महासमुन्द
![बसुदेवा गीतों के संरक्षण की जरूरत बसुदेवा गीतों के संरक्षण की जरूरत](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1719480142-0016.jpg)
छत्तीसगढ़ में 3 सौ साल पुराना है बसुदेवा समुदाय का इतिहास
रजिंदर खनूजा
पिथौरा, 27 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। प्राचीन विरासतों के संरक्षण के लिए प्रयासरत भारतीय सांस्कृतिक निधि( इन्टैक) के महासमुंद अध्याय ने महासमुंद जिले के पिथौरा में विश्व संगीत दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया । यह आयोजन छत्तीसगढ़ के विलुप्तप्राय बसुदेवा गीतों पर केन्द्रित रहा। इन गीतों के बारे में व्याख्यान हुए और इनका गायन भी हुआ।
दरअसल बसुदेवा शब्द वासुदेव का अपभ्रंश है। कुछ लोग बोलचाल में इसे बसदेवा भी कह देते हैं। इन्टैक ने यह कार्यक्रम श्रृंखला साहित्य मंच ,पिथौरा के सहयोग से आयोजित किया। सभी वक्ताओं ने इन विलुप्तप्राय गीतों की समृद्ध विरासत के संरक्षण की जरूरत पर बल दिया।
इस कार्यक्रम में पिथौरा के वासुदेवपारा निवासी जगदीश वासुदेव महाराज और उनके सहयोगी खोरबाहरा प्रसाद वासुदेव महाराज ने परम्परागत वासुदेव गीतों का गायन किया। जगदीश महाराज ने बताया कि उनके वासुदेव समुदाय का इतिहास छत्तीसगढ़ में अनुमानित लगभग तीन सौ साल पुराना है।ये गीत भी उसी समय से पीढ़ी -दर-पीढ़ी प्रचलित हैं। उन्होंने अपने गायन में श्रीकृष्ण ,राजा दशरथ और श्रवण कुमार की कहानियों को पारम्परिक बसुदेवा गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। इन गीतों के माध्यम से उन्होंने समाज के लिए प्रेरक संदेश देने का प्रयास किया।
सांकरा (जोंक) निवासी प्रसिद्ध रामायणी ,संगीतकार तथा गायक जवाहरलाल नायक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। यह आयोजन वेदमाता गायत्री मन्दिर परिसर पिथौरा के सभागृह में किया गया।
आयोजन के मुख्य वक्ता छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध उपन्यासकार और कहानीकार शिवशंकर पटनायक ने वासुदेव गीतों के इतिहास और उनके विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कई विद्वानों के उद्धरण भी दिए। मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि,साहित्यकार व पत्रकार स्वराज्य करुण और विशेष अतिथि के रूप में भोपाल (मध्यप्रदेश) से आए लेखक एवं चिन्तक विक्रमादित्य सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित किया। विक्रमादित्य सिंह मूलत: छत्तीसगढ़ के बागबाहरा(जिला -महासमुंद) के निवासी हैं । स्वराज्य करुण ने बसुदेवा गीतों के साथ -साथ अन्य विलुप्त हो रहे लोकगीतों के संरक्षण के लिए इन्हें लिपिबद्ध करने और इसके लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के अधिक से अधिक उपयोग की आवश्यकता प्रकट की। उन्होंने कहा कि कुछ कलाप्रेमियों ने कई बसुदेवा गीतों को यूट्यूब पर भी अपलोड किया हुआ है ,उनका प्रयास सराहनीय और अनुकरणीय है।
विशेष अतिथि के रूप में माँ गायत्री शक्तिपीठ पिथौरा के प्रमुख ट्रस्टी तुकाराम पटेल भी उपस्थित थे। आयोजन में इन्टैक महासमुंद अध्याय के संयोजक दाऊलाल चन्द्राकर, सह-संयोजक बंधु राजेश्वर खरे और पिथौरा के अनंत सिंह वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन बागबाहरा के रूपेश तिवारी और पिथौरा के उमेश दीक्षित ने किया ।
इस अवसर पर महासमुंद से आए प्रसिद्ध कवि अशोक शर्मा,मानक नामदेव,इन्टैक सरायपाली अध्याय के संयोजक यशवन्त चौधरी,श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा के अध्यक्ष प्रवीण प्रवाह ,सचिव संतोष गुप्ता,श्रृंखला से ही शशि कुमार डड़सेना एफ.ए. नंद,मन्नू ठाकुर,नरेश नायक,माधव तिवारी,गुरप्रीत कौर चमन ,जितेश्वरी साहू सरोज साव सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।कार्यक्रम के अंत में जवाहर नायक और उनकी सुपुत्री कमला नायक ने अंचल के प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय मधु धांधी के छत्तीसगढ़ी गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी।
उल्लेखनीय है कि 21 जून को स्व. मधु धांधी का जन्म दिन भी था। विलुप्तप्राय बसुदेवा गीतों पर केन्द्रित इस आयोजन में मुख्य वक्ता शिवशंकर पटनायक ,मुख्य अतिथि स्वराज्य करुण ,विशेष अतिथि विक्रमादित्य सिंह , तुकाराम पटेल, जगदीश प्रसाद वासुदेव महाराज और खोरबाहरा वासुदेव महाराज तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष जवाहर नायक सहित अंचल की सुपरिचित गायिका कमला नायक और अन्य अनेक विशिष्ट जनों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। आभार प्रदर्शन प्रवीण प्रवाह ने किया।