सामान्य ज्ञान
गौर, जंगली सांडों के वर्ग से संबंधित मवेशियों की कुछ प्रजातियों में से एक। विश्व में चार वंशों से संबंधित जंगली सांडों की कुल नौ प्रजातियां तथा 21 उपप्रजातियां हैं। इनमें एशियाई भैंस, अफ्रीकी भैंस, सामान्य मवेशी तथा जंगली भैंस शामिल हैं। इन जंगली सांडों के पूर्वजों की उत्पत्ति एशिया में 20 लाख वर्ष पूर्व मानी जाती है।
गौर को सामान्यत: भारतीय जंगली भैंस माना जाता है। यह बोविडी उपकुल के आर्टिओडैक्टाइला गण से संबंधित है। यह पूर्वी जैव भौगौलिक क्षेत्र तक सीमित सबसे विशाल जीवित गोवंश प्रजाति है। बॅस गौरस गौरस (भारत और नेपाल) बॅस गौरस रीडी (म्यांमार और हिंदचीन) और बॅस गौरस हुबकी (दक्षिणी थाईलैंड के क्रा के जलडमरूमध्य तथा पश्चिमी मलेशिया) गौर की आमतौर पर पाई जाने वाली तीन मुख्य उपप्रजातियां हैं।
भारत में गौर की संख्या अधिकांशत: अलग-अलग छोटे क्षेत्रों में - पश्चिमी घाटों के पहाड़ी हिस्सों, मध्य भारतीय उच्च भूमि और उत्तर-पूर्वी हिमालय में है। गौर दक्षिणी बिहार और पश्चिम बंगाल तथा दक्षिणी पूर्वी प्रायद्वीप के जंगलों में भी पाए जाते हैं। इनका आवास भी इनके विस्तार के समान भिन्न है। इनका विस्तार पूर्वोत्तर के सदाबहार और बांस के जंगलों तक है। इन क्षेत्रों में गौर दो हजार मीटर तक की ऊंचाई पर अपेक्षाकृत निर्विघ्र क्षेत्रों में निवास करते हैं। गौर सांडों का वजन 600-1000 किग्रा तक और कंधे तक ऊंचाई 1.6 से 1.9 मीटर तक होती है, जबकि मादा ऊंचाई में 10 सेमी छोटी तथा वजन में नर से एक चौथाई होती है।