विचार / लेख

एलोपैथी और आयुर्वेद की घनिष्ठता का इतिहास
01-Jun-2021 5:39 PM
 एलोपैथी और आयुर्वेद की घनिष्ठता का इतिहास

-अपूर्व गर्ग

आज महामारी में हमारे डॉक्टर्स जिस तरह कोरोना से निर्णायक युद्ध लड़ रहे , जिस तरह 834 डॉक्टर्स शहीद हुए, जिस तरह वो सभी की जिंदगी बचा रहे ऐसे में जरूरत है इन डॉक्टर्स के साथ मजबूती, प्रेम के साथ खड़े होकर इनके उत्साह वर्धन की।

हमने ग्यारहवीं कक्षा तक एलोपैथिक गोलियां निगलना नहीं सीखा था। डॉ. बी सी गुप्ता और बी आर गुहा जैसे दिग्गज होमियोपैथी के डॉक्टर हमारा  सम्पूर्ण ट्रीटमेंट करते थे। 

 एक दौर ऐसा भी आया जहाँ होमियोपैथी  को ठिठकते पाया खुद डॉ बी सी गुप्ता ने एलोपैथी लेने की सलाह दी  थी।

एलोपैथी जीवन रक्षक साबित हुई भी।

जहाँ दूसरी पैथी  ख़त्म होती है वहां एलोपैथी शुरू होती है। एलोपैथी एक ऐसा विज्ञान है जो चमत्कारी, अतिशयोक्तिपूर्ण दावे नहीं करता बल्कि हक़ीक़त, रिपोर्ट्स, रिसर्च, महत्वपूर्ण विश्व्यापी ट्रायल की जमीन पर बात करता है ।

खुशी की बात है आयुर्वेद में भी ट्रायल बढ़ते जा रहे।

ख़ुद आयुर्वेद डॉक्टर एलोपैथी सरकारी अस्पतालों से विधिवत इंटर्नशिप लेकर प्रैक्टिस करते हैं वे आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों लिखते हैं और ऐसे कई वरिष्ठ डॉक्टर तो आयुर्वेद के साथ एलोपैथी के भी परम विद्वान  हैं।

एलोपैथ  के  कई डॉक्टर भी  जहाँ आयुर्वेद की दवाओं की ज़रूरत हो लिखते हैं।

  इस शहर के ही आयुर्वेद के डॉक्टरों से जिनसे मेरी मुलाकात होती रही उनका एलोपैथी का ज्ञान बहुत  उच्च स्तर का देखा  और वैसी ही प्रैक्टिस।

इसी तरह एलोपैथी के डॉक्टरों का अन्य पाठ्य में रुझान और उनकी विद्वता नजदीक से देखीं ।

राजनीति को दूर रखिये, रामदेव की मत सुनिए तो देखेंगे कि इनके बीच  कैसे घनिष्ठ और परस्पर सम्मान के संबंध हैं। ये बात और है कि व्यापार और राजनीति से भी मुनाफा कमाने वाले रामदेव जान बूझकर इस  घनिष्ठता  और प्रेम पर पर्दा डाले रखेंगे।

फार्मा में लंबा समय गुजारते हुए इन पर मैंने स्वस्थ बहस देखीं पर विवाद कभी नहीं देखा ।

पिछले कुछ सालों से जरूर निजी स्वार्थ के चलते रामदेव  ने ख़ुद को बचाने या माल खपाने के उद्देश्य से विवाद पैदा किया पर ऐसे विवाद पहले कभी नहीं हुए। ये विवाद टीवी तक ही रहा और कभी मैंने किसी का दिल खट्टा होते नहीं देखा  ख़ुद रामदेव का परिवार कैसे एलोपैथी की शरण में रहा ये हम लगातार देख रहे हैं, फिर भी वो बयानबाजी कर रहे ये अलग बात है । रामदेव का  एलोपैथी 1ह्य आयुर्वेद का असर सोशल मीडिया और उस टीवी तक ही सीमित है ,जो इनके विज्ञापनों से सांस लेता है ।

दरअसल, एलोपैथी त्वचा से लेकर दिमाग के एक-एक सेल  का ऐसा सर्वाधिक विकसित विज्ञान है जो हर  पल नई खोज नए मॉलिक्यूल नए ट्रायल और हार दावे के लिए ठोस वैज्ञानिक प्रमाण की खोज में जुटा रहता है। सर्जरी में जिस मुकाम पर पहुँच चुका उसे घूरने के लिए भी इतना ऊंचा देखना होगा कि गर्दन अकड़ जाएगी।

इसी तरह इस देश के आयुर्वेद ने दुनिया में एक मुकाम हासिल किया है। कोरोना काल में अपनी इम्युनिटी बढ़ाने में लोगों ने भरपूर आयुर्वेद काढ़े का इस्तेमाल किया। यही नहीं शुरू से ही केरल के आयुर्वेद की दुनिया में धूम रही, ऐसे ही दुनिया भर के लोग केरल नहीं आते रहे।

इस देश में जिस तरह इंडियन, चायनीज़, इटालियन, वेज, नॉन वेज  या अलग-अलग तरह की थाली लोग प्रेम से खाते आ रहे वैसे ही अलग-अलग  पैथी  से इलाज भी लेते आ रहे कोई विवाद न रहा, कोई आपत्ति नहीं। अमन-चैन से सब कुछ चलता आ रहा।

 इस देश में एलोपैथी और आयुर्वेद की घनिष्ठता का इतना सुंदर इतिहास है कि रामदेव लाख उकसावे के बयान दें कभी सफल नहीं होंगे।

आज महामारी में हमारे डॉक्टर्स जिस तरह कोरोना से निर्णायक युद्ध लड़ रहे , जिस तरह 834 डॉक्टर्स शहीद हुए, जिस तरह वो सभी की जिंदगी बचा रहे ऐसे में जरूरत है इन डॉक्टर्स के साथ मजबूती, प्रेम के साथ खड़े होकर इनके उत्साह वर्धन की। हम यही तो कर सकते हैं और यही शहीद डॉक्टर्स के लिए श्रद्धांजलि होगी ।

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