गरियाबंद
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
गरियाबंद, 29 मई। गरियाबंद जिले के अंतिम छोर पर बसा झोलाराव गांव में ढाई महीने की मासूम रवीना कंजनाइटल और हाइड्रोसिफेलस से जूझ रही है। परिवार ने बच्ची के इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है।
कंजनाइटल के कारण रवीना के शरीर पर जन्म से ही कई जगह जख्म की तरह काले-काले निशान हैं। इस रोग की वजह से बच्ची ठीक से सो भी नहीं पाती। पीठ में ये घाव होने के कारण बच्ची सीधा लेट भी नहीं पाती है।
रवीना की दूसरी बीमारी हाइड्रोसिफेलस (जलशीर्ष) के कारण बच्ची का सिर बड़ा होता जा रहा है। उसमें पानी भरता जा रहा है। इस पर और बड़ी समस्या ये है कि बच्ची के जन्म के बाद से बढ़े हुए कोरोना के आंकड़ों के चलते बच्ची के माता-पिता इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं। उसे कोरोना के डर से इलाज कराने कहीं ले भी नहीं जा पा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं बाहरी व्यक्तियों से मिलने पर, अस्पताल जाने पर उन्हें भी कोरोना न हो जाए।
बच्ची की स्थिति को देखते हुए गरियाबंद के जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने इसकी इलाज की पूरी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी उठाई है। उन्होंने कहा है कि वे इस गंभीर बीमारी को ले कर शासन से लगतार बात कर रहे हैं। वे इसका जल्द ही इलाज करवाएंगे। यदि दिक्कत आती है तो वह अपने पास से भी रुपए खर्च करने में पीछे नहीं हटेंगे।
मासूम रवीना का जब जन्म हुआ तो बच्ची काफी देर तक रोती रही। इस बच्ची के शरीर पर काले जख्म जैसे निशान इसे परेशान कर रहे थे। बच्ची को सीधा लिटाने पर और रोने लगी। बच्ची का ये निशान सामान्य बिल्कुल नहीं लग रहा था। मां-बाप, मितानिन हर कोई इसे लेकर चिंतित हो गया। परिजन इसे अस्पताल ले जाना चाहते थे, लेकिन कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के चलते परिजनों ने कुछ दिन इंतजार करने का फैसला लिया। इसके बाद कोरोना वायरस के आंकड़े कम होने की बजाय और बढ़ते चले गए। जिससे बच्ची को अब तक इलाज नहीं मिल पाया है। अब परिवार बच्ची के इलाज के लिए मदद की गुहार लगा रहा है।
जिला चिकित्सा अधिकारी ने बच्ची को दो प्रकार की बीमारी होने की बात कही। पहली कंजनाइटल एनमिलिस, जो गंभीर चर्म रोग की श्रेणी में आता है। दूसरी बीमारी हाइड्रोसिफेलस, जिसमें बड़ा हो जाता है और उसमें पानी भरने लगता है।