सामान्य ज्ञान
वैज्ञानिकों के अनुसार क्षुद्र ग्रह या उल्का पिंडों से ही पृथ्वी पर जीवन आया है। यह खोज नासा की रेबेका मार्टिन, कोलराडो यूनिवर्सिटी के सागन फेलो और स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष वैज्ञानिक मारियो लिवियो ने की है।
वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रहों के आपस में टकराने से जीवन की उत्पत्ति और जीवन चक्र की प्रक्रिया दोनों होना संभव हैं। एक नए शोध के अनुसार विशाल उल्का पिंडों के कारण ही शुरुआती पृथ्वी पर जल और अन्य कार्बनिक यौगिक आए। अनुसंधानकर्ताओं ने शोध में यह पाया कि सूर्य के इर्द-गिर्द चुंबकीय परत की डिस्क और आसपास मौजूद बृहस्पति जैसे विशालकाय ग्रहों की मौजूदगी से जीवन के उद्भव और विकास का रास्ता खुलता है। इससे ही साफ होता है कि पृथ्वी जैसे ग्रह पर जटिल जीवन की संभावना है या नहीं। सौरमंडल में जीवन की संभावना वाले ग्रह भले ही दुर्लभ हों, लेकिन उन पर जीवन की संभावना तभी होगी जब सही घनत्व के साथ क्षुद्र ग्रहों की पट्टी उस ग्रह पर आघात करेगी।
प्राय: क्षुद्र ग्रह या उल्का पिंड टकराने वाले ग्रह के वातावरण में ऐसी उथल-पुथल मचा देते हैं कि जैविक उत्पत्ति की दर बढ़ जाती है। कई दफा बदले हुए वातावरण में खुद को ढालने के लिए सूक्ष्म जीव भी जटिल जीवन की ओर रुख करते हैं। इसी तरह से नई प्रजातियों का जन्म होता है या पुरानी प्रजातियां नया रूप धारण करती हैं। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष मौजूदा समय से भी विशाल बृहस्पति ग्रह जैसे ग्रह और उसके आसपास छोटे क्षुद्र ग्रहों और युवा तारों के सैद्धांतिक मॉडल का विश्लेषण करके निकाला है।