मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता,
मनेन्द्रगढ़, 5 अप्रैल। मनुष्यों को प्यास लगती है तो वह अपनी प्यास बुझाने के लिए तत्काल पानी से अपनी प्यास बुझा लेता है, लेकिन मूक पशु-पक्षियों को गर्मियों में प्यास से तड़पना पड़ता है। कई बार पानी के अभाव में उनकी मौत भी हो जाती है। मूक पशु जब भी प्यास होते हैं तो घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं। इस गर्मी में पशु-पक्षियों के प्यास बुझाने के लिए लोगों को आगे आना चाहिए।
उक्ताशय की अपील पिछले तीन दशकों से पर्यावरण एवं पशु-पक्षी के संरक्षण के लिए कार्यरत राष्ट्रीय हरित वाहिनी के जिला संयोजक एवं वरिष्ठ पर्यावरणविद सतीश उपाध्याय ने की है। उन्होंने कहा कि गर्मियों में कई परिंदों और पशुओं की मौत पानी की कमी के कारण हो जाती है। लोग थोड़ा सा प्रयास करें तो वे घरों के आसपास उडऩे वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनकी जिंदगी को बचा सकते हैं।
परिंदों को प्रकृति के अनमोल धरोहर एवं पर्यावरण में सहभागी बताते हुए उपाध्याय ने कहा कि लोग अपने-अपने घरों की छतों, आंगन की छांव में बर्तनों में पानी रखकर मासूम परिंदों की जान बचा सकते हैं, ताकि गर्मियों में भी घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे। उन्होंने कहा कि वर्तमान टेंपरेचर 45 डिग्री सेल्सियस है। आने वाले समय में गर्मी और बढऩे की संभावना है। गर्मी के साथ-साथ सभी प्राणियों को पानी की आवश्यकता होती है मनुष्य तो पानी का संग्रहण कर रख लेता है, लेकिन परिंदे और पशुओं को तपती गर्मी में यहां-वहां पानी के लिए भटकना पड़ता है। गर्मियों में पक्षियों के लिए भोजन की कमी भी हो जाती है।
उन्होंने आम नागरिकों से यह अपील की है कि गर्मी में तापमान से देखते हुए मूक पशु-पक्षियों के लिए पानी अवश्य रखें। पानी की व्यवस्था छायादार जगह पर करते हुए पक्षियों के लिए चना, चावल, ज्वार, गेहूं आदि जो भी घर में उपलब्ध हो पक्षियों के लिए दाना भी रखा जा सकता है। अंत में उन्होंने कहा कि गर्मी में पक्षियों को दाना-पानी देकर आप वातावरण को, आपके आंगन को खुशियों से भर सकते हैं।