विचार / लेख

आज शर्म तो बहुत आई होगी तुम्हें मनु
02-Aug-2021 8:34 AM
आज शर्म तो बहुत आई होगी तुम्हें मनु

-बादल सरोज 

कित्ती परेशानी हुयी होगी आज जब दुनिया भर के सबसे बड़े खेल मुकाबले में दूसरा मैडल भी एक लड़की - एक स्त्री - ही जीत कर लाई है यह खबर मिली होगी।

बीपी (ब्लड प्रेशर) की एकाध गोली एक्स्ट्रा ले लेना। नींद न आये तो एकाध ट्रैंक्विलाइज़र भी ले लेना। हालांकि मनुष्यता के लिए बहुत ही पुनीत और सभ्य समाज के लिए काफी पवित्र होगा कि ट्रैंक्विलाइज़र की पूरी बॉटल ही एक साथ भकोस लो ; मगर पता है, इतना नेक काम तुम करोगे नहीं।  

अपने आप तो नहीं ही करोगे। 
तुम्हीं थे ना जिसने कहा था कि  ;
पिता रक्षति कौमारे भर्ता रक्षति यौवने ।
पुत्रो रक्षति वार्धक्ये न स्त्री स्वातन्त्र्यमर्हति ॥
(स्त्री को बचपन में पिता, युवावस्था में पति और जब उसका पति मर जाता है, तो पुत्र के नियंत्रण में रहना चाहिए। स्त्री कभी स्वतंत्र नहीं रहनी चाहिए। )

और यह भी कि ;

अशील: कामवृत्तो वा गुणैर्वा परिवर्जित : ।
उपचर्म: स्त्रिया साध्व्या सततं देववत्पत्ति : ।।
(इतनी गंदी बात है कि हिंदी में अनुवाद करने का मन भी नहीं होता। )

तुम्हीं ने कहा था ना कि ; 
स्त्रियों में आठ अवगुण हमेशा होते हैं। जिसके चलते उनके ऊपर विश्वास नहीं किया जा सकता है। वे अपने पति के प्रति भी वफादार नहीं होती हैं। और आदेश दिया था उसे कि पति चाहे जैसा भी हो, पत्नी को उसकी देवता की तरह पूजा करनी चाहिए। किसी भी स्थिति में पत्नी को पति से अलग होने का अधिकार नहीं है। कि पति चाहे दुराचारी, व्यभिचारी और सभी गुणों से रहित हो तब भी साध्वी स्त्री को हमेशा पति की सेवा देवता की तरह मानकर करनी चाहिए। )  

???? तुम ही लिखकर गए थे ना कि ; 
   पुत्री, पत्नी, माता या कन्या, युवा, वृद्धा किसी भी स्वरुप में नारी स्वतंत्र नहीं होनी चाहिए. -मनुस्मृति, अध्याय-9 श्लोक-2 से 6 तक.
????  कि पति पत्नी को छोड सकता हैं, सूद  (गिरवी) पर रख सकता है, बेच सकता है, लेकिन स्त्री को इस प्रकार के अधिकार नहीं हैं. किसी भी स्थिति में, विवाह के बाद, पत्नी सदैव पत्नी ही रहती हैं. - मनुस्मृति, अध्याय-9 श्लोक-45  
???? कि संपत्ति और मिल्कियत के अधिकार और दावों के लिए, शूद्र की स्त्रियां भी "दास" हैं, स्त्री को संपत्ति रखने का अधिकार नहीं हैं, स्त्री की संपत्ति का मालिक उसका पति, पुत्र, या पिता हैं. - मनुस्मृति, अध्याय-9 श्लोक-416
????  कि ढोर, गंवार, शूद्र और नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी हैं, यानी नारी को ढोर की तरह मार सकते हैं....तुलसी दास पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है, वह लिखते हैं-"ढोर, चमार और नारी, ताडन के अधिकारी."
- मनुस्मृति, अध्याय-8 श्लोक-299 
????  कि असत्य जिस तरह अपवित्र हैं, उसी भांति स्त्रियां भी अपवित्र हैं, यानी पढने का, पढाने का, वेद-मंत्र बोलने का या उपनयन का स्त्रियों को अधिकार नहीं हैं.- मनुस्मृति, अध्याय-2 श्लोक-66 और अध्याय-9 श्लोक-18
????  कि स्त्रियां नर्कगामिनी होने के कारण वह यज्ञ कार्य या दैनिक अग्निहोत्र भी नहीं कर सकती. (इसलिए कहा जाता है-"नारी नर्क का द्वार") - मनुस्मृति, अध्याय-11 श्लोक-36 और 37 .
????  कि यज्ञ कार्य करने वाली या वेद मंत्र बोलने वाली स्त्रियों से किसी ब्राह्मण भी ने भोजन नहीं लेना चाहिए, स्त्रियों ने किए हुए सभी यज्ञ कार्य अशुभ होने से देवों को स्वीकार्य नहीं हैं. - मनुस्मृति, अध्याय-4 श्लोक-205  और 206  .
????  कि  स्त्री पुरुष को मोहित करने वाली - मनुस्मृति, अध्याय-2 श्लोक-214 .
 ???? कि स्त्री पुरुष को दास बनाकर पदभ्रष्ट करने वाली हैं. मनुस्मृति,  अध्याय-2  श्लोक-214
????  कि स्त्री एकांत का दुरुपयोग करने वाली. मनुस्मृति, अध्याय-2 श्लोक-215.
????  कि स्त्री संभोग के लिए उमर या कुरूपता को नहीं देखती. मनुस्मृति, अध्याय-9 श्लोक-114 
????  कि स्त्री चंचल और हृदयहीन, पति की ओर निष्ठारहित होती हैं. मनुस्मृति, अध्याय-2 श्लोक- 115.
????  कि केवल शैया, आभूषण और वस्त्रों को ही प्रेम करने वाली, वासनायुक्त, बेईमान, ईर्ष्या खोर,दुराचारी हैं .मनुस्मृति, अध्याय-9 श्लोक-17.
????  कि  सुखी संसार के लिए स्त्रियों को जीवन भर पति की आज्ञा का पालन करना चाहिए. - मनुस्मृति, अध्याय-5 श्लोक-115
???? कि पति सदाचारहीन हो, अन्य स्त्रियों  में आसक्त हो, दुर्गुणों से भरा हुआ हो, नपुसंक हो, जैसा भी हो फ़िर भी स्त्री को पतिव्रता बनकर उसे देव की तरह पूजना चाहिए.- मनुस्मृति, अध्याय-5 श्लोक-154 

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