सामान्य ज्ञान
ओरलोव हीरा, भारत का गुलाबनुमा रत्न है, यह रोमोनोव ताज में लगे रत्नों में से एक है। यह आधे अंडे के आकार का है, जिसकी गुंबदकारी सतह फलकित है और निचला भाग लगभग समतल है। इसका वजन लगभग 200 कैरेट है। एक दंतकथा के अनुसार यह किसी समय मैसूर (कर्नाटक) के एक ब्राह्मïण मंदिर में एक मूर्ति की आंख था, जिसे एक फ्रांसीसी सैनिक चुराकर मद्रास (वर्तमान चेन्नई) ले भागा। अन्य लोगों का दावा है कि ओरलोव का प्रामाणिक इतिहास 18 वीं शताब्दी के मध्य का है, जब यह रत्न (मान्यता है कि यह महान मुगलों का खोया हुआ हीरा था) फारस के बादशाह नादिरशाह का था।
नादिरशाह की हत्या के बाद यह चोरी हो गया और इसे शाफरास नामक आर्मिनियाई लखपति को बेच दिया गया। 1774 में इसे काउंट ग्रिगरी ग्रिगोएविच ओरलोव ने खरीदा, जिसने सम्राज्ञी कैथरीन द्वितीय महान का वरदहस्त प्राप्त करने के असफल प्रयास में उसे भेंट कर दिया। कैथरीन ने इसे रोमोनोव शाही राजदंड में जड़वा दिया और अब यह मास्को में रूस के हीरा-कोष का (जिसमें जार की वैभव सामग्री है) का हिस्सा है।