महासमुन्द
कहा-सत्ता स्वार्थपूर्ति के लिए गांधी सरनेम का उपयोग करते आए हैं
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद,13फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी से महासमुंद के भाजपा सांसद चुन्नीलाल साहू बिफर गए हैं।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पहले अपने गिरेबान में झांक ले,ं फिर किसी पर टिप्पणी करे। जब जाति और उसे मिलने वाले आरक्षण की जानकारी नहीं है, तो चुप रहना चाहिए। भारत सरकार ने अधिकांश जाति और उनके उपनामों को अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी, अनुसूचित जाति, एससी और अनुसूचित जनजाति एसटी की सूची में शामिल कर उन जातियों के आर्थिक, सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आरक्षण प्रदान किया है। यह कहना बिलकुल गलत है कि ओबीसी समाज ने कभी भी सियासी सत्ता सुख के लिए आरक्षण लाभ का इस्तेमाल किया हो। पिछड़ों के किसी भी जाति को अभी तक सत्ता के लिए आरक्षण नहीं मिला है।
उन्होंने कहा है कि आरक्षण के लिए भारत सरकार ने जो मापदंड निर्धारित किए हैं, उस मापदंड की कंडिकाओं में तेली और दूसरी पिछड़ी जाति के लोगों का रहन.सहन शामिल है। इसलिए उन्हें ओबीसी में शामिल किया गया है। श्री साहू का कहना है कि स्वार्थपूर्ति के लिए जो लोग खान से गांधी बन जाते हैं, ऐसे परिवार के लोगों को किसी की जाति या धर्म पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं बनता। ओबीसी समाज के परिवारों में विवाह के बाद बेटियां अपने पति का सरनेम ही प्रयोग में लातीं हैं, न कि मायके का।
ओबीसी आरक्षण पर विस्तार से चर्चा करते हुए सांसद चुन्नीलाल साहू ने बताया कि स्वतंत्र भारत में पिछड़े वर्ग की पहचान के लिए 1954 में काका कालेलकर आयोग का गठन किया। जिसकी अनुशंसा कभी लागू नहीं हुई। वर्ष 1979 में जनता पार्टी की सरकार में मंडल आयोग बनाए तब ओबीसी जातियों को राष्ट्रीय स्तर पर सूचीबद्ध किया गया।
सांसद साहू का कहना है कि गुजरात के मोड़ घांची को राज्य आयोग ने सन् 1995 में ही शामिल किया था और केंद्र ने उसे 1998 में स्वीकार किया। तब मोड़ घांची तेली जाति के नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री या भारत के प्रधानमंत्री नहीं थे। उस समय मोदी जी भारतीय जनता पार्टी के संगठन दायित्व में काम कर रहे थे।
भाजपा सांसद साहू का कहना है कि सत्ता के लिए सरनेम बदलने वाले लोग किसी की जाति पर टिप्पणी करने से बाज आएं।