस्सी लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने पर्यटकों से अधिक जल भराव की स्थिति एवं पत्थरों से सावधानी बरतने की भी अपील की। 

इस दौरान वन मंडलाधिकारी लक्ष्मण सिंह, अतरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र चंद्राकर, एसडीएम विशाल महाराणा, डीएसपी निशा सिन्हा एसडीओ मनोज चंद्राकर सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

पर्यटन स्थल में नशीली चीजों से रहे दूर
इस दौरान कलेक्टर अग्रवाल ने चिंगरापगार जलप्रपात में विहंगम दृश्य से परिपूर्ण प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेने के अलावा सावधानी भी बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि चिंगरापगार पर्यटन स्थल सार्वजनिक जगह है। यहां पर नशीली चीजों को ना ले जाए। साथ ही नशीली पदार्थ का सेवन ना करे। इसके अलावा कलेक्टर ने बारिश के मौसम में जलप्रपात स्थल में फिसलन भरी चट्टानों से भी सावधान रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बारिश के कारण पत्थरों में शैवाल उग आते है, जिसके कारण पत्थर में फिसलन आ जाती है। पत्थर पर चलने से फिसल कर गिरने का खतरा बना रहता है। इसलिए सावधानी और सतर्क होकर जलप्रपात स्थल पर जाएं।

जलप्रपात स्थल को स्वच्छ रखने में निभाएं भागीदारी
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर अग्रवाल ने कहा कि प्राकृतिक स्थलों एवं पर्यटन स्थलों को सुरक्षित एवं स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। प्रकृति द्वारा दिए गए चीजों का सदुपयोग करना भी हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने पर्यटन स्थल में कचरा नहीं फैलाने, उन्हें प्राकृतिक रूप से संरक्षित रखने और पर्यावरण जागरूकता में भागीदारी निभाने की अपील लोगों से की। इस दौरान कलेक्टर अग्रवाल ने जलप्रपात स्थल में पर्यटकों की सुविधाओं के विस्तार के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं विकसित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। साथ ही पर्यटन स्थल में कचरा नहीं फैलाने से संबंधित सूचना बोर्ड भी लगाने के निर्देश दिए।

विहंगम प्राकृतिक दृश्य से परिपूर्ण है चिंगरा पगार जलप्रपात
राजधानी रायपुर जाने वाले मार्ग में गरियाबंद से 13 किमी की दूरी पर चिंगरा पगार जलप्रपात चारों दिशाओं से घनी जंगल, ऊंची पहाड़ों एवं प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। यह झरना कचना धुरवा एवं बारुका के जंगलों पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 110 फीट ऊंचा है, जो देखने में बहुत खूबसूरत लगता है। चिंगरा पगार जलप्रपात की सुंदरता का आनंद लेने के लिए सैलानी छत्तीसगढ़ के साथ साथ अन्य राज्यों से भी आते है। चिंगरा पगार जलप्रपात में पर्यटकों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। बरसात के मौसम के लगते ही यहां का जल स्तर काफी बढ़ जाता है, जिसके कारण यह जलप्रपात का नजारा और भी आनंदमयी प्रतीत होता है।

जैन परम्परा में आषाढ़ पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक का समय तथा वैदिक परम्परा में आषाढ़ से आसोज तक का समय चातुर्मास कहलाता है। धन-धान्य की अभिवृद्धि के कारण उपलब्धियों भरा यह समय स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार, आत्म-वैभव को पाने एवं अध्यात्म की फसल उगाने की दृष्टि से भी सर्वोत्तम माना गया है। चातुर्मास केवल चार महीनों की अवधि नहीं होती बल्कि यह जीवन को नए तरीके से शुरू कर सकते हैं। इस समय ईश्वर का गुणगान और ध्यान करने से जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।

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