खैरागढ़-छुईखदान-गंडई

नये कानूनों पर संगीत विवि में उन्मुखीकरण कार्यक्रम
30-Jun-2024 9:57 PM
नये कानूनों पर संगीत विवि में उन्मुखीकरण कार्यक्रम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 30 जून।
नये कानून के संबंध में  इंदिरा कला संगीत विश्विद्यालय के  ऑडिटोरियम भवन में नवीन न्याय संहिता उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस दौरान  कमिश्नर, एडीजे, कलेक्टर, अपर कलेक्टर एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तथा कानूनविदों ने जनप्रतिनिधियों, अधिकारी-कर्मचारी, अधिवक्तागण, पत्रकारगण, नागरिक गण एवं छात्र-छात्राएं को  नये कानूनों की  जानकारी दी गई। दुर्ग कमिश्नर सत्यनारायण राठौर ने बताया कि 1 जुलाई 2024 से 3 नए कानून लागू होने वाला है। इस कानून को हम सबको जानने की आवश्यकता है, सामान्यत: जो कानून के बारे में जानता है,  सामान्य जीवन में भी कानून का उल्लंघन कम करता है। अनजाने में जो लोग कानून को  तोड़ते हैं, अनावश्यक कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते हैं अपना समय खराब एवं धन खराब करेंगे।  देश में 3 क्रिमिनल लॉ अब आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता ले लेगी। 

इन तीनों कानूनों को दंड संहिता से न्याय संहिता बनाया गया है। ताकि सबको आसानी से न्याय मिल सके, दंड की बजाय हम न्याय की ओर आगे बढ़ सके।

अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश चन्द्र कुमार कश्यप ने बताया कि 1 जुलाई से कानूनी नियमों में बदलाव होगा, यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोग नए नियमों का पालन करें। उन्होंने कहा कि नियम सबके लिए बराबर है,  दंड संहिता को न्याय सहित में बदला गया। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सभी को इस नए कानून का ज्ञान होना चाहिए। 

वरिष्ठ अधिवक्ता  माहिर झा ने बताया कि कानून में क्षमा का कोई प्रावधान नहीं है, भले ही भूलवश कोई अपराध हुई हो, सजा जरूर मिलेगी।  जो 3 नए कानून बनाया गया है उसमें बहुत अच्छा प्रावधान है। अब धारा 420 ठगी के स्थान पर धारा 318 बन गया। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी ने जो आईपीसी दंड सहित अपने हिसाब से बनाया गया था जिसे अब सुधार कर न्याय संहिता बनाया गया। इस प्रकार नवीन कानून में धाराओं को बदलकर नया धारा उसमें जोड़ा गया है। पहले आईपीसी में 511 धाराएं थी, उन्होंने शॉर्ट किया गया है। नवीन कानून में महिलाओं को ज्यादा अधिकार दिए गए है। महिलाओं के साथ अपराध होने पर केवल एकल साक्ष्य के आधार पर न्यायालय  घटना को सुनकर ही सजा का प्रावधान है।

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