सामान्य ज्ञान

थ्येन आन मन चौक की घटना क्या है?
04-Jun-2021 12:36 PM
थ्येन आन मन चौक की घटना क्या है?

4 जून सन 1989 ईसवी को चीन की राजधानी बीजिंग के थ्येन आन मन नामक चौक पर छात्रों के खिलाफ  हिंसा की घटना हुई। इस दिन हज़ारों चीनी छात्र इस चौक पर एकत्रित हुए थे और खुले राजनैतिक वातावरण कम्युनिष्ट पार्टी के अधिकारों में कमीं संसद की शक्ति और अधिकारों में वृद्धि तथा सांसदों के निर्वाचित होने की मांग कर रहे थे। 
सरकार ने बार-बार चेतावनी दी, लेकिन उनका प्रदर्शन जारी रहा और अंतत: पुलिस और सेना के जवानों ने छात्रों के प्रदर्शनों को बुरी तरह कुचला। छात्रों और पुलिस की इस झड़प से चीन के विरूद्ध पश्चिमी देशों को अच्छा बहाना मिल गया और उन्होंने इस घटना पर खूब हो हल्ला मचाकर चीन की सरकार पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया और उस पर दबाव बनाने का प्रयास किया। 
 

व्रत किसे कहते हैं?
संकल्पपूर्वक किए गए कर्म को  व्रत  कहते हैं। मनुष्य को पुण्य के आचरण से सुख और पाप के आचरण से दुख होता है। संसार का प्रत्येक प्राणी अपने अनुकूल सुख की प्राप्ति और अपने प्रतिकूल दुख की निवृत्ति चाहता है।  ऋषि- मुनियों ने वेद, पुराण, स्मृति और समस्त निबंधग्रंथों को आत्मसात् कर मानव के कल्याण के हेतु सुख की प्राप्ति तथा दुख की निवृत्ति के लिए अनेक उपाय कहे गये हैं। उन्हीं उपायों में से व्रत और उपवास श्रेष्ठ तथा सुगम उपाय हैं। व्रतों के विधान करने वाले ग्रंथों में व्रत के अनेक अंगों का वर्णन देखने में आता है। उन अंगों का विवेचन करने पर दिखाई पड़ता है कि उपवास भी व्रत का एक प्रमुख अंग है। इसीलिए अनेक स्थलों पर यह कहा गया है कि व्रत और उपवास में परस्पर भाव संबंध है। अनेक व्रत के आचरणकाल में उपवास करने का विभिन्न विधान देखा जाता है।
अनेक प्रकार के व्रतों में सर्वप्रथम वेद के द्वारा प्रतिपादित अग्नि की उपासना रूपी व्रत देखने में आता है। इस उपासना के पूर्व विधानपूर्वक अग्नि परिग्रह आवश्यक होता है। अग्निपरिग्रह के पश्चात व्रती के द्वारा सर्वप्रथम पौर्ण मास याग करने का विधान है। 
वैदिक काल की अपेक्षा पौराणिक युग में अधिक व्रत देखने में आते हैं। उस काल में व्रत के प्रकार अनेक हो जाते हैं।  जिस व्रत का आचरण सर्वदा के लिए आवश्यक है और जिसके न करने से मानव दोषी होता है वह नित्यव्रत है। सत्य बोलना, पवित्र रहना, इंद्रियों का निग्रह करना, क्रोध न करना, अश्लील भाषण न करना और परनिंदा न करना आदि नित्यव्रत हैं।  किसी प्रकार के पातक के हो जाने पर या अन्य किसी प्रकार के निमित्त के उपस्थित होने पर चांद्रायण प्रभृति जो व्रत किए जाते हैं वे नैमिक्तिक व्रत हैं। जो व्रत किसी प्रकार की कामना विशेष से प्रोत्साहित होकर मानव के द्वारा संपन्न किए जाते हैं वे काम्य व्रत हैं; यथा पुत्रप्राप्ति के लिए राजा दिलीप ने जो व्रत किया था वह काम्य व्रत है। 
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news