सामान्य ज्ञान

जुड़वा ग्रह कौन से कहे जाते हैं?
03-Jun-2021 12:40 PM
 जुड़वा ग्रह कौन से कहे जाते हैं?

पृथ्वी और शुक्र ग्रह को जुड़वा ग्रह कहा जाता है। ये आकार में एक जैसे  हैं, लेकिन बाद में दोनों का विकास एकदम अलग हुआ है, असमान जुड़वां बच्चों की तरह। एक सूखा और दुर्गम है तो दूसरा नम और जीवन से भरपूर।
धरती और शुक्र एक दूसरे से इतने अलग क्यों हैं, इसकी वजहों का पता करने में विज्ञान अब तक नाकाम रहे हैं। लेकिन अब इसकी गुत्थियां खुल सकती है। नेचर पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में जापान के रिसर्चरों की एक टीम ने कहा है कि इसका जवाब इन ग्रहों की सूरज से दूरी में छुपा है। हालांकि दोनों ग्रह कॉस्मिक स्केल पर करीब हैं, धरती सूरज से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है और शुक्र  10.8 करोड़ किलोमीटर। रिसर्च टीम का कहना है कि बहुत संभव है कि दोनों अपने केंद्र से क्रिटिकल दूरी के इस पार और उस पार चक्कर लगाते हैं। माना जाता है कि यही कारण है कि 4.5 अरब साल पहले जन्म के समय लगभग एक जैसे ग्रह ठोस अवस्था में अब इतने अलग दिखने लगे हैं।
12 हजार  किलोमीटर की दूरी पर शुक्र  का व्यास धरती के व्यास का 95 प्रतिशत है और उसका पिमंड 80 प्रतिशत है। वह धरती और बुध ग्रह के बीच सूरज के चक्कर लगाता है। बुध सूरज का सबसे करीबी ग्रह है। जहां तक दोनों के बीच अंतर का सवाल है तो शुक्र की सतह पर पानी नहीं है और उसका माहौल बहुत भारी और जहरीला है, जो तकरीबन पूरी तरह कार्बन डाय ऑक्साइड से बना है। सतह पर औसत तापमान 477 डिग्री सेल्सियस है।
रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि सूरज से क्रिटिकल दूरी के बाहर स्थित धरती जैसे टाइप वन ग्रह के पास लाखों सालों की तरल स्थिति में ठोस अवस्था में आने का समय था और इस प्रक्रिया में पत्थरों में और ठोस सतह के नीचे पानी जमा होता गया। इसके विपरीत टाइप टू ग्रह, शुक्र जिसकी मिसाल हो सकता है, ज्यादा समय तक तरल अवस्था में रहे। 10 करोड़ साल से भी ज्यादा और इन सालों में उन्हें सूरज से ज्यादा गर्मी मिली, जिसकी वजह से पानी को सूखने के लिए ज्यादा वक्त भी मिला।
 

उदारतावाद
उदारतावाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थन का राजनैतिक दर्शन है। वर्तमान विश्व में यह अत्यन्त प्रतिष्ठित धारणा है। पूरे इतिहास में अनेकं दार्शनिकों ने इसे बहुत महत्व एवं मान दिया।
उदारतावाद शब्द का प्रयोग, साधारणतया, व्यापक रूप से मान्य, कुछ राजनीतिक तथा आर्थिक सिद्धांतों, साथ ही, राजनीतिक कार्यों बौद्धिक आंदोलनों का भी परिणाम है जो 16वीं शताब्दी से ही सामाजिक जीवन के संगठन में व्यक्ति के अधिकारों के पक्ष में, उसके स्वतंत्र आचरण पर प्रतिबंधों के विरुद्ध, कार्यशील रहे हैं। 19वीं शताब्दी में उदारतावाद का अभूतपूर्व उत्कर्ष हुआ। जो भी हो, राष्ट्रीयवाद के सहयोग से इसने इतिहास का पुननिर्माण किया। यद्यपि यह अस्पष्ट था तथा इसका व्यावहारिक रूप स्थान-स्थान पर बदलता रहा, इसका अर्थ, साधारणतया, प्रगतिशील ही रहा। नवें पोप पियस ने जब 1846 ई. में अपने को उदार घोषित किया तो उसका वैसा ही असर हुआ जैसा आज किसी पोप द्वारा अपने को कम्युनिस्ट घोषित करने का हो सकता है।
 

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