गरियाबंद

राजिम नगरी साहित्यकारों से समृद्ध है-दण्डी स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ
07-Mar-2024 2:28 PM
राजिम नगरी साहित्यकारों से समृद्ध है-दण्डी स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 7 मार्च।
राजिम कुंभ कल्प में ग्यारहवें दिन संत समागम परिसर में साहित्य संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन चक्र महामेरू पीठाधिपति स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ द्वारा किया गया। जिसमें अंचल के विभिन्न साहित्यकारों ने भाग लिया। आयोजन के प्रारंभ में स्वामी जी के शिष्यों व ऋषि कुमारों ने दीप प्राकट्य कर एवं मंगलाचरण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 

पंडित ब्रम्हदत्त जुगल किशोर शास्त्री ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प के शिल्पी पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के अथक परिश्रम से आज चारों तरफ राममय माहौल है और संतों के आगमन से यह भूमि पुन: पावन हो गई है। पांच सौ वर्षों की लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में रामलला पुन: प्राण प्रतिष्ठित हुए है उनके गुनगान करते हुए साहित्य संगोष्ठी के माध्यम से राम के संपूर्ण चरित्र को साहित्यकारों ने अपने गीत, कविता, कहानी, गजल एवं विचारो से स्पर्श करने का प्रयास किया। 

राजिम के मनीष दुबे ने कहा कि आज भौतिक युग में राम के गुणों को हर घर में अपनाने की जरूरत है तभी सुख शांति व समृद्धि आ सकती है। रोहित साहू माधुर्य ने सुमधुर गीत प्रभु जी कुछ ऐसा चमत्कार हो जाये स्वच्छ भारत का सपना साकार हो जाये....... सुुनाकर स्वच्छता का संदेश दिया। मोहनलाल मानिकपन ने तोर कोरा म जनम पाके....... माता कौशिल्या पहचान बनाये, कर्णप्रिय गीत सुनाकर छत्तीसगढ़ महतारी का गुणगान किया। 

कवयित्री सरोज कंसारी ने इन पंक्तियों में अपनी भावनाओ को व्यक्त किया हृदय में गुंजित वीणा की ताल, स्नेह की धुन में हो हर गान......। श्रवण कुमार साहू प्रखर ने कहा कि आने वाले वर्षो में राजीव लोचन साहित्य महोत्सव का आयोजन होना चाहिए, जिसमें अंचल के साथ पूरे छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों देखने सुनने का अवसर मिलना चाहिए। मकसूदन साहू बरी वाला ने कहा कि बेल में पानी डालो, महादेव शंकर मिलेगा, कंकड़ में पानी डालो भोले शंकर मिलेगा। डॉ रमेश सोनायटी ने कहा कि हे प्रभु श्रीराम तुम्हारी कृपा से होता है सब काम...। संजीव दुबे ने कहा कि साहित्य साधना का पथ होता है लिखने से पहले पढ़े उस पर गहन विचार करें। इससे मौलिकता आती है और हम अच्छे से लिख पाते है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संतोष सोनकर मंडल ने बड़े ही रोचक ढंग से साहित्य सडक़ को मुक्तक के माध्यम से आमंत्रित किया। 

संगोष्ठी के समापन के समय आश्रम के दण्डी स्वामी विश्वानंद तीर्थ व कृष्णानंद तीर्थ ने सभी साहित्यकारो को श्रीफल एवं मिठाई का डिब्बा प्रसाद व आशीर्वाद स्वरूप प्रदान किया। दंडी स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी के उज्जवल भविष्य की मंगल कामना की। अन्त में कवियत्री सरोज कंसारी ने आभार व्यक्त किया।

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