सामान्य ज्ञान
ब्रिटेन में पहचाना गया ग्राफीन अब तक का सबसे पतला पदार्थ है और इसमें जबरदस्त मज़बूती और लचीलापन है। माना जाता है कि ये इलेक्ट्रोनिक्स से लेकर सौर पैनल और चिकित्सा उपकरणों तक, हर क्षेत्र में क्रांति कर सकता है, लेकिन इसके इस्तेमाल के अधिकार या पेटेंट की संख्या को देखे तो पता चलता है कि ब्रिटेन इस मामले में अपने प्रतिद्वंद्वियों से पिछड़ रहा है।
अणुओं की एक परत से बना ग्राफीन हीरे से भी ज्यादा कड़ा है, तांबे से भी ज्यादा सुचालक है और रबड़ से भी ज्यादा लचीला है। इसलिए इससे ऐसी स्क्रीन बनाई जा सकती है जिसे आप मोड़ कर रख पाएंगे और ऐसी बैटरी भी जो अभी के मुकाबले कहीं ज्यादा चलेगी। दो रूसी वैज्ञानिकों ने मैनचेस्टर में इस पर अग्रणी काम किया और इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार के साथ साथ नाइटहुड से भी सम्मानित किया गया है। इन्हीं में से एक हैं आंद्रे गाइम और दूसरे हैं प्रोफेसर एंतोनियो कास्त्रो नीतो। ग्राफीन का व्यावसायिक इस्तेमाल करने के लिए पहला जरूरी कदम है इसका पेटेंट हासिल करना और सैमसंग अब तक इस तरह के 400 पेटेंट हासिल कर चुकी है। लेकिन ग्राफीन के सबसे ज्यादा पेटेंट चीन के पास हैं, दो हजार से भी ज्यादा। ये आंकड़े कैंब्रिज आईपी नाम की संस्था की ओर से मुहैया कराए गए हैं। ग्राफीन की पूरी तरह पहचान लगभग नौ साल पहले हुई, और बड़ी तेजी से ये परिदृश्य पर छा गया।