गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 7 मार्च। राजिम कुंभ कल्प के संत समागम परिसर में बने डोम में प्रतिदिन धार्मिक प्रवचन, सत्संग, भजन, कीर्तन, साधु-संत और महंतों द्वारा किया जा रहा है। संतो के सानिध्य में राजिम नगरी पावन तीर्थ बना है जहां अनेक ज्ञानी महात्माओं के दर्शन और उनके आशीर्वाद मिल रहे हैं। राजिम मेले में आएं श्रध्दालु उनके अमृत वचनो का लाभ ले रहें है।
पंडित अश्वनी शर्मा ने भक्त और भगवान के बीच मधुर संबंध का वर्णन करते हुए कहा कि बिना श्रध्दा और भक्ति के भव से पार नही हों सकते। आध्यात्म से ही मानव मन को आत्मिक आनंद की प्राप्ति हो सकती है। निष्काम कर्म करते हुए उच्च नैतिक गुणों से युक्त होकर हृद्य में शुध्द भाव रखकर मानवता के कल्याण के कार्य करते रहना चाहिए। दीन-दुखी गरीब असहाय और जरूरतमंद की सेवा करने से भगवान प्रसन्न होते है। परमात्मा किसी भी रूप में हमारे सम्मुख आ जाते है। जरूरत है, तो अंर्तमन से उनके दिव्य रूप को महसूस करने की। संसारिक मोह माया में जब तक लिप्त रहेंगेे तब तक कही भी शुकुन नहीं मिलेगा। अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए आत्मा को परमात्मा से जोड़ कर रखना चाहिए और मन वचन और कर्म से सात्विक रहकर सभी से मधुर व्यवहार कर सहयोग समन्वय और सामंजस्य स्थापित करना चाहिए मन के कुविचार को त्याग कर जो सच्चे मन से भगवान को याद करतें है उनकी वे प्रार्थना अवश्य सुनते है। सिर्फ कुछ मांगने के लिए ही ईश्वर की अराधना नही करनी चाहिए। अलौकिक आनंद को प्राप्त करने के लिए हर पल ईश्वर का सुमीरन करते रहना चाहिए तभी भक्त और भगवान के बीच रिश्ते मजबूत होते है।