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क्यों दबाव है स्लोवेनियाई के प्रधान मंत्री यानेस यांशा पर
14-Jul-2021 2:22 PM
क्यों दबाव है स्लोवेनियाई के प्रधान मंत्री यानेस यांशा पर

स्लोवेनिया इस समय यूरोपीय संघ का अध्यक्ष है. स्ट्रासबुर्ग में यूरोपीय सांसदों ने जब स्लोवेनिया के प्रधानमंत्री यानेस यांसा से प्रेस स्वतंत्रता और कानून के शासन पर हो रहे हमलों पर सवाल पूछे तो प्रधानमंत्री दबाव में दिखे.

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यूरोपीय संसद में सांसदों के सवालों का जवाब देने स्ट्रासबुर्ग पहुंचने पर यांशा का स्वागत एक विरोध चिह्न के साथ किया गया, जिसमें उनकी सरकार से ‘कानून के शासन की रक्षा करने' की मांग की गई थी. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर स्वतंत्र पत्रकारों पर हमला बोला था और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के इस दावे का समर्थन किया था कि पिछले साल नवंबर में अमेरिका में हुए चुनावों में धांधली हुई थी.

यूरोपीय संसद के भीतर सांसदों ने स्लोवेनिया के छह महीने के यूरोपीय संघ के अध्यक्षता की प्राथमिकताओं की रूपरेखा के बारे में यांशा की बातें सुनीं. बहस के दौरान, कई सांसदों ने प्रेस स्ववंत्रता और कानून के शासन पर उनके घरेलू रिकॉर्ड के बारे में कठोर शब्द भी कहे.

यूरोपीय संघ के एक और पाखंडी नेता?
यूरोपीय संसद के सदस्य और नीदरलैंड लिबरल रीन्यू ग्रुप के उपाध्यक्ष मलिक अजमानी ने यांशा पर आरोप लगाया कि वो यूरोपीय संसद में उस "सिनिस्टर क्लब” का हिस्सा बनना चाहते हैं जो कानून के शासन की इज्जत नहीं करता. उनका इशारा हंगरी और पोलैंड के प्रधानमंत्रियों की ओर था, जिन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधात्मक उपायों के मामले में ब्रसेल्स का विरोध किया है और राजनीतिक झुकाव वाले न्यायाधीशों को नियुक्त करने के लिए कदम उठाए हैं.

इस तरह की आलोचना का लगातार विरोध करने वाले स्लोवेनियाई प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब भी वो प्रधान मंत्री होते हैं, तो प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पर देश की रैंकिंग में हमेशा सुधार होता है. यांशा तीसरी बार स्लोवानिया के प्रधानमंत्री बने हैं. यूरोपियन पीपुल्स पार्टी यूरोपीय संघ में वह राजनीतिक समूह है जिसमें यांशा की स्लोवेनियाई डेमोक्रेटिक पार्टी भी शामिल है. इस समूह के सांसदों ने भी उन पर सतर्क रहने का दबाव डाला है.

भ्रष्टाचार पर दवाब में स्लोवेनिया के नेता
स्पेनी राजनीतिज्ञ और यूरोपीयन संसद के सदस्य डॉलर्स मोंसेराट का कहना था, "राष्ट्रवाद और लोकलुभावनवाद हमेशा संकट के समय का उपयोग इन अधिकारों पर हमला करने के लिए करते हैं. अत्याचार के रास्ते से तभी बचा जा सकता है जब हम कानून के शासन को मजबूत करें.” यूरोपीय संसद के सदस्यों द्वारा अक्सर उठाए गए मुद्दों में से एक यह भी है कि स्लोवेनिया ने अभी तक यूरोपीय लोक अभियोजक कार्यालय के लिए दो अभियोक्ताओं का मनोनयन नहीं किया है. 

