सामान्य ज्ञान
प्रवासी भारतीय दिवस या अनिवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी को पूरे भारत में मनाया जाता है। 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि इसी दिन 1915 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और अंतत: दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों और औपनिवेशिक शासन के तहत लोगों के लिए और भारत के सफल स्वतंत्रता संघर्ष के लिए प्रेरणा बने। वर्ष 1915 की 9 जनवरी को वे भारत वापस लौटे और 22 वर्ष के प्रवास के बाद लौटे इस महान आत्मा से प्रेरणा लेकर इस दिवस को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
प्रवासी भारतीयों के साथ भारत का औपचारिक संबंध तो था,लेकिन एक निकटवर्ती, घनिष्ठ और आत्मिक जुड़ाव की आवश्यकता बहुत समय से महसूस की जा रही थी । नवम्बर, 1977 में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि दूर-दराज के देशों में बसे भारतवंशियों के साथ हमें अपना नाता और प्रगाढ़ करना होगा। 18 अगस्त, 2000 को विधिवेत्ता, संस्कृति कर्मी, कवि, राजनयिक और राजनेता डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन विदेश मंत्रालय ने किया । इस समिति में पूर्व विदेश राज्यमंत्री श्री आर.एल. भाटिया, पूर्व राजनयिक जे. आर. हिरेमथ, अन्तर-राष्ट्रीय सहयोग परिषद् के महासचिव बालेश्वर अग्रवाल और राजनयिक जे.सी शर्मा शामिल थे । समिति ने 20 से अधिक देशों का प्रत्यक्ष दौरा करके, विश्व भर के यथा-संभव अधिकतम प्रवासी भारतीय संगठनों से, पूर्व राजनयिकों से बातचीत करके और अपने संचित ज्ञान एवं अनुभव के आधार 19 दिसम्बर, 2001 को अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को दी जिसमें, अन्य बातों के साथ-साथ प्रवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी को मनाए जाने और प्रति वर्ष प्रवासी भारतीय सम्मान दिए जाने की सिफारिशें भी शामिल थीं । वर्ष 2003 से आखिरकार अधिकारिक रूप से 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की शुरुआत हुई। वर्ष 2013 का प्रवासी दिवस समारोह केरल के कोच्चि शहर में मनाया जा रहा है।
इस सम्मेलन का उद्देश्य है-
1. अप्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ ही उनकी अपने देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिए एक मंच उपलब्ध कराना।
2. भारतवासियों को अप्रवासी बंधुओं की उपलब्धियों के बारे में बताना तथा अप्रवासियों को देशवासियों की उनसे अपेक्षाओं से अवगत कराना।
3. विश्व के 110 देशों में अप्रवासी भारतीयों का एक नेटवर्क बनाना।
4. भारत का दूसरे देशों से बनने वाले मधुर संबंध में अप्रवासियों की भूमिका के बारे में आम लोगों को बताना।
5. भारत की युवा पीढ़ी को अप्रवासी भाईयों से जोडऩा।
6. भारतीय श्रमजीवियों को विदेश में किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना होता है, के बारे में विचार-विमर्श करना।