विचार / लेख

कादम्बिनी का आज जन्मदिवस
18-Jul-2021 6:24 PM
कादम्बिनी का आज जन्मदिवस

-श्याम मीरा सिंह

 

आज गूगल कादम्बिनी गांगुली को याद कर रहा है। कादम्बिनी गांगुली भारत की पहली महिला ग्रेजुएट थीं, पहली महिला डॉक्टर भी, पहली वर्किंग वीमेन भी। कादम्बिनी जब डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थीं तब कट्टरपंथी हिंदू ग्रुप उनकी पढ़ाई-लिखाई के खिलाफ थे और बदनाम करने के लिए जो बन पड़ता था, करते थे। हिन्दूवादी कट्टरपंथी ग्रुप कादम्बिनी के खिलाफ इस कदर कैंपेन चला रहे थे कि एक रूढि़वादी मैगजीन बंगबासी ने उन्हें वेश्या ही ठहरा दिया। ये कोई 1891 की बात है। कादम्बिनी ने मैगजीन के एडिटर महेश चंद्र पाल के खिलाफ केस किया और। महेश को अंग्रेजों ने इस बात के लिए 100 रुपए जुर्माना लगाते हुए 6 महीने के लिए जेल में भेज दिया।

उस समय के अंग्रेजों में इतनी समझ थी कि भारतीय महिलाओं, दलितों और शोषितों के अधिकारों को कैसे कुचला गया है और उन्हें कैसे इससे मुक्त किया जा सकता है। अंग्रेजों ने सताए हुए वर्गों को जितनी आजादी दी, उतनी आजादी भारतीय राजाओं ने कभी नहीं दी। भारतीय राज्य रूढि़वाद आधारित धर्मंतंत्र से संचालित रहे जिसमें महिलाओं, दलितों का कोई स्थान नहीं था। जिस ढ्ढढ्ढरूष्ट संस्थान से मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई की है उसने कल एक फर्जी सर्वे प्रकाशित किया, जिसे लगभग हर बड़े अख़बार ने प्रमुखता से छापा, उस फर्जी सर्वे में क्लेम किया गया कि 82 प्रतिशत भारतीय पत्रकार मानते हैं कि विदेशी मीडिया ने कोविड के समय भारत की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की, और भारत की छवि खराब करने की कोशिश की। ये संवेदनशीलता दक्षिणपंथियों की इस देश के लिए है। खुद सत्ता चाटुकारिता में मुंह से कुछ न बोले, अगर विदेशी मीडिया ने उसे कवर किया तो उसे भारत विरोधी करार दे दिया। वैसे ही पढऩे लिखने वाले दलितों, महिलाओं को हिन्दू विरोधी करार दिया जाता था।

हिन्दू कट्टरपंथियों का इतिहास अगर उठाया जाए तो वो शर्म, निर्लज्जता और घृणा का एक पूरा इतिहास है। आज उन्हीं कट्टरपंथियों का संसद में बहुमत है। तभी महिला आयोग की महिला सदस्य भी कह देती है कि महिलाओं को फोन देना बंद कर देना चाहिए।

आजादी के आंदोलन में भी कादम्बिनी की भूमिका रेखांकित करने योग्य है। जब महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका में भारतीय मजदूरों की लड़ाई लड़ रहे थे तब कादम्बिनी ने भारत से चंदा इकठ्ठा करके साउथ अफ्रीका भेजा। वे भारतीय कांग्रेस के अधिवेशन को संबोधित करने वाली पहली महिला थीं। उन्हीं कादम्बिनी का आज जन्मदिवस है।
 

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