सामान्य ज्ञान
मंगल पाण्डेय 34 वीं बंगाल नेटिव इनफ़ैन्ट्री में एक सिपाही थे। 29 मार्च , 1857 को बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट मंगल पाण्डेय ने रेजीमेण्ट के अफ़सर लेफ़्टीनेण्ट बाग पर हमला कर उसे जख्मी कर दिया। जनरल जान हेएरसेये के अनुसार मंगल पाण्डेय किसी प्रकार के मजहबी पागलपन में था। जनरल ने जमादार ईश्वरी प्रसाद को मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया पर जमादार ने इंकार कर दिया। सिवाय एक सिपाही शेख पलटु को छोडक़र सारी रेजीमेण्ट ने मंगल पाण्डेय को गिरफ़्तार करने से मना कर दिया।
मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों को खुलेआम विद्रोह करने के लिए कहा पर किसी के ना मानने पर उसने अपनी बंदूक से अपनी जान लेने की कोशिश की। परन्तु वह इस प्रयास में वह सिफऱ् घायल हुआ। 6 अप्रैल, 1857 को मंगल पाण्डेय का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और 8 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गयी।
जमादार ईश्वरी प्रसाद को भी मौत की सजा दी गई और उसे भी 22 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गई। सारी रेजीमेण्ट को खत्म कर दिया गया और सिपाहियों को निकाल दिया गया। सिपाही शेख पलटु को तरक्की देकर बंगाल सेना में जमादार बना दिया गया ।
अन्य रेजीमेण्ट के सिपाहियों को यह सजा बहुत ही कठोर लगी। कई इतिहासकारों के मुताबिक रेजीमेण्ट को खत्म करने और सिपाहियों को बाहर निकालने ने विद्रोह के प्रारम्भ होने मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, असंतुष्ट सिपाही बदला लेने की इच्छा के साथ अवध लौटे और विद्रोह ने उन्हें यह मौका दे दिया।