गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 16 फरवरी। कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल इन दिनों मोबाइल के व्हाट्सएप ग्रुप पर अनेक नवोदित लेखकों को समसामयिक विषयों के अलावा धर्म अध्यात्म, पर्यटन आदि विषयों पर लेख की बारीकी पर फोकस रहे हैं। इन्होंने कोरोनाकाल के शुरुआती दौर में जिला रत्नांचल साहित्य परिषद के पटल प्रभारी के रूप में आलेख लेखन, शब्द विन्यास के साथ ही कला कौशल पर विशेष जानकारी दी और अभी तक दर्जनों नवोदित लेखक उभरकर सामने आए हैं। जिनकी आलेख लगातार पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही है। इससे जिला में लेखकों की संख्या बढ़ी है।
श्री सोनकर बताते हैं कि वर्ष 2000 के दशक में लिखने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि प्रतिदिन रात 2 बजे तक कविता, आलेख, कहानी लिखता था। उस समय सद्भाव साहित्य समिति से जुड़ा हुआ था जहां इनकी हर कविताओं को बारीकी से सुना जाता था। कोई गलती होने पर तुरंत टोका जाता तथा अच्छे शब्दों पर शबासी भी मिलती। उन्होंने बताया कि एक बार तो कविता लिखकर टाइप कराने के लिए टाइपराइटर के पास गया तो उन्होंने यह कविता नहीं है कहकर भगा दिया। फिर भी हार नहीं मानी और लिखने का क्रम निरंतर जारी रहा।
आगे बताया, मेरा व्याकरण कमजोर था इस कारण भी कई पत्रिकाएं रचनाओं को स्थान नहीं देते थे किन्तु धीरे-धीरे लिखते लिखते व्याकरण भी प्रगाढ़ होता गया और लिखने का क्रम चल पड़ा। देश भर के अनेक राज्यों के प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में आलेख लगातार छप रहे हैं। आकाशवाणी, टीवी चैनलों में कविता पाठ करना सुखद अनुभव है। श्री सोनकर को साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए अनेक सम्मान मिल चुके हैं। उन्होंने बताया कि साहित्य का क्षेत्र समृद्ध है इनकी साधना के लिए समय देना बहुत जरूरी है। अनेक लेखकों की पुस्तकें पढ़ता हूं। इससे लिखने की प्रेरणा मिलती है। कलम की ताकत लिखने से बढ़ती है शब्द सही व प्रेरणादायक होनी चाहिए।