गरियाबंद

राजिम पुन्नी मेला : कविता ने पारंपरिक लुप्त होती खेलों को गाने के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किया
08-Mar-2021 7:04 PM
  राजिम पुन्नी मेला : कविता ने पारंपरिक लुप्त होती खेलों को गाने के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजिम, 8 मार्च।  राजिम माघी पुन्नी मेला के आठवें दिन सांस्कृतिक मंच पर भजन सम्राट डॉ. सतोष साहू एवं तीजन पटेल का जलव रहा। संतोष साहू ने अपनी चीर परचित आवाज नगर में जोगी आए.. ये इस गीत को गाकर उस समय की याद दिला दी जिस समय अयोध्य में श्रीराम का जन्म हुआ था और महादेव जोगी का रूप लेकर उनके दर्शन करने आए थे। आगे की कड़ी में शरीर के अंगों का महत्व बताते हुए गीत की प्रस्तुति दी।

मुख वे है जो हरि के नाम का सुमिरन करे... इस गीत ने बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति के कारण सभी दर्शकों ने शांत भाव से गीत सुना। इसी के साथ तीजन पटेल ने ईश्वर सत्य है सत्य ही शिव हैं... सत्यम् शिवम् सुन्दरम् जैसे गीतों को सुनकर दर्शक भक्तिमय महानदी में डुबकी लगाने लगे। ऐसी लागी लगन मीरा होगी गई मगन... इस भजन में भी दर्शकों पर अपना छाप छोड़ा क्योंकि ऐसी गीत हमे रेडियों में सुनने को ही मिला करता था। इसी के साथ आबे तेला बतादे... और अपने समय में सबसे अधिक प्रसिद्ध चौरा म गोंदा... इस गीत ने राजिम माघी पुन्नी मेले का महत्व को और बढ़ाते हुए दर्शक बिना ताली बजाए नहीं रहे। कविता वासनिक मुख्यमंच की शोभा बन गई। दर्शकों की खूब सहारना बटोरी। कविता वासनिक के अनुराग धारा ने आदिवासी की संस्कृति का बखान करती आदिवासी वेशभूषा में सुसज्जित कलाकारों के समूह ने महुवा झरे रे... नृत्य गीत के माध्यम से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। कविता वासनिक बेटी एडवोकेट बहुत ही ओजस्वी स्वर में छत्तीसगढ़ महतारी की जयकारे के बाद मोला चढ़े हे हरेली के रंग की जबरदस्त प्रस्तुति दी तथा कार्यकम का शुभारंभ किया।

बखरी के तुमा नार बरोबर... दोपहर के समय रेडियों में चलने वाले  इस गीत और नृत्य की प्रस्तुति जब मंच पर दी गई तो मुख्यमंच की शोभा और बढ़ती गई। इसी मंच पर मोला जावन देना रे अलबेला मोर अब्बड़ बेरा होगे... के गीत सुनकर दर्शकों में एक नई जान डाल दी। कार्यक्रम में एक नई उर्जा भरते हुए धनी बिना जग लागे सुना नई भावे मोला सोना चांॅदी ... इस गीत ने हमें अपने प्रिय जिससे हम स्नेह करते हैं उसकी याद इस माघी पुन्नी मेला में दिला दिया। कुछ महिला दर्शकों के आंखों में साफ-साफ उनकी यादें झलकती हुई दिखाई दी। को सुनकर दर्शकगण उत्साहित हो गए। पता ले जा पता ले जा रे गाड़ीवाला... मॉ के गोद में सो रहे बच्चे न जब ये गीत सुना तो वे झकझोर होकर उठ गया। इसी के साथ कहते है कि छत्तीसगढ़ त्यौहारो का राज्य है लेकिन होली एक ऐसा त्योहार जो सब के मन को मोह लेता है।

राजिम माघी पुन्नी मेला मुख्यमंच पर कविता वासनिक और साथियों के द्वारा होली गीत फागुन आगे सुन ले मोर कबीर... इसी गीत के साथ होली के मिंझरा गीत की प्रस्तुति मंच पर दी गई क्योंकि कुछ दिनों के बाद होली का त्योहार आने वाला है जिसका पूर्वाभ्यास दर्शकों को आज ही करा दिया गया। आज इस सांस्कृति मंच पर ये सना नना नई छोड़व तोला... इस गीत नृत्य के माध्यम से लुप्त हो रही छत्तीसगढ़ी खेलों को अभिनय के माध्यम से दर्शकों को बताया गया। दान का पर्व छेरछेरा पर्व को महत्व बताते हुए गीत की प्रस्तुति दी गई जिसमें छेरिक छेरा छेर मढ़ई के दिन छेर छेरा... इसी के साथ छत्तीसगढ़ में समस्त त्योहारों का वर्णन करते हुए बारहमासी गीतों की प्रस्तुति दी गई। जिसे दर्शक सुनकर सभी त्योहारों का आनंद ले लिया।

इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए देवार गीत भी प्रस्तुत किया गया जिससे दर्शकों ने काफी तालियों के साथ स्वागत किया। कलाकारों का सम्मान एसपी भोजराम पटेल, एएसपी सुखनंदन राठौर, थाना प्रभारी विकास बघेल, जनप्रतिनिधियों में गफ्फु मेमन लक्ष्मी साहू, उत्तम निषाद, चेतन मेघवानी ने स्मृति चिन्ह और गुलदस्ता भेंट कर सम्मान किया।

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