महासमुन्द

जीना इसी का नाम है: बेटे की मौत के बाद दशरथ को दिव्यांग शिव का सहारा, अपनी पुुरानी व्हीलचेयर सुधरवा दी
26-Jun-2024 2:41 PM
जीना इसी का नाम है: बेटे की मौत के बाद दशरथ को दिव्यांग शिव का सहारा, अपनी पुुरानी व्हीलचेयर सुधरवा दी

 न घर, न परिवार, न आधार कार्ड, जिंदा होने का कोई दस्तावेज नहीं, जिसके बूूते इन्हें सरकारी विभाग से मदद दिलाई जा सके

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 26 जून। छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है भीख मांग के भीख दे, तीनों लोक ल जीत ले। यह कहावत आज चरितार्थ भी हुई है। भलेसर निवासी दिव्यांग शिव टांडेकर ने अपनी टूटी हुई व्हीलचेयर को सुधरवाकर एक बेसहारा दिव्यांग बुजुर्ग को दिया है।

 शिव ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया-हाल ही में लगभग एक सप्ताह पहले महासमुंद में मेरी मुलाकात एक दादा से हुई। वह काफी बुजुर्ग और असहाय है। उनकी देखभाल के लिए परिवार में कोई भी नहीं है। मुझे लगा कि कम से कम व्हीलचेयर के सहारे चल फिर सकेंगे। मेरे पास एक पुराना व्हीलचेयर था। मेरे पास वैैसे भी एक व्हीलचेयर है, इसलिए पुराने व्हीलचेयर को रिपेयर करवाने के बाद दादा जी को सौंप दिया हूं।

उक्त बुजुर्ग का नाम दशरथ ध्रुव है। वह ग्राम कसहीबाहरा भीमखोज का निवासी है और इस वक्त वह महासमुंद बस स्टेशन में निर्मित परिसर में रहता है। वह चल फिर नहीं सकता। व्हीलचेयर पर ही निर्भर है। उनके परिवार में कोई नहीं है। न घर है, न परिवार है, न आधार कार्ड है। इनके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं जिसके बूूते इन्हें सरकारी विभाग से मदद दिलाई जा सके। किसी ने उन्हें बहुत पहले व्हीलचेयर दान किया था, जो अब टूट चुका था। ऐसे में दिव्यांग शिव उसके लिए सहारा बनकर खड़ा हुआ। 

कसहीबाहरा में जानकारी लेने पर पता चला कि भीमखोज, खल्लारी, बागबाहरा, महासमुंद में उनके परिवार का कोई नहीं रहता। इनका एक बेटा था जो एक सडक़ दुर्घटना में चल बसा। पत्नी पहले ही गुजर चुकी थी। बेटे की मौत ने इसे पंगु बना दिया और तभी से वह दर-दर भटक रहा है। हाल मुकाम उनका महासमुंद बस स्टेशन है। यहां आने जाने वाले कोई इनको खाने के लिए कुछ दे देता है, उसी के सहारे जी रहा है।

बहरहाल व्हीलचेयर पाकर दशरथ दादा बहुत खुश हैं। कहते हैं कि समाज कल्याण विभाग से व्हीलचेयर के लिए मांग की थी, लेकिन आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज न होने के कारण नहीं मिल पाया था।  गौरतलब है कि शिव कुमार टांडेकर भलेसर गांव के निवासी हैं। आठ साल पहले सडक़ दुर्घटना में इनके कमर से नीचे का हिस्सा अचल हो चुका है। शिव खुद ही अपनी जिंदगी के लिए बेबद संघर्ष कर रहा है। इस पर भी उन्होंने बुजुर्ग दशरथ की पीड़ा समझा और अपनी बेकार पड़ी व्हीलचेयर को सुधरवाकर दशरथ को सौंपा है।

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