गरियाबंद
भगवान श्री राजीव लोचन के साथ होली खेलने पहुंचते हैं श्रद्धालु
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 मार्च। समूचे छत्तीसगढ़ में राजिम के होली का विशेष महत्व है। यहां भगवान श्री राजीव लोचन के साथ होली खेलने आसपास के गांव के अलावा प्रदेश के कई जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। रंगारंग माहौल में फाग गीत और नंगाड़े की धुन पर खूब आनंद आता है। सभी वर्गों के लोग अनेक रंगों से रंग जाते हैं। सुबह से दोपहर 2 बजे तक लोग अपने मित्रों, घरों, मुहल्लों में जगह-जगह रंग-गुलाल खेलते हुए होली मनाते हैं। युवतियां और महिलाएं ग्रुपों में निकलती हैं। दोपहर 3 बजे के बाद लोग श्री राजीव लोचन मंदिर की ओर होली खेलने निकलते हैं। यहां कई राजनेता पहुंचते हैं जो मंदिर प्रांगण में न केवल गुलाल से सराबोर होते हैं बल्कि ठुमकने भी लगते हैं। यह सिलसिला रात 8 बजे तक चलता है। मंदिर प्रांगण में नगाड़ा बजाया जाता है। फिर रंग-गुलाल की बौछार शुरू हो जाती है।
श्री राजीव लोचन मंदिर प्रांगण में खेले जाने वाली होली हालांकि मथुरा की बरसाना जैसी तो नहीं कहा जा सकता, परंतु उससे कम भी नहीं आंका जाता।
मंदिर प्रांगण में लगने वाले भक्तों की भीड़ इस कदर रंग-गुलाल से सराबोर रहता है कि किसी का चेहरा कुछ समझ में नहीं आता। वैसे सामूहिक रूप से रंग-गुलाल खेलने का आनंद समूचे राजिम क्षेत्र में कहीं आता है, तो वह है श्री राजीव लोचन मंदिर प्रांगण की होली। बाकायदा नगाड़ा बजता है। नगाड़े की थाप पर यहां कई हजारों की संख्या में पहुंचे भक्त सतरंगी गुलाल उड़ाकर झूमते हुए खूब आनंद लेते हैं। भीड़ में महिलाएं और युवतियां भी बड़ी संख्या में मौजूद रहती है। राजनेता भी इसमें शामिल होते हैं। रंग-गुलाल खेलने का यह सिलसिला दोपहर चार बजे से रात 8 बजे तक निरंतर 4 घण्टे चलता रहता है। इस दौरान नेतागण, जनप्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।