गरियाबंद
छत्तीसगढ़ संवाददाता
मैनपुुर, 11 जनवरी। ओडिशा सीमा से लगे इलाकों में देवभोग तथा अमलीपदर पुलिस ने सख्ती बढ़ा दी है। बीती रात इन दोनों थाना क्षेत्र के चार जगहों खुटगांव जरगांव कांडापारा तथा मुडग़ेलमाल में 265 बोरा धान जब्त किया गया, जिसमें ओडिशा से आ रहे धान के अलावा कुछ संदिग्ध धान भी है। जब्त तक धान की कीमत 2,65,000 बताई जा रही है। इस बड़ी कार्रवाई में 2 ट्रैक्टर, 1 पिकअप तथा 3 मोटरसाइकिल भी जब्त किए गए हैं। धान तस्करी में संलिप्त लोगों से पूछताछ की जा रही है।
धान खरीदी खत्म होने में अंतिम 19 दिन बचे हुए हैं। ऐसे में जहां किसान अपनी बची हुई उपज को जल्द मंडी ले जाने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं मैनपुर और देवभोग क्षेत्र में तस्कर भी ओडिशा से कम कीमत पर धान लाकर समर्थन मूल्य में खपाने की फिराक में लगे हुए हैं।
अंतिम दिनों में एक बार फिर पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने कार्रवाई और तेज करते हुए व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने नाके पर चेकिंग तथा जरूरत के हिसाब से छापामार कार्रवाई भी किए जाने के निर्देश ओडिशा सीमा से लगने वाले थाना प्रभारियों को दिए हैं, जिसके बाद देवभोग अमलीपदर तथा मैनपुर इलाके में रात्रि गश्त बढ़ा दी गई है वहीं नाके पर भी जवानों द्वारा लगातार चेकिंग की जा रही है। इसके अलावा मुखबीरों को भी ओडिशा के धान तथा अवैध धान की जानकारी देने के लिए एक्टिव किया गया है।
बीती रात देवभोग तथा अमलीपदर इलाके में 4 जगहों पर कार्रवाई हुइ। देवभोग पुलिस को गुडगांव नाके पर ओडिशा से ट्रैक्टर से लाए जा रहे 144 बोरे धान को पकडऩे में सफलता मिली तो वहीं जरगांव चौक पर पिकअप से ले जाए जा रहे 24 बोरा धान भी टीम ने जब्त कर लिया। इसके अलावा कांडे पारा में मोटरसाइकिल से धान तस्करी करते तीन युवक पकड़ाए जो कुल 8 बोरा धान ओडिशा से ला रहे थे। देवभोग थाना क्षेत्र के तहत कुल 5 लोगों से धान तस्करी के मामले में पूछताछ जारी है वहीं धान को जब्त कर थाने लाया गया है।
इसके अलावा अमलीपदर थाना क्षेत्र के मुडग़ेलमाल से देवरी गुड़ा मार्ग पर चंचल किराना के पास खड़ी एक ट्रैक्टर में 121 बोरा धान संदिग्ध स्थिति में मिला पूछे जाने पर चालक ने नागपारा के किसान का होना बताया। किसान से पता करने पर उसके पास जितना धान मिला वह 45 क्विंटल भी नहीं था, उल्टे बयानों में कई बदलाव नजर आए, कोई घर से धान उठाना बता रहा था तो कोई किराना दुकान से जिसके चलते संदिग्ध मानकर इस धान को जब्ती बनाकर कोटवार के सुपुर्द किया गया।