गरियाबंद

राजिम कुंभ संस्कृति का प्रमाण है-शंकराचार्य सदानंद
04-Mar-2024 1:26 PM
राजिम कुंभ संस्कृति का प्रमाण है-शंकराचार्य सदानंद

राजिम कुंभ कल्प में विराट संत समागम का हुआ उद्घाटन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजिम, 4 मार्च। रविवार 3 मार्च को राजिम कुंभ कल्प मेला में रविवार को विराट संत समागम का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन समारोह में अनंत विभूषित ज्योतिष मठ द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज एवं अनंत विभूषित ज्योतिष मठ बद्रीनाथ पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज राजिम पहुंचे।

मुख्य मंच पर दोनों शंकराचार्यों का खाद्य मंत्री एवं जिले के प्रभारी दयालदास बघेल और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, राजिम विधायक रोहित साहू एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने विधि विधान से चरण वंदन किया। कार्यक्रम की शुरूआत में दोनों शंकराचार्य एवं अतिथियों ने भगवान राजीव लोचन के प्रतिमा पर पुष्प अर्पितकर एवं दीप प्रज्जवलित कर पूजा अर्चना किया।

राजिम कुंभ संस्कृति का प्रमाण है -सदानंद

द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद महाराज ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि परमात्मा के पद प्राणी को पवित्र करती है। मार्ग में जो प्राणों की रक्षा करें वो पार्थाय है। जो राम नाम का जाप करते हैं। उनके पार्थ राम है। प्राणी मात्र में एक विश्राम का नाम राम है। धर्म रूपी कल्पवृक्ष का बीज राम नाम है। राम ने मनुष्य बनकर वो दिखाया, जो मनुष्य को करना चाहिए। कैसे धर्म का पालन किया जाता है। हमारे वेदों का ज्ञान संतों से ही मिलता है।

उन्होंने कहा कि राजिम कुंभ संस्कृति का प्रमाण है। ऐसे आयोजनों से संस्कृति की रक्षा होती है। धर्म की रक्षा करनी है तो धर्म का पालन करें। धर्म की स्वयं रक्षा हो जाएगी। धर्म मार्ग पर चलने की शिक्षा हमें कुंभ से मिलती है। मनुष्य में असीतिम क्षमता है, उसे उसका भरपूर उपयोग करना चाहिए। सृष्टि का अपादान कारक क्या है इसे मनुष्य ही जान सकता है। धर्म की बुद्धि परमात्म ने मनुष्य को दी है। धर्म-अधर्म और विधर्म को समझें।

धर्माचारियों के सम्मान की सोच वाली सरकार ही राजिम कुंभ जैसे

आयोजन करते है -अविमुक्तेश्वरानंद

बद्रीनाथ पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि हमारे वेद प्रमाणित है। वेदों में लिखा है। क्या करना है, क्या नहीं करना है। प्रदेश की व्यवस्था राजा और पुलिस कर सकती है, फिर भी संत समागम की आवश्यकता क्यों पड़ती है ताकि संतों की वाणी से लोगों के सदा चारों व्यवहार के शिक्षा की रक्षा की जा सकें।

उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत लोग धर्माचारियों के उपदेश से नियंत्रित होते हैं। समझदार सरकार धर्माचारियों से अमृत लेकर बांटते हैं। धर्माचार्यों का सम्मान करने की ऐसी सोच वाली सरकार ही राजिम कुंभ जैसे आयोजन करते है। समझदार सरकार अपनी जनता को ज्ञान का अमृत से लाभान्वित करने ऐसे आयोजन करती है। ये कुंभ कल्प इसी का उदाहरण है। राजिम महानदी का संगम, आचार्य का समागम, अध्यात्मिक लाभ से पवित्र स्थल बन चुका है। इससे पवित्र स्थान नहीं हो सकता। कुंभ कल्प का मतलब कुंभ जैसा होना है। इसलिए इस कुंभ का नाम कुंभ कल्प कर दिया गया। कुंभ कल्प बोलने से मान घटता नही है बढ़ा जाता है। कुंभ जैसा है वो कुंभ ही है।

उन्होंने कहा कि आपके साथ हम भी कुंभ का आनंद आह्लाद लेंगे। कुंभ ज्योतिष का योग है। ये योग नक्षत्रों के अनुसार प्रयाग, नासिक, उज्जैन, हरिद्वार जैसे तीर्थों के कुंभ के रूप में होता है। घर के पानी में मैल धोने की क्षमता होती है, लेकिन महानदी जैसे नदियों के पानी में मन का मैल धोने की क्षमता होती है। जिससे राजिम में आने वाले समस्त लोगों को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि ये सुखद संयोग है कि छत्तीसगढ़ के मंत्री द्वारा इस मंच पर एक साथ दो शंकराचार्यों को लाकर अद्भुत संजोग बनाया है।

संत विभानंद गिरि महाराज ने कहा कि राजिम कुंभ प्रयाग तीर्थ है। उन्होंने कहा कि जहां संत पहुंच जाते है वही कुंभ हो जाता है। यहां दो शंकराचार्य एक साथ पहुंचे है। इसलिए राजिम कुंभ महातीर्थ बन गया है।

मंत्री जायसवाल ने कहा कि 5 साल उपरांत पुन: उसी स्वरूप में संत महात्माओं का विशाल संगम राजिम कुंभ में हो रहा है। आज राजिम कुंभ की धरती में देश के दो महान शंकराचार्य हम सभी को आशीर्वाद प्रदान करने मौजूद है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की धरती पर उनका स्वागत किया। राजिम विधायक रोहित साहू ने आभार प्रदर्शन किया।

 इस अवसर पर राजिम नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा जितेन्द्र सोनकर, गरियाबंद कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल, छग पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक जितेन्द्र शुक्ला सहित महामंडलेश्वर, साधु-संत, महात्माओं, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थित रही।

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