गरियाबंद

रिमझिम बारिश, खेती में जुटे किसान
29-Jul-2021 7:27 PM
रिमझिम बारिश, खेती में जुटे किसान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 29 जुलाई।
सावन लगते ही मौसम सुहाना हो गया है। तीस घंटे से अधिक समय से क्षेत्र में रिमझिम बारिश हो रही है। किसान अब खेती कार्य में तेजी से जुट रहे हैं। 
बारिश नहीं होने से क्षेत्र में कृषि कार्य बेहद पिछडऩे लगे थे, लेकिन सावन लगते ही रिमझिम बारिश शुरू हो गई। इससे पौधों में हरियाली आ गई है, वहीं कई खेतों में पानी भरा हुआ है। किसानों के चेहरे पर भी खुशी छा गई है। एक लम्बे अंतराल के बाद हुई इस बारिश से किसानों की चिंता खत्म हो गई है। बारिश के अभाव में हताश और निराश हो चुके किसानों की जान में जान आ गई है। बारिश का असर राजिम नवापारा क्षेत्र के तमाम गांवों में देखा गया। कहीं पर रोपा का काम चल रहा है, तो कहीं पर निंदाई का। कहीं-कहीं बियासी शुरू हो चुका था और कईयों जगह खाद डालने की भी तैयारी किसानों द्वारा की जा रही थी।

खाद को लेकर किसानों की समस्या बढ़ी
किसानी कार्य में तेजी से जुटे किसानों के सामने अब नई समस्या से जूझना पड़ रहा है। जिले में कई स्थानों पर किसान खाद के लिए परेशान होते देखे जा रहे हैं, इससे उनमें रोष पनप रहा है। दरअसल किसानों में इस वक्त यूरिया और डीएपी खाद की मांग की जा रही है। लेकिन जिले के अनेक स्थानों में इन खादों की कमी होने के कारण किल्लत शुरू हो गई है। किसानों का कहना है कि इस वक्त उन्हें खाद की बेहद आवश्यकता है। यदि समय पर खाद नहीं मिली, तो उनकी समस्या और अधिक बढ़ जाएगी। खाद की कमी अपने चरम पर पहुंचे इससे पहले ही विभाग को खाद की रैक बुलवानी चहिए। 

कांग्रेस राज में किसान हमेशा परेशान हुआ है - श्याम अग्रवाल
किसानों की समस्या को देखते हुए सांसद प्रतिनिधि, रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति एवं भाजपा आर्थिक प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य श्याम अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस के राज में किसान हरदम परेशान हुआ है, कभी बारदाने को लेकर परेशानी होती है, कभी धान बेचने व भुगतान को लेकर परेशानी होती है। अभी खाद को लेकर छत्तीसगढ़ के किसान परेशान हैं। 

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में किसानों के सामने यूरिया का संकट शुरू हो गया है। यहां गोदामों में खाद नहीं है, किसानों को वापस लौटाया जाने लगा है। ऐसी परिस्थिति में किसानों को सही समय पर खाद का इंतजाम करने के लिए बाजार से खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं बच रहा, जिससे खाद की कीमत भी बढ़ गई है। समिति से खाद मिल जाने की आस में बैठे किसानों को अब खाद खरीदने के लिए नगद राशि का इंतजाम करना पड़ रहा है, जिससे कई छोटे किसान ब्याज के चक्रव्यूह में भी फंस जा रहे हैं। प्रदेश भर के किसान रासायनिक खाद की कमी से जूझ रहे हैं। 

श्री अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार राज्य की मांग अनुरूप खाद की पूर्ति कर चुकी है, लेकिन राज्य सरकार समितियों को जानबूझकर खाद उपलब्ध नहीं करा रही है, ताकि इनके समर्थक व्यापारियों को फायदा पहंचाया जा सके। दूसरी ओर कांग्रेस सरकार किसानों को बोल रही है आप जैविक खेती करिए और कम्पोस्ट खाद बेच रही है। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार खाद की कालाबाजारी कर रही है। उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार ने किसान वर्ग के साथ ही सबसे बड़ा छल किया है।
 

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