मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

17 हजार 120 किमी तीर्थों की पदयात्रा पूरी कर मनेंद्रगढ़ पहुंचे संत भगत दास
16-Mar-2024 7:36 PM
17 हजार 120 किमी तीर्थों की पदयात्रा पूरी कर मनेंद्रगढ़ पहुंचे संत भगत दास

देश की एकता, अखण्डता और सम्प्रभुता के लिए पदयात्रा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

मनेन्द्रगढ़, 16 मार्च। अखण्ड भारत की संकल्पना एवं राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय सुरक्षा व भारत को विश्व गुरू बनाने का अभियान लेकर चौथे चरण की पदयात्रा कर लौटे संत भगत दास (भारत सिंह बघेल) ने अपनी यात्रा का समापन अमरकंटक में माँ नर्मदा की गोद में परिक्रमा कर किया।

एमसीबी जिले के झगराखंड निवासी 68 वर्षीय भारत सिंह संत भगत दास राष्ट्रभक्त सन्यासी जो वर्तमान में सूर्यकुण्ड आश्रम चित्रकूट धाम में स्थायी तौर पर निवास करते हैं, उन्होंने वर्तमान में अपने चौथे चरण की पदयात्रा कर लगभग 17 हजार 120 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की है।

इस यात्रा की शुरूआत उन्होंने लगभग 1 वर्ष पूर्व 21 अप्रैल 2023 को अमरकंटक से की थी, जिसका समापन उन्होंने अमरकंटक में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर किया।

 भारत को विश्व गुरू बनाने का स्वपन लेकर समस्त जीवों के जनकल्याण हेतु चौथे चरण की यात्रा की शुरूआत उन्होंने अयोध्या हनुमान गढ़ी से पूर्वी उत्तरप्रदेश से सोनाली बार्डर होते हुए संपूर्ण नेपाल तीर्थ, मुक्तिनाथ धाम, स्वर्गद्वारी,  दामोदर कुण्ड, पोखरा, लुम्बनी, कपिलवस्तु, देवघाट, काठमाण्डू, पशुपतिनाथ, चिशुली, गण्डक,वागमनी एवं नारायणी में स्नान कर जनकपुर जालेश्वर होते हुए भीठाढीह बार्डर से बिहार राज्य में 20 दिनों तक भ्रमण कर बिहार के संपूर्ण तीर्थों का दर्शन एवं स्नान किया।

मुख्य रूप से सीतामढ़ी, गौतमकुण्ड, अहिल्या उद्धार, बक्सर, विद्यापति धाम, सेमहरिया, बौद्ध गया, पटना, राजगीर तथा झारखण्ड में बाबा बैजनाथ धाम, त्रिकूट पर्वत तथा बंगाल में तारापद पीठ, बेलूर मठ, दक्षिणेश्वरकाली, आधा मंदिर, कालीघाट, हुगली तथा गंगासागर में स्नान कर खडग़पुर होते हुए जगन्नाथपुरी, कोणार्क मंदिर, भुवनेश्वर, कटक, संबलपुर, शक्तिपीठ, हीराकुण्ड बांध होते हुए छत्तीसगढ़ की सीमा रायगढ़, चंद्रपुर, सारंगगढ़, गिरौदपुरी, सिवरीनारायण होते हुए रतनपुर के रास्ते आकर अमरकंटक में अपनी यात्रा समाप्त की।

संत भगत दास ने बताया कि उनकी यात्रा का चौथा चरण 10 माह 11 दिन का था, जिसमें उनका संकल्प था कि वे दामोदरकुण्ड से सालिगराम और पशुपतिनाथ देवघाट से भगवान शिव को लाकर उन्हें गंगासागर एवं गंगा में स्नान कराकर तपोभूमि अमरकंटक होते हुए सिद्धबाबा मनेंद्रगढ़, झगराखंड लाएंगे, जिनका स्वप्र पूरा हुआ।

उन्होंने बतायाकि इस साधना में उन्हें कई बार रात्रि की नींद तक त्यागनी पड़ी। उन्होंने बताया कि आगे भी वे आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल एवं कृष्णा-कावेरी, तिरूपति बालाजी भी जाएंगे जिसे 4 माह दिसंबर 2024 में पूरा करने का लक्ष्य है।

संत भगत दास ने कहा कि इस पैदल यात्रा से जो सकरात्मक ऊर्जा उन्हें प्राप्त हुई है, वे उसे राष्ट्र को समर्पित करते हैं। वे चाहते हैं कि भारतवर्ष की एकता, अखण्डता, सम्प्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हो। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि बीते 10 वर्षों में पूरे विश्व पटल पर जो भारत का प्रभाव बढ़ा है, उसके लिए देश के प्रधानमंत्री व उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री प्रशंसा के पात्र हैं, क्योंकि अपनी पैदल यात्रा के दौरान मैंने पाया कि ये हर भारतवासी के दिल में विराजमान हैं।

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