यूरोपीय लोक अभियोजक कार्यालय ईपीपीओ का गठन यूरोपीय संघ के बजट से धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए किया गया है. कई आलोचकों ने यूरोपीय परिषद से यांशा सरकार को दिए गए यूरोपीय संघ के 750 अरब  यूरो के कोविड-19 रिकवरी पैकेज को तब तक के लिए निलंबित करने का आह्वान किया है, जब तक कि वो इस दायित्व को पूरा नहीं करते हैं.

स्लोवेनिया यूरोपीय संघ के 27 में से 22 सदस्य देशों में शामिल है जिसने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. यांशा ने इस बात पर हैरानी जताते हुए सवाल किया कि आखिर सारा दबाव उन्हीं पर क्यों बनाया जा रहा है, "जबकि उन पांच देशों के बारे में कोई भी बात नहीं कर रहा है जो ईपीपीओ में शामिल नहीं हुए, फिर भी ईयू फंड का लाभ उठा रहे हैं.” आयरलैंड, पोलैंड, हंगरी, स्वीडेन और डेनमार्क ईपीपीओ में शामिल नहीं हैं.

मतदाताओं को लुभाने की कोशिश
न्याय मंत्री को बदले जाने की घटना को यांशा ने प्रत्यायोजित अभियोजकों के नामांकन में देरी के लिए दोषी ठहराया है. उन्होंने यूरोपीय संसद के सदस्यों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि स्लोवेनिया इस साल सर्दियों तक अभियोजकों को मनोनीत कर देगा. यूरोपीय संघ के कुछ पर्यवेक्षकों का मानना ​​​​है कि यूरोपीय मंच पर यांशा जो विरोधी तेवर दिखा रहे हैं, वह मुख्य रूप से उनके देश में अपने समर्थकों की ओर लक्षित है.

डीडब्ल्यू से बातचीत में ब्रसेल्स स्थित रॉबर्ट शुमान फाउंडेशन के प्रमुख एरिक मॉरिस कहते हैं, "वे इस तरह की पाखंडी स्थिति का आनंद ले रहे हैं, अन्यथा वो अलग तरह से काम करते. वे इस तरह से सत्ता में फिर से आए हैं और यह उनके लिए कम से कम घरेलू स्तर पर उपयोगी है कि वे यूरोपीय संघ में चीजें बदल रहे हैं.”

फिलहाल, यांशा ने पत्रकारों और न्यायपालिका पर अपने हमलों को शब्द वाणों तक सीमित कर दिया है. पोलैंड और हंगरी के विपरीत, उन्होंने अभी तक न्यायिक अथवा संवैधानिक सुधारों को पेश नहीं किया है जो स्लोवेनिया के लोकतंत्र की प्रकृति को बदल सकें.

स्लोवेनिया के एजेंडे पर यूरोपीय संघ का विस्तार
हालांकि स्लोवेनिया की ईयू अध्यक्षता का प्रमुख एजेंडा कोविड-19 वैक्सीन की सप्लाई को सुनिश्चित करना और आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के लिए यूरोपीय संघ के धन वितरण में भाग लेना है, लेकिन यांशा यूरोपीय संघ के विस्तार की जरूरत बताने के लिए काफी उत्सुक थे.

अल्बानिया और उत्तरी मैसेडोनिया ने कई मौकों पर यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए बातचीत की शुरुआत में देरी का सामना किया है. फ्रांस, नीदरलैंड, डेनमार्क और अन्य देशों को डर है कि यूरोपीय संघ को पहले से ही आंतरिक भ्रष्टाचार से लड़ने में पर्याप्त परेशानी हो रही है, सदस्यता में विस्तार होने से दिक्कतें और बढ़ेंगी.

यूरोपीय संघ की अध्यक्षता का मतलब यह नहीं है कि स्लोवेनिया मामले पर प्रगति की गारंटी दे सकता है लेकिन यांशा को इसे सुर्खियों में बनाए रखने की संभावना देता है. बहस के बाद पत्रकारों से बातचीत में यांशा ने कहा, "अगर हम एजेंडे में चीजों को आगे बढ़ाते हैं तो हमारे पास ठोस कदम उठाने में सक्षम होने के लिए वास्तविक समय होगा.” (dw.com)

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