खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
![विवादों के घेरे में संगीत विवि की कुलपति विवादों के घेरे में संगीत विवि की कुलपति](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1717073308004.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 30 मई। कला एवं ललित कला को समर्पित एशिया प्रसिद्ध इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री मोक्षदा ममता चंद्राकर की नियुक्ति को लेकर जनप्रतिनिधि सहित गणमान्य नागरिक लामबद्ध होने लगे हैं।
वर्तमान कुलपति की कार्यशैली एवं अवैध नियुक्ति को लेकर जन आक्रोश उभरने लगा है। भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री शशांक ताम्रकार ने केंद्रीय मंत्री मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के धर्मेंद्र प्रधान को प्रेषित अपने पत्र में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के वर्तमान कुलपति पद्मश्री मोक्षदा चंद्राकर की नियुक्ति को अवैध बताते हुए पद से मुक्त करने की मांग की है।
श्री ताम्रकार ने अपने पत्र में उल्लेख करते हुए कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति बनने के लिए 10 वर्ष प्रोफेसर के पद पर कार्य करने का अनुभव अनिवार्य योग्यता है, जो श्रीमती चंद्राकर के पास नहीं है। इसी प्रकार विश्वविद्यालय के अध्यादेश क्रमांक 171 की कंडिका 7.0 जो विश्वविद्यालय के कुलपति के चयन से संबंधित है, मैं भी प्रोफेसर के पद पर 10 वर्षों तक कार्य करने का अनुभव रखता हूं।
इसी प्रकार राजभवन द्वारा विज्ञापित विज्ञापन क्रमांक एफ 1 - 6/2019 /आरएस / यू-4 दिनांक और 5/3/ 2020 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि कुलपति पद हेतु 10 वर्षों के प्रोफेसर पद पर कार्य करने का अनुभव होना अनिवार्य है। पूर्व कांग्रेस के शासनकाल में उपरोक्त नियमों का पालन न करते हुए पद्मश्री अथवा आकाशवाणी में कार्य करने कुलपति के पद पर नियुक्त पात्रता नहीं है किंतु इंदिरा कला संगीत विद्यालय में कुलपति के पद पर नियुक्त श्रीमती चंद्राकर की नियुक्ति में इन सभी अनिवार्य योग्यताओं को दरकिनार करते हुए कुलपति के पद पर असंवैधानिक नियुक्ति दी गई है। अपने पत्र में अनुरोध करते हुए कहा गया है कि श्रीमती चंद्राकर के समस्त कार्य शक्ति को स्थगित करते हुए तत्काल कुलपति के पद से मुक्त किए जाने की कारवाई किया जाना अपेक्षित है।
पूर्व में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शासन काल था, जिसके चलते पत्र के संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सका था किंतु वर्तमान में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है, अब देखने वाली बात यह है कि इन शिकायतों पर शासन कितना अमल करती है।
इस संबंध में खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक कोमल जंघेल का कहना है कि कांग्रेस के शासनकाल में बिना मापदंड के जिनके पास प्रोफेसरशिप व एकेडमिक का अनुभव नहीं था, उन्हें कुलपति नियुक्त कर दिया गया। अनुभवहीनता के कारण छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित देश में प्रतिष्ठित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के साख में गिरावट हुई है। पूर्व भाजपा के शासनकाल में विश्वविद्यालय का चौमुखी विकास हुआ था विश्वविद्यालय के वर्तमान परिस्थितियों एवं वर्तमान कुलपति की गलत नियुक्ति के संबंध में शासन से चर्चा करेंगे।
कांग्रेस के पूर्व कद्दावर नेता ओम प्रकाश झा का कहना है कि उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार कुलपति की नियुक्ति विवादों के घेरे में है तथा इनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय की साख गिरी है। शासन को संज्ञान में लेकर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।