महासमुन्द
![बारिश में बिजली गुल, आंदोलन की चेतावनी बारिश में बिजली गुल, आंदोलन की चेतावनी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1719574998G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 28 जून। महासमुंद जिले में बारिश के इस मौसम में समय-बेसमय बिजली गुल हो जाने से लोग हलाकान हैं। खासकर गांवों में किसान चिंतित हैं। लो वोल्टेज और बिजली गुल होने से किसानों के खेतों की फसल कोपानी नहीं मिल रहा है। विषैले जीव जंतु घरों में आ रहे हैं जिन्हें अंधेरे में ढूढने की तकलीफ भी है। जिला मुख्यालय समेत आसपास गांवों के ग्रामीण अब आंदोलन की तैयारी में हैं।
बिजली की आंख मिचौली से परेशान सिरपुर क्षेत्र के लोग खासे परेशान हंै। यहां के ग्रामीण कह रहे हैं क समय रहते बिजली कटौती की समस्या दूर नहीं हुई तो कभी भी आंदोलन हो सकता है। सिरपुर के भाजपा नेता दुलरवा धीवर, राजेश ठाकुर, सेनकपाट के सुखीराम हिरवानी ने नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि जब चाहे तब बिजली विभाग क्षेत्र में अघोषित कटौती शुरू कर देता है। जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
इनका कहना है कि यह ढर्रा रोज चल रहा है। दिन में कई बार बिजली बंद हो रही है। हर शाम बिजली चली जाती है और रात में आने का नाम नहीं लेती। फोन लगाने पर बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारी फोन नहीं उठाने। यह सिलसिला कई दिनों से लगातार जारी है। यदि विद्युत विभाग का रवैय्या नहीं सुधरा तो कभी भी आक्रोशित ग्रामीण आंदोलन पर उतर आएंगे।
इसी तरह ग्राम मरौंद के थनवार यादव ने बताया कि बिजली की कटौती से समूचा अंचल परेशान है। अभी खेती किसानी का सीजन शुरू हो गया है। इसके अलावा बारिश के दिनों में विषैले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है जिसके कारण ग्रामीण लगातार हो रहे बिजली कटौती से नाराज है।
बाबूलाल ध्रुव, मोहन वर्मा ने भी बिजली की कटौती से नाराजगी जाहिर की है। कहते हैं कि यह समस्या जिले में लगातार बढ़ती चली जा रही है। विद्युत उपभोक्ता भारी भरकम बिल से परेशान हैं। लोग घर में लो वोल्टेज के कारण कोई विद्युत से चलने वाले उपकरण नहीं चला पा रहे है। सरकारी कामों के साथ निजी व व्यावसायिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। घरों में सांप और कीड़े-मकोड़े के घुसने का भी डर है।
ग्रामीणों का कहना है कि कोई ऐसा दिन नहीं होता जब बिजली दो-चार घंटे के लिए बंद न हो। रात में तो बिजली की स्थिति और भयावह हो जाती है। गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत ना हो इसलिए पीएचई विभाग द्वारा पहले से व्यवस्थाएं दुरुस्त कर लेती है। नल, सोलर पैनल इत्यादि संसाधनों की मरम्मत कर ली जाती है। ऐसा ही कुछ बिजली विभाग भी करता है। लेकिन हर साल यही होता है कि बारिश के मौसम में अक्सर विद्युत खंभों पर पेड़ गिर जाते हैं और विभाग के कर्मचारियों को फॉल्ट खोजने में ही कई दिन लग जाते हैं। ऐसे में बिजली उपभोक्ताओं को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लो वोल्टेज के कारण किसानों के पंप नहीं चल पाते।